येदियुरप्पा ने भाजपा सदस्यों से जदएस के पार्टी में संभावित विलय पर चुप रहने को कहा

Edited By Yaspal,Updated: 22 Dec, 2020 12:55 AM

bjp members to remain silent on jds s possible merger with the party

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने सोमवार को अपनी पार्टी भाजपा के सदस्यों से जनता दल सेकुलर (जदएस) का भगवा पार्टी में संभावित विलय की अटकलों पर टिप्पणी नहीं करने का आह्वान किया। वैसे जदएस नेता एच डी कुमारस्वामी ने भी ऐसी खबरों को खारिज कर...

नेशनल डेस्कः कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने सोमवार को अपनी पार्टी भाजपा के सदस्यों से जनता दल सेकुलर (जदएस) का भगवा पार्टी में संभावित विलय की अटकलों पर टिप्पणी नहीं करने का आह्वान किया। वैसे जदएस नेता एच डी कुमारस्वामी ने भी ऐसी खबरों को खारिज कर दिया है और अपनी पार्टी के स्वतंत्र रूप से सत्ता में आने का विश्वास प्रकट किया। कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘ मेरी असली राजनीति 2023 में शुरू होगी।'' उन्होंने कहा कि कोई भी जदएस का खात्मा नहीं कर सकता। जदएस का भाजपा में संभावित विलय की अटकलों के बीच दोनों ही नेताओं को इन बातों को सच्चाई से दूर करार देते हुए रविवार को बयान जारी करना पड़ा।

येदियुरप्पा ने सोमवार को कहा, ‘‘ जदएस पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा द्वारा खड़ी गयी पार्टी है और पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी उसके नेता हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘ जब वे पार्टी को मजबूत करने और उसे पूरे राज्य में खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं तब पार्टी का अन्य दल में विलय की चर्चा उसका अपमान करना है।'' उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि न तो उन्हें और न ही किसी अन्य को ऐसे मुद्दे पर बोलना चाहिए। उनका कहना था कि विधानपरिषद के सभापति को हटाने के मुद्दे पर जदएस ने सहयोग दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘...आने वाले दिनों में भी, जरूरत पड़ने पर वह हमें मदद कर सकता है, लेकिन जब वे अपनी पार्टी को खड़ा कर रहे हैं तब उसके विलय की बात करना सही नहीं है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ चुनाव के लिए अब भी ढाई साल हैं। वे अपनी पार्टी खड़ा करेंगे, हम अपनी पार्टी को। इसलिए हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं समेत किसी को भी ऐसी चीजें नहीं बोलनी चाहिए।'' पिछले एक-दो महीने से मीडिया के एक वर्ग में विलय की अटकलें एवं खबरें आ रही हैं।

दरअसल कुमारस्वामी ने व्यक्तिगत रूप से दो बार येदियुरप्पा से उनके निवास पर भेंट की है और जदएस का सत्तारूढ़ भाजपा के प्रति नरम रूख सामने आया है। जदएस ने भू सुधार विधेयक का पहले विरोध किया था और बाद में उसने विधानपरिषद से उसे पारित कराने में समर्थन दिया। इसके अलावा उसने विधानपरिषद के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भाजपा का समर्थन किया। इन बातों से ऐसी अटकलों को बल मिला।

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