कभी शांति की राह पर था, अब जैश का आतंकी बना मुनीर कादिरी

Edited By Seema Sharma,Updated: 29 May, 2018 04:58 PM

militant munir kadiri arrest in nagrota fidayeen attack

एनआईए द्वारा पिछले सप्ताह जैश-ए-मोहम्मद का एक सदस्य घोषित किया गया सैयद मुनीर-उल- हसन कादिरी सात वर्ष पहले आतंकवाद का रास्ता छोड़कर अपने परिवार के साथ नेपाल के रास्ते पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से कश्मीर लौट आया था और उसने शांति और बेहतर...

श्रीनगर: एनआईए द्वारा पिछले सप्ताह जैश-ए-मोहम्मद का एक सदस्य घोषित किया गया सैयद मुनीर-उल- हसन कादिरी सात वर्ष पहले आतंकवाद का रास्ता छोड़कर अपने परिवार के साथ नेपाल के रास्ते पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से कश्मीर लौट आया था और उसने शांति और बेहतर जीवन का रास्ता चुना था। अधिकारियों ने यहां बताया कि कादिरी को अब गिरफ्तार कर लिया गया है और आरोप है कि नगरोटा में एक सैन्य शिविर पर 2016 में हुए एक आतंकवादी हमले में वह शामिल था। कादिरी आतंकवाद का रास्ता छोड़ चुके उन 450 आतंकवादियों में शामिल था जो राज्य की पूर्व उमर अब्दुल्ला सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत नेपाल के रास्ते कश्मीर वापस आया था। 1990 के दशक की शुरूआत में पीओके पहुंचा पीपुल्स लीग का एक सक्रिय सदस्य कादिरी 2011 में अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ वापस लौटा था।

श्रीनगर के निचले इलाके में गिरफ्तार दो युवकों से पूछताछ के दौरान उसका नाम सामने आने के बाद इस महीने की शुरूआत में जम्मू कश्मीर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान कादिरी (45) ने जम्मू के नगरोटा में 2016 में एक सैन्य शिविर पर आतंकवादी हमले में अपनी संलिप्तता के बारे में कथित रूप से बताया। इस हमले में दो अधिकारियों समेत सेना के सात जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद 26 मई को उसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी की हिरासत में दे दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि 2011 में आतंकवाद का रास्ता छोड़कर लौटे कादिरी को अपना जीवन फिर से शुरू करने के लिए जम्मू कश्मीर बैंक से ऋण उपलब्ध कराया गया था। उसने रेडिमेड कपड़ों का छोटा-सा व्यवसाय शुरू करने के लिए इस धनराशि का इस्तेमाल किया था लेकिन 2014 की बाढ़ में यह सब नष्ट हो गया। कादिरी ने अक्तूबर 2015 में एक साक्षात्कार में कहा था ,‘‘ मेरे पास अपना घर चलाने के लिए आतंकवाद के रास्ते पर लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।’’

एक अधिकारी के अनुसार कादिरी ने सितम्बर, 2016 से जैश - ए - मोहम्मद के साथ काम करना शुरू कर दिया और उस वर्ष नवम्बर में जम्मू क्षेत्र के नगरोटा में सैन्य शिविर में तीन आतंकवादियों को भेजने में मदद की। कादिरी ने कहा था ,‘‘ हमसे बड़े - बड़े वादे किए गए थे लेकिन हमारे पास पहनने के लिए ढ़ंग के कपड़े भी नहीं थे। हमें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भीख मांगने के लिए छोड़ दिया गया।’’ केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां लम्बे समय से कहती आ रही है कि नेपाल से लौटने वाले लोगों के लिए एक समाधान होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है , तो वे घाटी में आतंकवादी समूहों का फिर से शिकार हो जाएंगे।एक अधिकारी ने बताया कि महबूबा मुफ्ती सरकार ने इस मामले को केंद्र के समक्ष उठाया था, लेकिन उस पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया।

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