भारत के पास कड़े निर्णय लागू करने की क्षमता: जेतली

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Oct, 2017 03:21 PM

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वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत एक अधिक स्वच्छ और बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। उसके पास कड़े निर्णयों को बड़े पैमाने पर प्रभावी तरीके से लागू करने की क्षमता है।

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत एक अधिक स्वच्छ और बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। उसके पास कड़े निर्णयों को बड़े पैमाने पर प्रभावी तरीके से लागू करने की क्षमता है।  उन्होंने यह भी कहा कि भारत ऐसे समय में सबसे खुली और वैश्विक तौर पर एकीकृत अर्थव्यवस्था बना है जब अन्य अर्थव्यवस्थायें अधिक संरक्षणवादी बनती जा रही हैं।  जेतली ने कहा, ‘‘ एक अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को एक बहुत बड़ी औपचारिक अर्थव्यवस्था बनाने के लिए आपको नोटबंदी एवं वित्तीय समावेशन समेत माल एवं सेवाकर (जीएसटी) और प्रत्यक्ष कर प्रोत्साहन जैसे विभिन्न कदमों को आपको एक के बाद एक उठाना पड़ता है और उसके लिये ढांचा तैयार करना होता है।’’  वह यहां जीएसटी लागू करने के बाद पहली बार अमेरिकी निवेशकों से मुखातिब थे। 

 जेतली  ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत के पास ना सिर्फ एक बड़े बाजार की बल्कि एक अधिक स्वच्छ और बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता है जो अब बड़े विचारों को अपनाने और लागू करने में समर्थ है।’’  भारत-अमेरिका व्यावसायिक परिषद और भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा संयुक्त तौर पर आयोजित एक कार्यक्रम में जेतली  ने यह बातें न्यूयॉर्क के लोगों से कहीं।  जेतली  ने निवेशकों से कहा कि भारत के पास अब कड़े निर्णयों को लागू करने और प्रभावशाली तरीके से उन्हें ऊंचे स्तर तक ले जाने की क्षमता है।  उन्होंने बड़ी संख्या में आधारभूत परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार इस पर काम कर रही है और देश के समूचे आॢथक हालत को बेहतर बनाने के लिये कर दायरे को बढ़ाने की जरूरत है। 

जेतली ने कहा, ‘‘क्रमिक बदलाव हमेशा होते रहे हैं। लेकिन यह काम एक विशेष प्रक्रिया पर होता है और मेरा मानना है कि आज भारत के पास वह क्षमता है कि वह बड़े विचारों को अपना सके और इन्हें लागू कर सके।’’  उन्होंने कहा कि इन बड़े बदलावों को लागू करने से चुनौतियां भी आती हैं।  जेटली ने माना कि जीएसटी को लागू करने के बाद विनिर्माण में कुछ समय के लिए गिरावट आयी थी क्योंकि विनिर्माता अपने तैयार माल को पहले निकालना चाहते थे। तो बदलाव के दौरान आने वाली यह छोटी दिक्कतें अक्सर आती हैं लेकिन इससे दीर्घवधि में भारत की अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रभावित नहीं होगा।
 

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