अन्ना हजारे का PM मोदी को खत, सरकार पर लगाया ‘हुकूमतंत्र’ का आरोप

Edited By vasudha,Updated: 16 Jan, 2019 04:53 PM

anna hazare letter to pm modi

गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे ने मौजूदा मोदी सरकार पर संस्थानों को समाप्त कर देश को ‘हुकुमतंत्र’ की तरफ ले जाने का आरोप लगाया। इसके साथ ही उन्होंने लोकपाल गठन की मांग को लेकर 30 जनवरी से एक बार फिर अनशन करने की चेतावनी दी...

नेशनल डेस्क: गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे ने मौजूदा मोदी सरकार पर संस्थानों को समाप्त कर देश को ‘हुकुमतंत्र’ की तरफ ले जाने का आरोप लगाया। इसके साथ ही उन्होंने लोकपाल गठन की मांग को लेकर 30 जनवरी से एक बार फिर अनशन करने की चेतावनी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में अन्ना ने कहा कि उनकी सरकार सर्वोच्च न्यायालय जैसी संवैधानिक संस्थान, लोकसभा और राज्यसभा जैसी संवैधानिक संस्थानों के निर्णयों का पालन नही करती है और देश को ‘‘लोकतंत्र से हुकुमतंत्र के तरफ’’ ले जा रही है। 
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अन्ना ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि आप और आपकी सरकार महात्मा गांधीजी, सरदार वल्लभभाई पटेल को मानती है, लेकिन उन्होंने अपने जीवन में जिस सत्य को संभाला उस सत्य को छोडकर चल रही है। आपकी सरकार द्वारा देशवासियों के साथ धोखाधड़ी हो रही है। इस कारण मैं 30 जनवरी 2019 को मेरे गाँव रालेगणसिद्धी में अनशन कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि लोकपाल और लोकायुक्त जैसे महत्त्वपूर्ण कानून पर अमल नहीं होना और सरकार का बार-बार झूठ बोलना वह बरदास्त नहीं कर सकते। इसलिए, उन्होंने महात्मा गांधी की पुण्य तिथि से अनशन का निर्णय लिया है। 

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समाजसेवी ने कहा कि हमारे देश में संविधान सबसे ऊपर है। देश को लोकतांत्रिक मार्ग से चलाने के लिए संविधान के आधार पर संसद के रूप में अलग-अलग संवैधानिक संस्थान बनाये गये हैं। सरकार किसी भी पार्टी की हो, देश को लोकतांत्रिक मार्ग से चलाने के लिए संवैधानिक संस्थानों के निर्णय का पालन करना बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री और सरकार संवैधानिक संस्थानों के निर्णयों का पालन नहीं कर रहीं है। देश के लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है।
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उल्लेखनीय है कि अन्ना ने लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर अगस्त 2011 में बड़ा आंदोलन किया था। इसके बाद 10 दिसंबर 2013 को उन्होंने रालेगणसिद्धी में आंदोलन किया जिसके दबाव में दिसंबर 2013 में राज्यसभा में और 18 दिसंबर 2013 को लोकसभा में लोकपाल-लोकायुक्त विधेयक पारित हो गया। उस पर 1 जनवरी को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह कानून बन गया। अन्ना ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के करीब पांच साल बाद भी मोदी सरकार ने लोकपाल और लोकायुक्त बनाने के लिए कोई काम नहीं किया। अलग-अलग बहाने बनाकर वह इस कानून के अमल को टालती रही। यह देश के लिए बहुत दु:खद बात है।

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