Edited By PTI News Agency,Updated: 26 Feb, 2021 12:00 AM
मुंबई, 25 फरवरी (भाषा) बैंक अधिकारियों के संगठनों ने निजी क्षेत्र के बैंको को कर संग्रह, पेंशन भुगतान और लघु बचत योजनाओं समेत सरकारी कारोबार में शामिल होने की अनुमति देने के केंद्र के निर्णय का विरोध किया है।
मुंबई, 25 फरवरी (भाषा) बैंक अधिकारियों के संगठनों ने निजी क्षेत्र के बैंको को कर संग्रह, पेंशन भुगतान और लघु बचत योजनाओं समेत सरकारी कारोबार में शामिल होने की अनुमति देने के केंद्र के निर्णय का विरोध किया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को ट्विटर पर लिखा था, ‘‘निजी बैंकों को सरकार से जुड़े कामकाज और योजनाओं को क्रियान्वित करने पर लगी रोक हटा ली गयी है। अब सभी बैंक इसमें शामिल हो सकते हैं। निजी बैंक अब भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास, सरकार के सामाजिक क्षेत्र में उठाये गये कदमों और ग्राहकों की सुविधा बेहतर बनाने में समान रूप से भागीदार हो सकते हैं।’’
बृहस्पतिवार को संयुक्त विज्ञप्ति में बैंक अधिकारियों के चार संगठनों ने कहा, ‘‘यह हास्यास्पद है कि निजी क्षेत्र के बैंकों को प्राथमिक क्षेत्र को कर्ज देने के नियम, ग्रामीण/छोटे कस्बों में शाखा विस्तार, कृषि कर्ज जैसे नियमों के मामले में छूट दी गयी हैं। वहीं सार्वजिक क्षेत्र के बैंकों को प्राथमिक क्षेत्र को ऋण, कृषि क्षेत्र को कर्ज समेत विभिन्न नियमों का अनुपालन करना होता है।’’
बैंक अधिकारियों के ये संगठन हैं...ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसएिशन (एआईबीओए), इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी) और नेशनल आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (एनओबीओ)।
इन संगठनों का कहना है कि सरकारी कामकाज को निजी बैंकों को खोलने से उन्हें समाज के वंचित और गरीब तबकों की लागत पर लाभ बढ़ाने के लिये कोष (फ्लोट फंड) जुटाने में मदद मिलेगी।
बयान के अनुसार भ्रष्टाचार निरोधक कानून, 1988, केंद्रीय सतर्कता आयोग कानून, 2003 तथा आरटीआई (सूचना का अधिकार) कानून सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर लागू है जबकि निजी क्षेत्र के बैंक इससे बाहर हैं।
संगठनों ने दावा किया कि निजी बैंकों को सरकारी कामकाज की अनुमति देने से ऐसे बैंकों के अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही नहीं होगी।
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