Edited By Monika Jamwal,Updated: 26 Nov, 2018 01:28 PM
भारत-पाक के बीच हुये 1971 के युद्धबंदी सरदार आशा सिंह के परिवार ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए।
जम्मू: भारत-पाक के बीच हुये 1971 के युद्धबंदी सरदार आशा सिंह के परिवार ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। परिवार का कहना है कि सरकारें बड़ी-बड़ी बातें करती हैं पर इतने वर्षों से उसने अभी तक जंग के कैदियों को छुड़वाने का प्रयास नहीं किया। परिवार यहीं पर ही नहीं रूका बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों की सरकारें सिर्फ दिखावा करती हैं और वास्तव में उन्हें युद्धबंदियों से कोई लेना-देना नहीं है।
सरदार आशा सिंह के एक रिश्तेदार ने जम्मू में पत्रकारों से बात करते हुये कहा कि अगर भारत वाकई में युद्ध के कैदियों को लेकर गंभीर है तो उसने इतने वर्षों में यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के हजारों कैदी जवान छोड़े पर बदले में अपने मुट्ठीभर कैदी जवानों को नहीं छुड़वा सका। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें सरकारों की मिलीभगत है। उन्हें पता है कि अगर वे इन जवानों को छुड़वाता है तो उसे अरबों रूपयों का मुआवजा परिवारों को देना पड़ेगा और ऐसा सरकार क्यों करेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि जब पाकिस्तान ने कैदी जवानों के परिवारों को पाकिस्तान बुलाया और उन्हें कहा कि वे अपने लोगों को पहचान लें तो उस समय भारतीय राजदूत से किसी भी अधिकारी ने परिवारों का नेतृत्व नहीं किया। पाकिस्तान में परिवरों को जेलों में जाने की अनुमति नहीं दी गई और न ही स्थानीय लोगों से बात करने दी गई और वहां का रिकार्ड सारा उर्दू में था जिसे पढऩे में कई परिवार सक्षम नहीं थे। आशा सिंह के परिवार ने केन्द्र सरकार से अपील की है कि वे एक बार उन लोगों की तरफ भी ध्यान दे जो आज भी इस बात की उम्मी लगाए बैठे हैं कि वे अपने पिता, पति, दादा या चाचा से मिल पाएंगे।