Edited By Seema Sharma,Updated: 28 Jun, 2018 11:53 AM
भाजपा नेतृत्व ने संकेत दिया है कि वह राज्यसभा के उप-सभापति का पद गैर-भाजपा पार्टियों के किसी भी स्वीकार्य नेता को देने का इच्छुक है। प्रधानमंत्री मोदी का दृढ़विश्वास है कि उप-सभापति राज्यसभा के दैनिक कामकाज चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं
नेशनल डेस्कः भाजपा नेतृत्व ने संकेत दिया है कि वह राज्यसभा के उप-सभापति का पद गैर-भाजपा पार्टियों के किसी भी स्वीकार्य नेता को देने का इच्छुक है। प्रधानमंत्री मोदी का दृढ़विश्वास है कि उप-सभापति राज्यसभा के दैनिक कामकाज चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं इसलिए इस पद के लिए एक स्वीकार्य चेहरे की जरूरत है। इससे पहले भाजपा अपने नेता भूपिन्द्र यादव को उप-सभापति बनाने पर विचार कर रही थी मगर पार्टी ने इस विचार को छोड़ दिया क्योंकि ऐसा करने से टकराव की स्थिति पैदा हो जाएगी। भाजपा और उसके सहयोगी दलों के 244 सदस्यीय सदन में 112 सदस्य हैं जिनमें वे 3 सदस्य भी शामिल हैं जिनको सरकार शीघ्र मनोनीत करने वाली है मगर भाजपा को इस बात का विश्वास नहीं कि शिवसेना का क्या रवैया होगा क्योंकि भाजपा और शिवसेना के बीच अभी समझौता होना बाकी है।
अभी यह भी स्पष्ट नहीं कि बीजद (9), तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (6), वाई.एस.आर. कांग्रेस (2) और चौटाला की इनैलो (1) का क्या रुख होगा, भाजपा के साथ संबंध विच्छेद करने के बाद तेदेपा के 6 सदस्यों का रवैया भी क्या होगा अभी मालूम नहीं इसलिए मोदी गैर-भाजपा सदस्य को उप-सभापति बनाना चाहते हैं, चाहे वह तृणमूल कांग्रेस से भी क्यों न संबंधित हो। इस प्रक्रिया में सुखेन्दू शेखर राय का नाम लिया गया है मगर ममता बनर्जी इस विचार से संतुष्ट नहीं क्योंकि उनका कहना है कि चुनावी वर्ष में इससे गलत संदेश जाएगा।
भाजपा यह पद बीजद को सौंपने पर प्रसन्न होगी क्योंकि ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भाजपा और कांग्रेस से बराबर की दूरी बनाए हुए हैं। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की ऊपरी सदन में 92 सीटें हैं और उनका उम्मीदवार तब तक इस मुकाबले में जीत नहीं सकता जब तक 7 गैर-राजग, गैर-यू.पी.ए. पार्टियां कांग्रेस का साथ नहीं देतीं जिनकी सदस्य संख्या 40 है इसलिए एक निष्पक्ष नेता ही उप-सभापति पद के लिए आम सहमति से उभर सकता है।