अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से राहत, अंतरिम जमानत मिली

Edited By Pardeep,Updated: 11 Nov, 2020 08:55 PM

arnab goswami gets relief from supreme court interim bail

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ, आत्महत्या के लिए उकसाने के 2018 के मामले में अंतरिम जमानत को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में अन्य आरोपियों की जमानत को भी मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इ

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ, आत्महत्या के लिए उकसाने के 2018 के मामले में अंतरिम जमानत को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में अन्य आरोपियों की जमानत को भी मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाये और कहा कि इस तरह से किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी पर बंदिश लगाया जाना न्याय का मखौल होगा। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिये उच्चतम न्यायालय है।


शीर्ष अदालत ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि राज्य सरकारें कुछ लोगों को विचारधारा और मत भिन्नता के आधार पर निशाना बना रही हैं। अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुये पीठ ने कहा, ‘‘हम देख रहे हैं कि एक के बाद एक ऐसा मामला है जिसमें उच्च न्यायालय जमानत नहीं दे रहे हैं और वे लोगों की स्वतंत्रता, निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में विफल हो रहे हैं।’’ 

अदालत ने राज्य सरकार से पूछे ये सवाल
न्यायालय ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि क्या गोस्वामी को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की कोई जरूरत थी क्योंकि यह व्यक्तिगत आजादी से संबंधित मामला है। पीठ ने टिप्पणी की कि भारतीय लोकतंत्र असाधारण तरीके से लचीला है और महाराष्ट्र सरकार को इन सबको (टीवी पर अर्नब के ताने) नजरअंदाज करना चाहिए।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘उनकी जो भी विचारधारा हो, कम से कम मैं तो उनका चैनल नहीं देखता लेकिन अगर सांविधानिक न्यायालय आज इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा तो हम निर्विवाद रूप से बर्बादी की ओर बढ़ रहे होंगे।’’

पीठ ने कहा, ‘‘सवाल यह है कि क्या आप इन आरोपों के कारण व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत आजादी से वंचित कर देंगे ?’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘अगर सरकार इस आधार पर लोगों को निशाना बनाएंगी...आप टेलीविजन चैनल को नापसंद कर सकते हैं.... लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए।’’ पीठ ने टिप्पणी की कि मान लीजिए की प्राथमिकी ‘पूरी तरह सच’ है लेकिन यह जांच का विषय है।
 

 

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