राष्ट्रपति शासन लागू होने पर भड़की शिवसेना, कहा- महाराष्ट्र संकट का BJP उठा रही आनंद

Edited By vasudha,Updated: 13 Nov, 2019 12:25 PM

bjp is enjoying the maharashtra crisis

शिवसेना ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि महाराष्ट्र में दूसरी पार्टियों के सरकार गठन की मुश्किलों का भाजपा आनंद उठा रही है। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था...

नेशनल डेस्क: शिवसेना ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि महाराष्ट्र में दूसरी पार्टियों के सरकार गठन की मुश्किलों का भाजपा आनंद उठा रही है। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की केन्द्र को भेजी उस रिपोर्ट के बाद यह निर्णय लिया गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी प्रयासों के बावजूद वर्तमान हालात में राज्य में स्थिर सरकार का गठन संभव नहीं है। हालांकि उनके इस फैसले की गैर-भाजपा दलों ने खुलकर आलोचना की है।

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दरअसल विधानसभा चुनाव परिणाम की घोषणा के 19वें दिन जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच कांग्रेस-राकांपा ने कहा था कि उन्होंने सरकार बनाने के लिए शिवसेना को समर्थन देने के प्रस्ताव पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया। शिवसेना की ओर से दोनों दलों को यह प्रस्ताव सोमवार को मिला और वह अभी इस पर विचार करना चाहते हैं। पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव में कुल 288 सदस्यीय सदन में से भाजपा के हिस्से में 105 सीटें आयी थीं जबकि शिवसेना को 56, राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं। सत्ता में साझेदारी को लेकर नाराज शिवसेना ने भाजपा के बिना राकांपा-कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का प्रयास किया। लेकिन ऐसा नहीं होने पर पार्टी मंगलवार को उच्चतम न्यायालय पहुंच गयी। 

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शिवसेना ने अपनी अर्जी में राज्यपाल के फैसले को चुनौती देते हुए मामले की तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया। इससे पहले भाजपा ने पर्याप्त संख्याबल नहीं होने का हवाला देते हुए रविवार को सरकार बनाने में असमर्थता जताई थी। शिवसेना ने दावा किया कि अगर 105 विधायकों वाला दल सरकार नहीं बना पा रहा, तो दूसरों को तो निश्चित ही दिक्कत आएगी। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि सबसे बड़ी पार्टी इस परिस्थिति का आनंद उठाए। इस रवैये के कारण ही महाराष्ट्र इस स्थिति में पहुंचा है। उसने कहा कि सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए 15 दिन का वक्त दिया गया लेकिन शिवसेना को महज 24 घंटे..। शिवसेना ने कहा कि सभी विधायकों से हस्ताक्षर कैसे कराए जा सकते हैं, जबकि कुछ राज्य के बाहर हैं? यह राज्य तंत्र का दुरुपयोग है? यह स्पष्ट होने के बावजूद की तीनों दलों (शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा) को सही समन्वय स्थापित करने की जरूरत है, राजभवन ने केवल 24 घंटे दिए और आवश्यक समर्थन जुटाने में विफल रहने के बाद, भाजपा इस पर खुश मनाती दिखी, यह अच्छा संकेत नहीं है।

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शिवसेना ने तंज कसते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कोई सरकार ना बनने को लेकर अधिक खुश है। मराठी दैनिक समाचार पत्र ने कहा कि जो लोग राजनीति में नैतिकता की बात करते हैं, वर्तमान राजनीति में वे ही सबसे अधिक विघटनकारी हैं। इसमें आरोप लगाया गया कि विपक्ष में बैठने का भाजपा का फैसला उसकी रणनीति नहीं बल्कि किसी साजिश का हिस्सा है। शिवसेना ने कहा कि जनादेश भाजपा और शिवसेना के लिए था। अगर भाजपा ने अपना वादा पूरा किया होता तो हमें कोई और विकल्प नहीं खोजना पड़ता। भाजपा अगर सिद्धांतों, नैतिकता और शिष्टाचार की पार्टी होने की बात करती है, तो विधानसभा चुनाव के बाद उसे इसका पालन करना चाहिए था।

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