Edited By Seema Sharma,Updated: 18 Oct, 2020 10:53 AM
राष्ट्रीय राजधानी में रविवार सुबह वायु गुणवत्ता ‘खराब'' श्रेणी में दर्ज की गई और वातावरण में ‘पीएम 2.5'' कणों में पराली जलाने की हिस्सेदारी ‘‘काफी अधिक'''' बढ़ सकती है। एक केंद्रीय एजेंसी ने यह जानकारी दी। वहीं राजधानी को गैस चैंबर बनने से बचाने के...
नेशनल डेस्कः राष्ट्रीय राजधानी में रविवार सुबह वायु गुणवत्ता ‘खराब' श्रेणी में दर्ज की गई और वातावरण में ‘पीएम 2.5' कणों में पराली जलाने की हिस्सेदारी ‘‘काफी अधिक'' बढ़ सकती है। एक केंद्रीय एजेंसी ने यह जानकारी दी। वहीं राजधानी को गैस चैंबर बनने से बचाने के लिए एक बार फिर यहां ऑड-ईवन (Odd-even) लागू हो सकता है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि प्रदूषण को कम करने के लिए लगातार बैठकें हो रही हैं। अधिकारी ने कहा कि हालांकि ऑड-ईवन की स्कीम पर अभी कोई खास चर्चा नहीं हुई है लेकिन अगर हालात ज्यादा बिगड़े तो इस पर विचार हो सकता है। वातावरण में शनिवार को कुल ‘पीएम 2.5' कणों में से 19 फीसदी पराली जलाने की वजह से आए थे जो पहले के मुकाबले बढ़ गए हैं।
‘पीएम 2.5' के कुल कणों में से शुक्रवार को 18 फीसदी पराली जलाने के कारण आए जबकि बुधवार को करीब एक फीसदी और मंगलवार, सोमवार तथा रविवार को करीब तीन फीसदी कण इस वजह से आए थे। शहर में सुबह साढ़े आठ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 275 दर्ज किया गया। शनिवार को 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 287 दर्ज किया गया था। शुक्रवार को यह 239, गुरुवार को 315 दर्ज था जो इस वर्ष 12 फरवरी के बाद से सबसे ज्यादा खराब है। उस दिन एक्यूआई 320 था। शून्य और 50 के बीच AQI को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच ‘मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच को 'गंभीर' माना जाता है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दिन के वक्त उत्तर-पश्चिमी हवाएं चल रही हैं और पराली जलाने से पैदा होने वाले प्रदूषक तत्वों को अपने साथ ला रही है। रात में हवा के स्थिर होने तथा तापमान घटने की वजह से प्रदूषक तत्व जमा हो जाते हैं।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की ‘वायु गुणवत्ता निगरानी एवं मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली' (सफर) के मुताबिक हरियाणा, पंजाब और नजदीकी सीमा पर स्थित क्षेत्रों में शनिवार को पराली जलाने की 882 घटनाएं हुईं। इसमें बताया गया कि ‘पीएम 2.5' प्रदूषक तत्वों में पराली जलाने की हिस्सेदारी शनिवार को करीब 19 फीसदी रही।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली ने कहा है कि वायु संचार सूचकांक 12,500 वर्गमीटर प्रति सेकेंड रहने की उम्मीद है जो प्रदूषक तत्वों के बिखरने के लिए अनुकूल है। अधिकारियों ने शनिवार को कहा था कि पिछले साल के मुकाबले इस साल इस मौसम में अब तक पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं अधिक हुई हैं जिसकी वजह धान की समयपूर्व कटाई और कोरोना वायरस महामारी के कारण खेतों में काम करने वाले श्रमिकों की अनुपलब्धता है।