अयोध्या विवाद: किस जमीन को लौटाने पर मची हलचल, तारीख-दर-तारीख जानिए पूरी कहानी

Edited By Seema Sharma,Updated: 30 Jan, 2019 09:38 AM

ayodhya case a stir over which land to return

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा अयोध्या मामले में गैर-विवादित जमीन मूल मालिकों को लौटाने की याचिका ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। चुनावी साल में इसे भाजपा के फिर भगवान राम का सहारा लेने से जोड़कर देखा जा रहा है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा अयोध्या मामले में गैर-विवादित जमीन मूल मालिकों को लौटाने की याचिका ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। चुनावी साल में इसे भाजपा के फिर भगवान राम का सहारा लेने से जोड़कर देखा जा रहा है। दूसरी ओर सरकार के इस चौंकाने वाले मूव को अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में हो रही देरी पर संघ और ङ्क्षहदू संगठनों के दबाव को कम करने के प्रयास के तौर पर भी देखा जा रहा है। अटकलें तेज हैं कि कहीं चुनाव से पहले सरकार का यह नया मंदिर प्लान तो नहीं है। अयोध्या विवाद में पक्षकार निर्मोही अखाड़े के साथ ही हिंदू संगठनों ने सरकार के इस कदम का समर्थन किया है। प्रयागराज कुंभ में कैबिनेट की बैठक कर रहे योगी आदित्यनाथ ने भी केंद्र के इस कदम को सद्भाव के लिए जरूरी करार दिया।
PunjabKesari


जमीन की पूरी कहानी

  • 1993: में 67 एकड़ जमीन का सरकार ने अधिग्रहण किया था। इसमें करीब 42 एकड़ जमीन राम जन्मभूमि न्यास की है।
  • 1994: में इस्माइल फारूकी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि विवादित जमीन पर कोर्ट का फैसला आने के बाद गैर-विवादित जमीन को उनके मूल मालिकों को वापस लौटाने पर विचार कर सकती है।
  • 2002: में जब गैर-विवादित जमीन पर पूजा शुरू हो गई तो असलम भूरे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस याचिका पर सुनवाई के बाद
  • 2003: में सुप्रीम कोर्ट ने 67 एकड़ पूरी जमीन पर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया।
  • 2003 में असलम भूरे फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवादित और गैर-विवादित जमीन को अलग करके नहीं देखा जा सकता।
  • 2019: में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी में कहा है कि राम जन्मभूमि न्यास ने अपने हिस्से की गैर-विवादित जमीन की मांग की है।
    PunjabKesari

बिना अध्यादेश लाए मंदिर निर्माण का रास्ता

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दी गई अर्जी में 1993 में अधिगृहीत 67 एकड़ जमीन को गैर-विवादित बताते हुए इसे इसके मालिकों को लौटाने की अपील की है। इस 67 एकड़ में राम जन्मभूमि न्यास की 42 एकड़ जमीन शामिल है। सरकार के इस कदम को बिना अध्यादेश लाए गैर-विवादित जमीन पर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
PunjabKesari


मोदी सरकार ने याचिका में किया यह दावा

केंद्र की अर्जी में कहा गया है, ‘‘आवेदक (केंद्र) अयोध्या अधिनियम, 1993 के कुछ क्षेत्रों के अधिग्रहण के तहत अधिगृहीत भूमि को वापस करने/बहाल करने/सौंपने के अपने कत्र्तव्य को पूरा करने के लिए न्यायालय की अनुमति के लिए यह आवेदन दाखिल कर रहा है।’’ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के इस्माइल फारूकी मामले में फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने माना था कि अगर केंद्र अधिगृहीत की गई संपत्ति को उनके मूल मालिकों को लौटाना चाहे तो वह ऐसा कर सकता है। याचिका में केंद्र ने कहा, ‘‘इस अदालत की संविधान पीठ ने माना है कि 0.313 एकड़ के विवादित क्षेत्र के अलावा अतिरिक्त क्षेत्र अपने मूल मालिकों को वापस कर दिया जाए।’’ याचिका में कहा गया कि राम जन्मभूमि न्यास (राम मंदिर निर्माण को प्रोत्साहन देने वाला ट्रस्ट) ने 1991 में अधिगृहीत अतिरिक्त भूमि को मूल मालिकों को वापस दिए जाने की मांग की थी।
PunjabKesari


क्या गैर-विवादित जमीन वापस मिल सकती है?

सरकार के इस मूव के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट गैर-विवादित जमीन को संबंधित मालिकों को लौटा सकता है। 2003 में असलम भूरे की याचिका पर फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विवादित और गैर-विवादित जमीन को अलग करके नहीं देखा जा सकता। अधिगृहीत जमीन को उनके मालिकों को वापस लौटाया जा सकता है लेकिन इसके लिए जमीन मालिकों को कोर्ट में अर्जी दायर करनी होगी। इसके बाद राम जन्मभूमि न्यास ने अपनी गैर-विवादित जमीन 42 एकड़ पर अपना मालिकाना हक हासिल करने के लिए सरकार से गुहार लगाई।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!