खेतों में पड़ी सड़ रही है किसानों की फसल, लॉकडाउन ने किया नोटबंदी से भी बुरा हाल

Edited By Chandan,Updated: 27 Mar, 2020 07:36 PM

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देश के किसानों को किसी फसल से कोई कमाई नहीं हो पायी हैं। यूपी, महाराष्ट्र, एमपी, पंजाब कर राज्य के किसानों का भारी नुकसान हुआ है। किसानों की माने तो यह नोटबंदी से भी बुरे हालात हैं।

नई दिल्ली। कोरोना वायरस से बचने के लिए देश में लागू हुए लॉकडाउन के बाद एक तरफ गरीब, दिहाड़ी मजदूरों को पलायन बढ़ा है, तो दूसरी तरफ गरीब किसान अपनी फसल को खेतों में सड़ते हुए देख रहा है। लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही खेतों में पड़ी फसल, खेतों में पड़ी-पड़ी सड़ रही है। लॉकडाउन के कारण मंडियों का काम ठप्प हो गया है, तो वहीँ इसकी वजह से फसलों की खरीद भी बंद है।

हालत इतनी खराब है कि देश के किसानों को किसी फसल से कोई कमाई नहीं हो पायी हैं। यूपी, महाराष्ट्र, एमपी, पंजाब कर राज्य के किसानों का भारी नुकसान हुआ है। किसानों की माने तो यह नोटबंदी से भी बुरे हालात हैं। एक तरफ पेमेंट फंसा हुआ है तो वहीँ, सड़ती फसल के नुकसान की भरपाई की कोई व्यवस्था नहीं है।

किसानों का है बुरा हाल
स्वास्थ्य मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि कोरोना से बचाव के चलते लॉकडाउन आगे बढ़ाया जा सकता है। तो वहीँ लॉकडाउन से परेशान किसान इस आशंका को लेकर तनाव में आ गया है। किसान नेताओं का कहना है कि यह संकट अभी और बढ़ सकता है। अगले कुछ दिनों में अंगूर, तरबूज, केले, चना, कॉटन, मिर्च, हल्दी, जीरा, प्याज और आलू की फसल आने वाली है। लेकिन लॉकडाउन के चलते इन फसलों के लिए मजदूर मिलना मुश्किल होगा और फिर बाजार में भी बिक्री होना आसान काम नहीं होगा।

वहीँ किसानों की माने तो लॉकडाउन की वजह से बाजार में मंदी की बने रहने के आसार हैं, जिससे डिमांड कम हो जाएगी और किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिल पाएगा।

किसानों पर पड़ेगी दोहरी मार
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, किसान संगठनों के समूह के कंसोर्टियम के मुख्य सलाहकार पी. चेंगल रेड्डी ने बताया कि, ‘केंद्र सरकार बार-बार यह बात कह रही है कि लोगों को जरूरी सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी। जबकि किसानों की खेती खड़ी है और राज्यों की ओर से किसानों को फसलों की कटाई नहीं करने दी जा रही। फसलों को बाजार नहीं पहुंचने दिया जा रहा है और खरीददारों को खरीददारी से रोका जा रहा है।’  उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने इस मसले पर समय पर ध्यान न दिया तो हालात नोटबंदी से भी बुरे हो सकते हैं। यानी किसानों पर दोहरी मार पड़ने के आसार हैं

ट्रांसपोर्ट की समस्या
किसानों के अलावा फलों और सब्जियों की ढुलाई करने वाले ट्रक संचालकों का कहना है कि वो भी लॉकडाउन की वजह से संकट का सामना कर रहे हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद से ही देशभर में बिना खाने और पैसे के उनके लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं।

गेंहू के दाम गिरे
वहीँ लॉकडाउन के कारण गेहूं की फसल के दाम भी गिर गए हैं। एक तरफ जहां सभी मंडियों में काम ठप्प हैं तो वहीँ जहां, जिस मंडी में काम चल भी रहा है, वहां सिर्फ 1,600 रुपये प्रति क्विंटल के दाम में गेहूं की खरीद की जा रही है। जबकि पिछले दिनों गेहूं के रेट 2,200 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास थे।

जबकि सरकार की ओर से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य भी 1,840 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन लॉकडाउन के बाद किसान इससे भी कम दाम पर अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर है।

 

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