मध्य प्रदेश में बढ़ रहे फर्जी वोटर, चुनाव आयोग गंभीर

Edited By rehan,Updated: 03 Jun, 2018 05:09 PM

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मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के पास आते ही फर्जी वोटरों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। प्रदेश में लाखों की संख्या में फर्जी वोटर होने के आरोप लगने के बाद चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के बीच घमासान तेज हो गया है

भोपाल : मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के पास आते ही फर्जी वोटरों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। प्रदेश में लाखों की संख्या में फर्जी वोटर होने के आरोप लगने के बाद चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के बीच घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर कहा है कि यह बेहद गंभीर मामला है। मतदाता सूची में गड़बड़ियों को हमने पहले भी मुंगावली-कोलारस विधानसभा उपचुनाव के दौरान उजागर कर निर्वाचन आयोग को पूरे मामले की शिकायत की थी। अब वह चुनाव आयोग से मिलकर इसकी शिकायत करेंगे। ऐसे में  चुनाव आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। 

30 मई को प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों की मतदाता सूचियों में 60 लाख से ज्यादा फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़ने का खुलासा हुआ था। मतदाता सूची के डाटा का विश्लेषण करने वाली एजेंसी ने दावा किया था कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 20 से 30 हजार फर्जी नाम जोड़े गए हैं। हालांकि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह ने स्वीकार किया था कि यह संख्या उतनी नहीं है, जितनी बताई जा रही है। अभी तक चुनाव आयोग फर्जी मतदाताओं के नाम होने से इंकार करता रहा है।

 

एक ही वोटर के अलग-अलग नाम

इंदौर विधानसभा क्रमांक-1 में 39 हजार से ज्यादा मतदाता ऐसे हैं, जिनके नाम, उम्र, परिवार, जेंडर एक समान हैं। विधानसभा क्रमांक 5 में 33 हजार से ज्यादा फर्जी नाम मिले थे। तीन माह पहले मुंगावली उपचुनाव में भी फर्जी नाम मिले थे। इस सीट पर अभी भी 19 हजार फर्जी नाम हैं। 

इस मामले को लेकर सिंधिया ने कहा, "यह भाजपा का किया धरा है। यह कैसे मुमकिन है कि पिछले 10 साल में राज्य की जनसंख्या 10% बढ़ी, लेकिन वोटरों की तादाद में 40% का इजाफा हो गया। हमने हर एक विधानसभा क्षेत्र में पड़ताल की, तो पाया कि एक वोटर का नाम 26 लिस्टों में है। ऐसा दूसरी जगहों पर भी हुआ है।"

वहीं, कमलनाथ ने कहा, हम चुनाव आयोग को सबूत देंगे कि राज्य में 60 लाख फर्जी वोटर हैं। ये नाम जानबूझकर लिस्ट में शामिल किए गए हैं। यह प्रशासनिक लापरवाही नहीं, प्रशासनिक दुरुपयोग है।

 

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