Edited By Yaspal,Updated: 15 Mar, 2019 10:08 PM
कांग्रेस के आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की सूची तैयार करने की कवायद के बीच, राजनीतिक गलियारों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव को टिकट दिए जाने को लेकर अटकलें तेज हो गयी हैं...
जयपुरः कांग्रेस के आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की सूची तैयार करने की कवायद के बीच, राजनीतिक गलियारों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव को टिकट दिए जाने को लेकर अटकलें तेज हो गयी हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस में महासचिव वैभव गहलोत को पार्टी उनके गृह क्षेत्र जोधपुर या जालोर-सिरोही लोकसभा सीट से चुनाव लड़वा सकती है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इन दोनों सीटों की जिला कांग्रेस समितियों ने वैभव की दावेदारी का समर्थन किया है। इसके अलावा, वैभव को राज्य की टोंक सवाई माधोपुर सीट से भी उतारा जा सकता है क्योंकि 2009 के लोकसभा चुनाव में भी उनका नाम इस सीट के लिए सामने आया था। खुद मुख्यमंत्री गहलोत के हाल ही में सिरोही में दिए एक बयान को देखा जाए तो वैभव को जालोर-सिरोही सीट से उतारा जा सकता है। मुख्यमंत्री ने सिरोही की यात्रा पर कहा था, ‘‘मुझे पता है कि वैभव का नाम चल रहा है। पांच साल पहले मेरी इच्छा थी कि वह जालोर-सिरोही सीट से लड़े। लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें टिकट नहीं मिली।’’
हाईकमान लेगा फैसला
मुख्यमंत्री ने हालांकि स्पष्ट किया था कि टिकट वितरण के बारे में अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान ही करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम तो कांग्रेस के निष्ठावान सिपाही हैं। अगर राहुल गांधी किसी अन्य प्रत्याशी को चुनते हैं तो आप उसे भी वैभव गहलोत समझकर वोट देना।’’ बाद में, मुख्यमंत्री ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि अगर यह उनके हाथ में होता तो वह वैभव गहलोत को चुनाव लडऩे का अवसर दस साल पहले ही दे चुके होते।
उपमुख्यमंत्री भी कर चुके हैं दावेदारी
पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट भी एक तरह से वैभव की दावेदारी का समर्थन कर चुके हैं। पायलट ने जनवरी में एक कार्यक्रम में कहा था,‘‘ वैभव गहलोत लंबे समय से पार्टी में सक्रिय हैं। कुछ कारणों के चलते उन्हें पहले चुनाव लडऩे का मौका नहीं मिला। लेकिन हमारा प्रयास रहेगा कि उन जैसे लोगों को आगे बढने का मौका मिले। पार्टी युवाओं पर ध्यान देगी और उन्हें आगे लाने का प्रयास करेगी।’’
हालांकि, पायलट ने पांच मार्च को बयान दिया था कि कांग्रेस की राय है कि वर्तमान सांसदों, विधायकों, अतीत में चुनाव हार चुके नेताओं तथा पार्टी नेताओं के रिश्तेदारों से अलग उम्मीदवार खोजना बेहतर होगा। पायलट ने एक कार्यक्रम में कहा था कि पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता की इच्छा के साथ-साथ जीतने की क्षमता को ध्यान में रखा जाएगा। राजस्थान में मतदान 29 अप्रैल और छह मई को दो चरणों में होगा।