S-400 डील के बाद अब भारत-अमेरिकी रिश्ते की 'अग्नि परीक्षा'

Edited By Yaspal,Updated: 07 Oct, 2018 02:21 AM

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रूस के साथ एस-400 एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम सौदे पर हस्ताक्षर करने के बाद अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की स्थिति को लेकर अमेरिकी प्रशासन...

नई दिल्लीः रूस के साथ एस-400 एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम सौदे पर हस्ताक्षर करने के बाद अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की स्थिति को लेकर अमेरिकी प्रशासन में एक खास समझ है जिससे भारत को अमेरिकी कार्रवाई से बचने में मदद मिल सकती है। सामरिक मामलों के विशेषज्ञ कोमोडोर (सेवानिवृत्त) सी उदय भास्कर ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिन की यात्रा के दौरान शुक्रवार को भारत और रूस के बीच हुए पांच अरब डॉलर के सौदे से भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती की परीक्षा होगी।

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सौदा सीएएटीएसए (काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट) के तहत प्रतिबंध लग सकते हैं। इस अधिनियम का मकसद रक्षा और सामरिक क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाते हुए दंडात्मक उपायों के जरिये रूस, ईरान और उत्तर कोरिया से निपटना है। उन्होंने कहा, ‘‘टू प्लस टू वार्ता (भारत-अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच हुई वार्ता) के दौरान मोदी सरकार ने अमेरिका को बता दिया था कि रूस के साथ भारत के सैन्य संबंध काफी गहरे और पुराने हैं जिनकी शुरूआत 1960 के दशक में हुई थी। इसलिए मुझे लगता है कि भारत की स्थिति को लेकर अमेरिका में एक खास समझ है।’’ भास्कर ने कहा कि एक प्रमुख शस्त्र आयातक देश के रूप में भारत की स्थिति संवेदनशील है लेकिन वह अपनी सुरक्षा जरूरतों को लेकर किसी दूसरे देश को फरमान जारी करने की मंजूरी नहीं दे सकता।

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विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में रूस से जुड़े मामलों का प्रभार संभाल चुके पूर्व राजनयिक अनिल वाधवा ने कहा कि सीएएटीएसए के प्रभाव में आने से काफी पहले से सौदे को लेकर बातचीत चल रही थी। उन्होंने कहा कि मुद्दे पर मामला-दर-मामला आधार पर निपटना होगा और अमेरिका को सौदे को लेकर छूट देनी चाहिए। वाधवा ने कहा, ‘‘अमेरिकी प्रशासन को अमेरिकी कांग्रेस के सामने मामले को मजबूती से पेश करना होगा। वैसे भी कांग्रेस में दोनों दलों (सत्तारूढ़ रिपब्लिकन एवं विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी) की तरफ से भारत के लिए मजबूत समर्थन है।’’

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थिंक टैंक ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ के न्यूक्लियर एंड स्पेस इनीशियेटिव की सीनियर फैलो और प्रमुख राजेश्वरी राजगोपालन ने कहा कि भारत के सौदे को अंतिम रूप के कारणों में से एक प्रमुख कारण एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की तकनीकी श्रेष्ठता है। उन्होंने कहा,‘‘अमेरिका को रक्षा मिसाइल प्रणाली को लेकर भारत की जरूरत के बारे में अच्छी तरह से मालूम है और यह प्रतिबंधों के दायरे में आने से बच सकता है।’’ 

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