Edited By shukdev,Updated: 14 Oct, 2019 06:52 PM
अमर्त्य सेन के बाद अभिजीत बनर्जी ऐसे दूसरे भारतीय मूल के अर्थशास्त्री हैं जिन्हें अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला है। बता दें नोबेल पुरस्कार हर साल अद्वितीय कार्य करने वाले लोगों और संस्थाओं को दिया जाता है। यह पुरस्कार शांति, साहित्य, भौतिकी,...
नई दिल्ली: अमर्त्य सेन के बाद अभिजीत बनर्जी ऐसे दूसरे भारतीय मूल के अर्थशास्त्री हैं जिन्हें अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला है। बता दें नोबेल पुरस्कार हर साल अद्वितीय कार्य करने वाले लोगों और संस्थाओं को दिया जाता है। यह पुरस्कार शांति, साहित्य, भौतिकी, केमिस्ट्री, चिकित्सा और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिया जाता है।
अभिजीत बनर्जी
2019 का अर्थशस्त्र का नोबेल भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को दिया गया है। अभिजीत, एस्थर और माइकल को वैश्विक गरीबी कम करने की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। अभिजीत का जन्म 21 फरवरी 1961 में कोलकाता में हुआ था। इनकी माता निर्मला बनर्जी कोलकाता के सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में प्रोफेसर थीं। पिता दीपक बनर्जी प्रेसीडेंसी कॉलेज में इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर थे।
अभिजीत बनर्जी ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की हैं। उन्होंने 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। वह अभी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं।
अभिजीत बनर्जी ने एमआईटी की लेक्चरार डॉक्टर अरुणधति तुली बनर्जी से विवाह किया था, लेकिन बाद में उनका तलाक हो गया। इसके बाद अभिजीत ने साल 2015 में अर्थशास्त्री एस्थर डफलो के साथ विवाह किया। अभिजीत के साथ एस्थर को भी संयुक्त रूप से इस बार अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है।साल 2003 में उन्होंने एस्थर डुफ्लो और सेंधिल मुलाइनाथन के साथ मिलकर अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्टशन लैब (J-PAL) की स्थापना की और वह लैब के निदेशकों में से एक हैं।
बनर्जी ब्यूरो फॉर द रिसर्च इन द इकनॉमिक एनालिसिस ऑफ डेवलेपमेंट के पूर्व अध्यक्ष्ज्ञ, अमेरिकी अकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेस और द इकनॉमेट्रिक सोसाइटी के रिसर्च एसोसिएट रह चुके हैं। इसके अलावा वह काइल इंस्टीट्यूट के इंटरनेशनल, गुगेनहियम और अल्फ्रेड पी सोलान के फेलो भी रह चुके हैं। वह इंफोसिस प्राइज के विजेता भी हैं। बनर्जी ढेर सारे लेखें और पुअर इकनॉमिक्स समेत चार किताबों के लेखक हैं। उनकी किताब 'पुअर इकनॉमिक्स' को गोल्डमैन सैश बिजनेस बुक ऑफ द ईयर का खिताब मिल चुका है।
अमर्त्य सेन
अर्थशास्त्र के लिए 1998 का नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रोफेसर अमर्त्य सेन पहले एशियाई हैं। अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवम्बर, 1933 को कोलकाता के शांति निकेतन में एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम आशुतोष सेन और माता का नाम अमिता सेन था। अमर्त्य के पिता आशुतोष सेन ढाका विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के प्रोफेसर थे।
अमर्त्य सेन ने अपना शैक्षणिक जीवन जादवपुर विश्वविद्यालय में एक शिक्षक और शोध छात्र के तौर पर प्रारम्भ किया। वे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, भारतीय सांख्यिकी संस्थान, सेण्टर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज, गोखले इंस्टिट्यूट ऑफ़ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स और सेण्टर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज जैसे प्रतिष्ठित भारतीय शैक्षणिक संस्थानों से भी जुड़े रहे। सन 1972 में वे ‘लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स’ चले गए और सन 1977 तक वहां रहे और सन 1977-86 के मध्य उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड विश्व्विद्यालाय में पढाया। सन 1987 में वे हार्वर्ड चले गए और सन 1998 में उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज, का मास्टर बना दिया गया।
सन 2007 में उन्हें ‘नालंदा मेंटोर ग्रुप’ का अध्यक्ष बनाया गया। इसका उद्देश्य था प्राचीन काल में स्थित इस शिक्षण केंद्र की पुनर्स्थापना। सन 2012 में सेन को इस विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया और अगस्त 2014 में विश्वविद्यालय में शैक्षणिक कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ पर फरवरी 2015 में अमर्त्य सेन ने दूसरे अवधि के लिए अपना नाम वापस ले लिया।
अमर्त्य सेन ने अपने जीवन में तीन बार विवाह किया। उनकी पहली पत्नी थीं नब्नीता देव सेन (जिनसे उनकी दो पुत्रियां हुईं – अंतरा और नंदना) पर सन 1971 के आस-पास उनका विवाह टूट गया। इसके पश्चात अमर्त्य सेन ने सन 1978 में इतालवी अर्थशास्त्री ईवा कोलोरनी से विवाह किया पर ईवा की मौत कैंसर के कारण सन 1985 में हो गई। सन 1991 में उन्होंने एम्मा जोर्जिना रोथ्सचाईल्ड्स से विवाह किया।