वीरता पुरस्कार के लिए देशभर से चुने गए 22 बच्चे, जानिए इनके पराक्रम की कहानी

Edited By shukdev,Updated: 21 Jan, 2020 10:17 PM

22 children selected for national bravery award

इस साल राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए जो बच्चे चुने गए हैं उनमें जम्मू कश्मीर के दो किशोर भी शामिल हैं। इन्हीं में कर्नाटक का एक ऐसा लड़का भी शामिल है जिसने राज्य में बाढ़ के दौरान एक एंबुलेंस को रास्ता दिखाया था। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।...

नई दिल्ली: इस साल राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए जो बच्चे चुने गए हैं उनमें जम्मू कश्मीर के दो किशोर भी शामिल हैं। इन्हीं में कर्नाटक का एक ऐसा लड़का भी शामिल है जिसने राज्य में बाढ़ के दौरान एक एंबुलेंस को रास्ता दिखाया था। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) ने मंगलवार को वीरता पुरस्कार के लिए 10 लड़कियों और 12 लड़कों के नामों की घोषणा की। 

अधिकारियों ने बताया कि केरल के कोझिकोड़ के 16 वर्षीय मुहम्मद मुहसीन को मरणोपरांत आईसीसीडब्ल्यू अभिमन्यु पुरस्कार के लिए चुना गया है। उसने पिछले साल अप्रैल में समुद्र में मौसम खराब हो जाने पर अपने तीन साथियों की जान बचाई थी लेकिन इसी क्रम में उसकी मृत्यु हो गई थी। कुपवाड़ा के रहने वाले सरताज मोहिदन (16) और बडगाम के मुदासिर अशरफ (19) कश्मीर में 2019 में साहसिक कारनामे को लेकर वीरता पुरस्कार के लिए चुने गए हैं। 

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ओडि‍सा की 16 साल की पूर्णिमा गिरि और 15 साल की सविता गिरी को भी पुरस्कार के लिए चुना गया है। इन्‍हें यह पुरस्‍कार मगरमच्छों से भरी नदी में एक नाव के पलट जाने के बाद 12 लोगों को डूबने से बचाने के लिए दिया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक कर्नाटक के वेंकेटेश को भी यह पुरस्कार दिया जाएगा। उसने पिछले साल अगस्त में बाढ़ के दौरान एक एंबुलेंस को रास्ता दिखाया था। एंबुलेंस में एक व्यक्ति का शव और उसके रिश्तेदार थे।

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पुरस्‍कार ग्रहण करने वाले अन्‍य बच्‍चों में असम के कमल कृष्‍ण दास, छत्तीसगढ़ के कांति पैकरा और भमेश्वरी निर्मलकर, अलिका (हिमाचल प्रदेश से), आरती किरण शेट (कर्नाटक से), मुदासिर अशरफ (जम्‍मू-कश्‍मीर), केरल से फतह पीके, महाराष्‍ट्र के जेन सदावर्ते और मास्टर आकाश मचिन्द्र खिलारे, मणिपुर से लौरेबम यखोमबा मंगांग, मेघालय से एवरब्लूम के, मिजोरम से मास्टर लल्लियांसांगा, कैरोलिन मालस्वामुल्तांगी और मास्टर वनलहरीत्रेंग शामिल है। 

चयनित बच्चों को तब तक वित्तीय सहायता प्राप्त होती है, जब तक कि वे स्नातक पूरा नहीं कर लेते हैं। इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए चयन करने वालों को छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से वित्तीय सहायता मिलती है।

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