बालाकोट एयर स्ट्राइक: आज के दिन भारत का पाक से बदला हुआ था पूरा, ऐसे बनी थी दुश्मनों को तबाह करने की

Edited By vasudha,Updated: 26 Feb, 2021 11:16 AM

balakot air strike two years

कहने को तो फरवरी सबसे छोटा महीना है, लेकिन भारत के इतिहास में इसका अलग ही महत्व है। इसी महीने की  26 तारीख की बात करें तो दो बरस पहले की याद सबके जहन में ताजा होगी, जब भारतीय वायु सेना के विमानों ने नियंत्रण रेखा को पार कर पाकिस्तान के बालाकोट में...

नेशनल डेस्क:  कहने को तो फरवरी सबसे छोटा महीना है, लेकिन भारत के इतिहास में इसका अलग ही महत्व है। इसी महीने की  26 तारीख की बात करें तो दो बरस पहले की याद सबके जहन में ताजा होगी, जब भारतीय वायु सेना के विमानों ने नियंत्रण रेखा को पार कर पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद द्वारा चलाए जा रहे आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया था। यह भारत का 14 फरवरी को पुलवामा में भारतीय सुरक्षाकर्मियों पर किए गए कायराना आत्मघाती बम हमले का पाकिस्तान को करारा जवाब था। यहां पढ़िए बालाकोट एयर स्ट्राइक की पूरी कहानी:-

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14 फरवरी के हमले से गुस्से में था देश 
14 फरवरी 2019  को जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने जब पुलवामा में CRPF के काफिले पर हमला किया तो 40 जवान शहीद हो गए। आतंकियों की इस कायराना हरकत के बाद देश भर में गुस्सा था। घटना के  दो सप्ताह के बाद यानी 26 फ़रवरी को भारत ने दावा किया कि भारतीय वायु सेना के मिराज-2000 विमान ने रात के अंधेरे में नियंत्रण रेखा को पार करके पाकिस्तान के पूर्वोत्तर इलाक़े, खैबर पख़्तूनख़्वाह के शहर बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकवादी संगठन के 'प्रशिक्षण शिविरों' के ठिकानों पर सिलसिलेवार 'सर्जिकल स्ट्राइक' किया है। 

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प्रधानमंत्री ने सुरक्षा बलों को दे दी थी खुली छूट
बालाकोट हवाई हमले की योजना बनाने वाले और उसे अंजाम देने वाले शख्स एयर मार्शल हरि कुमार का कहना था कि लक्ष्य और अंजाम देने का विकल्प बहुत सारी योजनाओं और खुफिया जानकारी के बाद चुना गया था। पाकिस्तान को यह संदेश देना ज़रूरी था कि भारत पुलवामा जैसे किसी भी हमले को और ज्यादा बर्दाश्त नहीं करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 फरवरी को  सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की बैठक बुलाकर  सुरक्षा बलों को खुली छूट दे दी थी। कार्रवाई का वक्‍त, जगह और तरीका वे खुद तय करने को कहा गया था।

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22 फरवरी से शुरू हो गई थी तैयारी 
पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन की तैयारियां 22 फरवरी से ही शुरू हो गई थी। उस  रात से भारतीय एयरफोर्स ने अपने कई एयरेबेसेज से लड़ाकू विमानों की टेस्टिंग फ्लाइट शुरू कर दी। इन फ्लाइट्स का मकसद था दुश्‍मन को कंफ्यूज करना। कॉम्बैट एयर पैट्रोल्स (CAP) को लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर उड़ाया गया। 25 फरवरी को पुख्ता इंटेलिजेंस इनपुट मिला कि बालाकोट में जैश के कैंप में 300 से 350 आतंकवादी मौजूद हैं।  सेना ने तय कर लिया कि रात के वक्त कार्रवाई को अंजाम दे दिया जाएगा।

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90 सेकंड में खत्म हो गया था मिशन
भारत ने 26 फरवरी की देर रात को पाकिस्तान से का बदला लिया और वहां स्थित बालाकोट में जैश के ट्रेनिंग सेंटर पर मिराज फाइटर प्लेन से 1000 किलो बम बरसाए। पहली एयरस्ट्राइक 3 बजकर 28 मिनट पर हुई और चार बजे तक मिशन पूरा हो गया था। सभी लड़ाकू विमान सुरक्षित लौटकर पश्चिमी कमान के दो अड्डों पर उतर गए। स्‍ट्राइक में शामिल मिराज 2000 लड़ाकू विमान के एक पायलट ने कहा था, ‘मिशन 90 सेकंड में खत्म हो गया था। 

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जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने किए ध्वस्त
बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने ध्वस्त कर दिए थे और इसकी गोपनीयता बनाए रखने के लिए इसका कोडनेम ‘ऑपरेशन बंदर’ रखा था। भारतीय वायुसेना में केवल कुछ ही लोग इस हमले के बारे में जानते थे।  पहली बार था जब भारतीय वायुसेना बालाकोट में हमला 1971 के युद्ध के बाद भारतीय क्षेत्र के बाहर हमले किया था। एयर मार्शल कुमार ने कहा था कि  सेक्रेसी सबसे महत्वपूर्ण बात थी क्योंकि आश्चर्य हमेशा हमले का सबसे बड़ा कारक होता है। उन्होंने कहा था कि  प्रारंभिक योजना में केवल चार अधिकारी शामिल थे, जिनमें वह और वायुसेना प्रमुख शामिल थे। 
 

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