डर के साये में दिल्ली: एक इंजेक्शन बना बच्चों के लिए काल

Edited By Anil dev,Updated: 22 Sep, 2018 09:02 AM

anti diphtheria injection child uttar pradesh

एंटी डिप्थीरिया का सीरम नहीं मिलने से 24 घंटे के अंदर 4 और बच्चों की मौत हो गई है। 21 दिनों में अब तक कुल 19 बच्चों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में तीन बच्चे दिल्ली एनसीआर के  हैं। महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि...

नई दिल्ली,(नवोदय टाइम्स): एंटी डिप्थीरिया का सीरम नहीं मिलने से 24 घंटे के अंदर 4 और बच्चों की मौत हो गई है। 21 दिनों में अब तक कुल 19 बच्चों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में तीन बच्चे दिल्ली एनसीआर के  हैं। महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि इन बच्चों को एंटी डिप्थीरिया का सीरम देने के बाद भी नहीं बचाया जा सकता था, क्योंकि इनके भीतरी अंग पूरी तरह नष्ट हो चुके थे। गौरतलब है कि दिल्ली एनसीआर समेत आस-पास के कई जिलों से डिप्थीरिया के मरीज राजधानी के महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में भर्ती कराए जा रहे हैं। यहां 6 सितम्बर से अब तक 85 मरीजों को भर्ती कराया गया। 

टीका नहीं लगवाना बन रहा काल
अस्पताल में हुई मौतों में एक को छोड़कर बाकी सभी मासूम उत्तर-प्रदेश के रहने वाले थे। यहां पर जो बच्चे भर्ती हैं, यूपी के स्लम इलाकों से आए हैं। दिल्ली के बवाना, जहांगीरपुरी, गाजियाबाद, संभल, गौतमबुद्धनगर, बिजनौर, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, अमरोहा, सहारनपुर, ग्रेटर नोएडा आदि के स्लम इलाकों के मासूम डिप्थीरिया से बीमार हो रहे हैं। बताया गया कि संभल में हालात इतने बुरे हो चुके हैं कि घर-घर में यह बीमारी फैलती जा रही है। मुजफ्फरनगर से आए एक मरीज ने बताया कि जन्म के बाद सरकारी अस्पताल में बच्चे को डिप्थीरिया का टीका लगाया गया था। एक टीके के बाद मासूम की तबीयत अचानक बिगडऩे लगी। ऐसे में आगे टीकाकरण कराया नहीं है। अब बच्चों को यह रोग घेर रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि निगम के इस अस्पताल में इस वर्ष अब तक डिप्थीरिया से पीड़ित 326 बच्चे भर्ती हो चुके हैं, जिनमें से 44 की मौत हो चुकी है। पिछले वर्ष इससे पीड़ित 546 मरीज भर्ती हुए थे, जिनमें से 90 बच्चों की मौत हो गई थी। 

तीन सदस्यीय कमेटी करेगी जांच
महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में डिप्थीरिया के कारण हुई मौतों की जांच तीन सदस्यीय कमेटी करेगी। कमेटी में अतिरिक्त आयुक्त स्वास्थ्य और कस्तूरबा गांधी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक व बाड़ा हिन्दू राव अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक शामिल हैं। महापौर ने तीन दिन के अंदर ही इस पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। 

नर्सों ने कहा, दिल दुखता है
अस्पताल की नर्सों का कहना है कि मासूमों को मौत के मुंह में देखक र बहुत दु:ख होता है। लोगों को इस बात के प्रति जरूर सजग होना चाहिए कि वह अपने बच्चे का टीकाकरण अवश्य कराएं। ताकि इस कदर बच्चे मौत का शिकार नहीं बनें। यह सब टीकाकरण न कराने का ही परिणाम है। 

महापौर ने किया निरीक्षण
उत्तरी दिल्ली निगम के महापौर आदेश गुप्ता ने शुक्रवार को महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल का निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने इलाज में पूरी सावधानी बरतने के निर्देश दिए।

कैं डल मार्च निकाला गया
मासूमों की मौत का गुस्सा दिल्ली के लोगों में भी साफ-साफ दिखाई दे रहा है। गुस्साए लोगों ने शनिवार को हाजी कॉलोनी में एक कैंडल मार्च का आयोजन कि या। मार्च में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लेकर एमसीडी के खिलाफ नारेबाजी की। लोगों का कहना था कि अस्पताल में दवा तक मौजूद नहीं है। कांग्रेस नेता मोहम्मद शारिक ने कहा कि यह निगम की नाकामी है। 

एक ही परिवार में तीन की मौत
डिप्थीरिया के कहर से अलीगढ़ निवासी मोहम्मद छोटे का परिवार पूरी तरह टूट गया है। पिछले एक सप्ताह के अंदर इस परिवार की तीन बच्चियों की मौत हो गई। इस परिवार की दो बेटी और एक बेटा अब भी महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में भर्ती हैं। मोहम्मद छोटे ने बताया कि सबसे पहले बेटी अंजू  फिर आलिया और इसके बाद बेटी निशां की मौत हुई है। बेटी साहीन और बेटे सोहेल का इलाज चल रहा है। 
 

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