Edited By ,Updated: 01 Mar, 2015 03:17 PM
कांग्रेस में राहुल गांधी की भावी भूमिका को लेकर छिड़ी बहस के बीच एक नई किताब में कहा गया है कि युवा नेता ने ‘सामने आने में बहुत समय लिया’ और वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उनका प्रचार अभियान हालिया समय का ‘सर्वाधिक खराब’ अभियान था।
नई दिल्ली: कांग्रेस में राहुल गांधी की भावी भूमिका को लेकर छिड़ी बहस के बीच एक नई किताब में कहा गया है कि युवा नेता ने ‘सामने आने में बहुत समय लिया’ और वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उनका प्रचार अभियान हालिया समय का ‘सर्वाधिक खराब’ अभियान था। इस किताब में राहुल की राजनीतिक रुप से आत्महत्या का भी जिक्र किया गया है।
वरिष्ठ पत्रकार वीर सांघवी की जल्द ही आ रही नई पुस्तक ‘मैंडेट: विल ऑफ द पीपुल’ में हाल के राजनीतिक इतिहास की कई घटनाओं का जिक्र है। इसमें साल 2004 में सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने से इंकार करने और बड़े मुद्दों पर राहुल गांधी के दुविधा में रहने की प्रवृति ने परिदृश्य में भाजपा के उभरने का मार्ग प्रशस्त किया।
लेखक का कहना है कि राहुल ने सामने आने में ‘बहुत लंबा’ समय लिया और जब वह सामने आए तो यह स्पष्ट नहीं था कि वह मनमोहन सिंह सरकार के पक्ष में हैं अथवा खिलाफ में हैं। उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल के प्रचार अभियान को हाल की स्मृति में ‘सबसे खराब’ करार दिया।
सांघवी लिखते हैं, ‘‘प्रेस से दूरी बनाए रखते हुए और प्रमुख मुद्दों पर अपने नजरिए को हमसे साझा करने से इंकार करने वाले राहुल ने अपने पहले साक्षात्कार में राजनीतिक रूप से आत्महत्या कर ली।’’