Edited By Yaspal,Updated: 09 May, 2020 08:48 PM
हरियाणा के हिसार जिले के एक गांव ने 350 साल पुरानी परंपरा को तोड़ दिया है। हिसार जिले के बिठमड़ा गांव में पिछले 350 सालों से शव को दफनाने की परंपरा थी, जिसे कोरोना संकट के दौरान लोगों ने इस परंपरा को तोड़ दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि यहां के...
नेशनल डेस्कः हरियाणा के हिसार जिले के एक गांव ने 350 साल पुरानी परंपरा को तोड़ दिया है। हिसार जिले के बिठमड़ा गांव में पिछले 350 सालों से शव को दफनाने की परंपरा थी, जिसे कोरोना संकट के दौरान लोगों ने इस परंपरा को तोड़ दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि यहां के परिवारों का कहना है कि औरंगजेब की वजह से उनके पूर्वजों ने इस्लाम धर्म अपनाया था।
दरअसल, हिसार जिले के बिठमड़ा गांव का है, यहां शव को दफनाने वाली 350 साल की परंपरा को छोड़ एक बुजुर्ग महिला फुल्ली देवी की मौत के बाद हिंदू रीति रिवाज से उनके शव को जलाया गया है। इससे पहले यहां तीस परिवार के लोग मरने के बाद शरीर को दफनाया करते थे। इसके साथ ही उन्होंने अब फिर से हिंदू धर्म अपना लिया है।
बुजुर्ग महिला के अंतिम संस्कार के समय गांव के सभी लोग मौजूद थे। लोगों का कहना है कि अतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज के साथ किया गया है। लोगों ने बताया कि बिना किसी दबाव के और अपनी इच्छा से यह अपना रहे हैं। बुजुर्ग महिला के परिजनों सतबीर और मंजीत ने बताया कि पहले शवों को दफनाया जाता था और ये लगभग 350 साल से किया जाता रहा है।
इन लोगों का कहना है कि औरंगजेब के समय से उनके बुजर्गों ने इस्लाम धर्म अपनाया हुआ था। लेकिन अब बिना किसी दबाव में घर वापसी की है। अब उन्होंने दफनाने की परंपरा को भी बदल दिया है। ये सभी लोग डूम जाति से संबंध रखते हैं। अंतिम संस्कार के समय गांव में इन सभी के परिवार उपस्थित थे। कुल मिलाकर 30 परिवारों ने फिर से हिंदू धर्म अपनाया है।