नरसिम्हा राव अगर ये कदम उठाते तो बच सकती थी बाबरी मस्जिद, आखिर कहां हुई थी चूक

Edited By Anil dev,Updated: 09 Nov, 2019 10:02 AM

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प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को आर्थिक सुधारों के जनक के तौर पर याद किया जाता है लेकिन उनके कार्यकाल में उनसे एक ऐसी चूक हुई जिसने न सिर्फ देश का साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ा बल्कि कांग्रेस को भी उत्तर प्रदेश में पूरी तरह दफन कर दिया। यह चूक बाबरी मस्जिद...

इलेक्शन डेस्क(नरेश कुमार): प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को आर्थिक सुधारों के जनक के तौर पर याद किया जाता है लेकिन उनके कार्यकाल में उनसे एक ऐसी चूक हुई जिसने न सिर्फ देश का साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ा बल्कि कांग्रेस को भी उत्तर प्रदेश में पूरी तरह दफन कर दिया। यह चूक बाबरी मस्जिद को गिराए जाने की साजिश को समझने में हुई। 

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दरअसल 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी विध्वंस से पहले प्रधानमंत्री लगातार भाजपा नेताओं के साथ बैठकें कर रहे थे। दिसम्बर के पहले हफ्ते में उन्होंने लाल कृष्ण अडवानी और मुरली मनोहर जोशी सहित भाजपा व संघ के तमाम नेताओं से मुलाकातें कीं लेकिन इन मुलाकातों के दौरान वह इन नेताओं के अयोध्या को लेकर प्लान को समझ नहीं सके और संघ और भाजपा के नेताओं ने 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरा दी। 

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इस मस्जिद के गिरने के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के प्रति काफी गुस्सा हो गया और 1993 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 27 सीटों पर सिमट गई। जबकि 1989 के चुनाव में उसे 97 सीटें हासिल हुई थीं। उस समय की गिरी कांग्रेस उत्तर प्रदेश में आज तक उठ नहीं पाई है और उसे विधानसभा में अब तक बहुमत हासिल नहीं हुआ और न ही वहां उसकी सरकार बन पाई। पूरे मामले में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव पर भी इसलिए आरोप लगते रहे क्योंकि वह पूरे मामले को समझने में नाकाम रहे और सुरक्षा को लेकर भी सरकार की चूक स्पष्ट नजर आई। 

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