Edited By Anil dev,Updated: 27 Jun, 2019 03:39 PM
असम में विदेशी समझकर हिरासत शिविर में रखी गई 59 वर्षीय महिला को तीन साल बाद रिहा कर दिया गया। पुलिस ने स्वीकार किया है कि वह गलत पहचान की शिकार हुईं। अधिकारियों ने गलत व्यक्ति को हिरासत में लिया था।
गुवाहाटी: असम में विदेशी समझकर हिरासत शिविर में रखी गई 59 वर्षीय महिला को तीन साल बाद रिहा कर दिया गया। पुलिस ने स्वीकार किया है कि वह गलत पहचान की शिकार हुईं। अधिकारियों ने गलत व्यक्ति को हिरासत में लिया था। मधुबाला मंडल कोकराझार स्थित अवैध आप्रवासियों के शिविर से रिहा होने के कुछ देर बाद बुधवार शाम को अपनी बधिर बेटी के घर लौट आईं। मधुबाला की रिहाई विदेशियों के न्यायाधिकरण के समक्ष पुलिस के यह स्वीकार करने के बाद हुई कि उन्होंने 2016 में न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित की गई मधुबाला दास की जगह मधुबाला मंडल को हिरासत शिविर में भेज दिया था।
गलत पहचान का शिकार हुई मधुबाला मंडल
दोनों महिलाएं चिरांग जिले के विष्णुपुर से संबंध रखती हैं। चिरांग जिले के पुलिस अधीक्षक सुधाकर सिंह ने मीडिया को बताया, मुझे जब यह शिकायत मिली कि मधुबाला मंडल गलत पहचान का शिकार हुई हैं और उन्हें हिरासत केन्द्र भेज दिया गया तो मैंने जांच बिठाई और तथ्य सामने आ गए। यह गलत पहचान का मामला था। सुधाकर ने पुलिस मुख्यालय को इसकी सूचना दी और इस कार्रवाई में सुधार के लिए विदेशियों के न्यायाधिकरण गए। उन्होंने कहा, न्यायाधिकरण ने 25 जून को उन्हें रिहा करने का आदेश जारी किया।