जब अमिताभ बच्चन को चुनाव में मिले 4 हजार kiss vote

Edited By Mahima,Updated: 27 Mar, 2024 09:21 AM

amitabh bachchan got 4 thousand kiss votes

दिवंगत पूर्व प्रधान मंत्री श्रीमति इंदिरा गाँधी की 1984 में हुई हत्या के बाद राजीव गाँधी ने अपने सबसे करीबी दोस्त अमिताभ बच्चन को चुनाव लड़ने के लिए कहा। अमिताभ बच्चन उस दौर के सुपर स्टार थे लेकिन उन्हें राजनीति  का कोई अनुभव नहीं था।

नेशनल डेस्क: दिवंगत पूर्व प्रधान मंत्री श्रीमति इंदिरा गाँधी की 1984 में हुई हत्या के बाद राजीव गाँधी ने अपने सबसे करीबी दोस्त अमिताभ बच्चन को चुनाव लड़ने के लिए कहा। अमिताभ बच्चन उस दौर के सुपर स्टार थे लेकिन उन्हें राजनीति  का कोई अनुभव नहीं था। कांग्रेस ने उन्हें अलाहाबाद सीट से हेवी वेट कैंडिडेट हेमवतीनंदन बहुगुणा के सामने मैदान में उतार दिया।  बहुगुणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके थे और केंद्र में कद्दावर मंत्री के तौर पर भी काम कर चुके थे। 

इंदिरा गांधी से अनबन के बाद इन्होने कांग्रेस छोड़ दी थी।  इलाहाबाद में मुकाबला शुरू हुआ तो सभी ने अमिताभ बच्चन को हल्के में लिया।  किसी भी चुनाव पर्यवेक्षक ने यह नहीं कहा कि अमिताभ की चुनाव में जीत तो दूर की बात है , वे बहुगुणा को टक्कर भी दे पाएंगे। दरअसल बहुगुणा का सियासी कद ही इतना बड़ा था। ऐसे में जिस्मानी कद की लम्बाई में उनसे इक्कीस अमिताभ बच्चन के सामने बड़ी चुनौती थी। लेकिन उनका स्टारडम उनके काम आया और उन्होंने वो कर डाला जिसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी।  

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अमिताभ बच्चन ने हेमवती नंदन बहुगुणा को हजार दो हजार नहीं बल्कि एक लाख 87 हजार वोटों के अंतर से हराया। इस हार के बाद बहुगुणा सियासत से ही संन्यास ले गए थे। लेकिन इस चुनाव की एक और खास बात थी।मतगणना के दौरान अमिताभ बच्चन के चार हज़ार वोट रद हो गए। वजह बड़ी दिलचस्प थी।  इन वोटों पर लिपस्टिक   से किस मार्क   बने हुए थे। दरअसल ये अमिताभ की फैन्स  महिलाओं /लड़कियों के वोट थे जिन्होंने मतपत्र पर  मुहर के बजाये किश मार्क  लगाकर  वोट डाला था।

एक शख्स  के प्रति लगाव का ऐसा उदाहरण आजतक कोई दूसरा नहीं आया है। हालांकि ये दीगर बात है कि  अमिताभ बच्चन ने वो कार्यकाल पूरा नहीं किया और 1988  में सांसदी छोड़ दी थी। लेकिन उनके ये किश वोट इतिहास में दर्ज हो गए। लोकसभा चुनाव 1984 में संसदीय क्षेत्र इलाहाबाद में अमिताभ बच्चन की लोकप्रियता जनता के सर चढ़कर बोली थी।लोगों की अमिताभ के प्रति दीवानगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव बूथों पर रात दस बजे तक वोटिंग हुई थी।

चुनाव की अगली सुबह पोलिंग पार्टियां  करीब साढ़े दस बजे मत पेटिका लेकर रवाना हुई थीं। कई पोलिंग बूथों पर 100 फीसदी तक वोटिंग हुई थी। इतनी जबरदस्त वोटिंग देखकर उस समय चुनाव आयोग ने भी टिप्पणी की थी कि क्या एक आदमी भी वोटिंग के दिन बीमार नहीं था।उस चुनाव में इलाहाबाद में 58  फीसदी मतदान हुआ था जिसमे से 69 फीसदी वोट अमिताभ के खाते में गए थे। इस चुनाव में बहुगुणा और उनके समर्थकों ने अमिताभ बच्चन पर  खूब तंज कसे थे। बहुगुणा ने कहा था कि  ये नाचने -गाने वाले हैं (अमित-जया ) चार दिन बाद  मुंबई लौट जायेंगे।  इस पर जब मीडिया ने अमिताभ और जया से सवाल पूछे तो उनकी प्रतिक्रिया थी -बहुगुणा जी हमसे बड़े हैं , उनकी बात पर हम कुछ नहीं कह सकते।

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उस दौर में अमिताभ के खिलाफ बहुगुणा पक्ष के नारे भी दिलचस्प थे -नारों की एक बानगी देखिये :-
-हेमवती नंदन इलाहाबाद का चंदन.
-दम नहीं है पंजे में, लंबू फंसा शिकंजे में.
-सरल नहीं संसद में आना, मारो ठुमका गाओ गाना.

जब  हद हो गई तो एक जनसभा में अमिताभ बच्चन ने गाना गाया  था --- मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है।  कहते हैं इस गाने ने रही सही कसर भी पूरी कर दी, क्योंकि अमिताभ बच्चन इलाहाबाद के थे और बहुगुणा गढ़वाल के। ऐसे में उनके खिलाफ बाहरी होने का मुद्दा भी चल गया।

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बता दें कि अमिताभ बच्चन का परिवार 1956 में इलाहाबाद से दिल्ली चला गया था। वहीं से अमिताभ माया नगरी चले गए और फिल्मों में स्थापित हो गए। लेकिन इलाहाबाद वालों से उनका प्यार कम नहीं हुआ। ऐसे में चुनाव में जया बच्चन जहां भी जातीं वे बहू होने के नाते लोगों से मुंह दिखाई में अमित के लिए वोट मांगतीं। लेकिन शायद जया भादुड़ी ने भी सोचा न होगा कि  इतनी अधिक मुंह दिखाई मिलेगी।

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