भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीडीटी की बड़ी कार्रवाई, 15 नौकरशाहों को जबरन किया रिटायर

Edited By Yaspal,Updated: 27 Sep, 2019 07:01 PM

big action by cbdt against corruption 15 bureaucrats forcibly retire

भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों में संलिप्त अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के अभियान के चौथे चक्र में 15 और कर अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दी गयी है। केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने मूलभूत नियम

नेशनल डेस्कः भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों में संलिप्त अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के अभियान के चौथे चक्र में 15 और कर अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दी गयी है। केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने मूलभूत नियम 56 (जे) के तहत भ्रष्टाचार और दूसरे आरोपों वाले 15 वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेज दिया। आधिकारि सूत्रों न यह जानकारी दी। इस साल जून के बाद यह चौथा मौका है जब सरकार ने भ्रष्ट और अवैध गतिविधियों के आरोपों वाले कर अधिकारियों को नौकरी से बाहर किया है।
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इससे पहले के तीन दौर में केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के 12 अधिकारियों सहित कुल 49 कर अधिकारियों को बाहर किया गया। सूत्रों ने बताया कि कर विभाग का यह कदम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लाल किले से दिये गये भाषण के अनुरूप है।
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प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त पर लालकिले से अपने संबोधन में कहा था कि कर विभाग में कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जो अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हैं और करदाताओं को बेवजह परेशान करते हैं। विभाग को कलंकित करने वाले ये लोग ईमानदार करदाताओं को अपना लक्ष्य बनाते हैं या फिर मामूली अथवा प्रक्रियात्मक उल्लंघन जैसे छोटे मोटे उल्लंघनों को लेकर जरूरत से ज्यादा कर्रवाई करते हैं।
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प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने हाल ही में इस मामले में ठोस कदम उठाया है। काफी संख्या में हमने कर अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति पर भेज दिया। हमारी सरकार इस प्रकार के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेगी। जिन अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत किया गया है उनमें से करीब आधे अधिकारियों को कथित तौर पर अवैध रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया। इनमें से एक अधिकारी को तो 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया।
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एक अधिकारी के पास उसके ज्ञात आय के स्रोतों से अधिक संपत्ति पाई गई। केन्द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 की तहत नियम 56 (जे) सरकार को सरकारी कर्मचारियों के कार्य प्रदर्शन की समय समय पर समीक्षा का अधिकार देता है। इसमें गौर किया जाता है कि संबंधित अधिकारी को सार्वजनिक हित में नौकरी पर रखा जाये अथवा सेवानिवृत कर दिया जाये।

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