आतिशी का दावा, दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगता है, तो यह ''राजनीतिक प्रतिशोध'' का मामला होगा

Edited By Parveen Kumar,Updated: 27 Mar, 2024 10:00 PM

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दिल्ली की कैबिनेट मंत्री आतिशी ने बुधवार को कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, तो यह स्पष्ट तौर पर ‘‘राजनीतिक प्रतिशोध'' का मामला होगा।

नेशनल डेस्क : दिल्ली की कैबिनेट मंत्री आतिशी ने बुधवार को कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, तो यह स्पष्ट तौर पर ‘‘राजनीतिक प्रतिशोध'' का मामला होगा। दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी की सरकार जेल से नहीं चलाई जाएगी। सक्सेना की यह टिप्पणी आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं के उन बयानों की पृष्ठभूमि में आई, जिसमें उन्होंने कहा था कि अरविंद केजरीवाल जेल में रहने के बावजूद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे।

सक्सेना के बयान पर आतिशी ने ‘पीटीआई-भाषा' के साथ एक साक्षात्कार में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का हवाला दिया, जो किसी विधायक को दोषी ठहराए जाने पर अयोग्य घोषित कर देता है। आतिशी ने कहा, ‘‘वह (उपराज्यपाल) किस संवैधानिक प्रावधान का जिक्र कर रहे हैं? देश का कानून बिल्कुल स्पष्ट है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम में स्पष्ट कहा गया है कि यदि आपके पास सदन में बहुमत नहीं है तो आप मुख्यमंत्री नहीं बन सकते। ये प्रावधान लागू नहीं होते फिर, किन परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा?'' आतिशी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय भी कह चुका है कि राष्ट्रपति शासन तभी लगाया जा सकता है जब कोई विकल्प न हो।

मंत्री ने कहा, ‘‘देश का कानून बहुत स्पष्ट है-राष्ट्रपति शासन केवल तभी लगाया जा सकता है जब कोई अन्य विकल्प न हो। अनुच्छेद 356 का मुद्दा कई बार उच्चतम न्यायालय में गया है और न्यायालय ने हर बार फैसला सुनाया है कि राष्ट्रपति शासन केवल तभी लगाया जा सकता है जब राज्य के शासन के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है।'' उन्होंने कहा, ‘‘अगर आज राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है।'' संविधान का अनुच्छेद 356 राज्य में संवैधानिक व्यवस्था की विफलता के मामले में प्रावधानों से संबंधित है। दिल्ली की मंत्री ने कहा, ‘‘आपके पास प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) है। उन्हें किसी सबूत की आवश्यकता नहीं है।

धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत नेताओं की गिरफ्तारी होने पर उन्हें जमानत नहीं मिलती है। इसलिए सभी विपक्षी मुख्यमंत्रियों को पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया जाएगा। तब उनसे कहा जाएगा कि या तो इस्तीफा दें, नहीं तो हम राष्ट्रपति शासन लागू करेंगे।'' आतिशी ने यह भी दावा किया कि अगर आबकारी नीति मामले में स्वतंत्र जांच कराई गई होती तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आरोपी होती। ईडी ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 21 मार्च को दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था। बाद में एक अदालत ने केजरीवाल को 28 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेज दिया।

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