Edited By Anu Malhotra,Updated: 02 Oct, 2025 02:37 PM

Aisa Cup 2025 खत्म हो चुका है, लेकिन इसका शोर थमा नहीं है। क्रिकेट मैदान पर भारत ने भले ही पाकिस्तान को हराकर खिताब जीत लिया हो, पर असली लड़ाई अब ट्रॉफी को लेकर छिड़ी है। यह विवाद अब सिर्फ खेल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कूटनीतिक और राजनीतिक संकेतों...
नेशनल डेस्क: Aisa Cup 2025 खत्म हो चुका है, लेकिन इसका शोर थमा नहीं है। क्रिकेट मैदान पर भारत ने भले ही पाकिस्तान को हराकर खिताब जीत लिया हो, पर असली लड़ाई अब ट्रॉफी को लेकर छिड़ी है। यह विवाद अब सिर्फ खेल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कूटनीतिक और राजनीतिक संकेतों में तब्दील होता नजर आ रहा है।
मैदान में झगड़ा, ड्रेसिंग रूम में तनातनी
जहां टूर्नामेंट के दौरान पाकिस्तानी खिलाड़ियों के व्यवहार पर पहले ही सवाल उठ चुके थे – जैसे कि 6-0 का इशारा, वायुसेना पर तंज कसती हरकतें और खेल भावना को ठेस पहुंचाने वाली भाषा – वहीं अब ट्रॉफी से जुड़ा घटनाक्रम सबका ध्यान खींच रहा है। पाकिस्तान के एक क्रिकेट एक्सपर्ट और विश्लेषक अमीर हुसैन ने दावा किया है कि एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) के चेयरमैन और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के अध्यक्ष मोहसिन नकवी, भारतीय टीम को ट्रॉफी सौंपने खुद उनके ड्रेसिंग रूम तक पहुंचे थे।
अमीर हुसैन का कहना है कि जब भारतीय टीम स्टेज पर ट्रॉफी लेने नहीं आई, तो नकवी करीब 20 मिनट तक मंच पर खड़े रहे। इसके बाद वे पाक कप्तान सलमान अली आगा और कोच माइक हेसन के साथ भारतीय ड्रेसिंग रूम की ओर रवाना हुए, जहां सूर्यकुमार यादव से बातचीत भी हुई। लेकिन फिर भी ट्रॉफी सौंपने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी।
ट्रॉफी आखिर गई कहां?
विवाद का असली झटका तब लगा जब यह सामने आया कि ट्रॉफी, भारत को दिए बिना ही पाकिस्तान वापस ले जाई गई। अमीर हुसैन ने खुद यह स्वीकार किया है कि यह कदम अनुचित था और इससे पूरे टूर्नामेंट की गरिमा पर सवाल उठते हैं। उन्होंने कहा, “अगर ACC के चेयरमैन मोहसिन नकवी हैं, तो ट्रॉफी उन्हीं को देनी चाहिए। अगर ICC के चेयरमैन जय शाह होते, तब भी हम स्वीकार करते। भारत को आपत्ति इसलिए है क्योंकि नकवी पाकिस्तानी हैं, न कि ACC प्रमुख।”
'हक और इज्जत दोनों की बात है'
अमीर ने यह भी कहा कि भारत का ट्रॉफी न लेना और पाकिस्तान का ट्रॉफी वापस ले जाना दोनों ही स्थितियां गलत हैं। “अगर हम जय शाह से ट्रॉफी लेने में परहेज़ नहीं करते, तो भारत को भी ACC के अध्यक्ष से ट्रॉफी लेने में आपत्ति नहीं होनी चाहिए थी। ट्रॉफी भारत की है, क्योंकि उन्होंने जीता है – इसमें कोई शक नहीं है,” उन्होंने जोड़ा।
पाकिस्तान की भीतरी बेचैनी
मोहसिन नकवी के भारतीय ड्रेसिंग रूम की ओर जाते वक्त वहां मौजूद पाकिस्तानी स्टाफ और समर्थकों ने भी उन्हें रोका था। “उधर मत जाइए, अगर वो नहीं ले रहे तो ट्रॉफी लेकर लौट आइए,” ऐसी आवाजें भी सुनाई दीं। मगर नकवी ने कहा, “मेरा फर्ज है उन्हें समझाना।” सूर्यकुमार से उनकी बातचीत हुई, लेकिन बात बनी नहीं।
क्या यह केवल ट्रॉफी का मामला है?
दरअसल, यह विवाद सिर्फ एक कप की अदला-बदली का नहीं है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ते अविश्वास, कूटनीति की पेचीदगियों और खेल में घुलते राजनीतिक तत्वों की झलक देता है। यह पहला मौका है जब किसी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट की ट्रॉफी चैंपियन को दिए बिना आयोजनकर्ता देश वापस लौट गया। और वह भी तब, जब भारत ने दमदार प्रदर्शन करते हुए खिताब अपने नाम किया हो।