Edited By Anil dev,Updated: 24 Oct, 2018 01:27 AM
सीबीआई में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने सीबीआई को यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया है। साथ ही, अस्थाना को अंतरिम राहत देते हुए एफआईआर दर्ज होने के बाद सोमवार (29...
नई दिल्ली (संजीव यादव): सीबीआई में नंबर 1 और 2 की जंग अदालत तक पहुंची। निचली अदालत में गिरफ्तार डिप्टी एस.पी. देवेन्द्र कुमार को पेश किया गया जहां से उसे 7 दिन की रिमांड पर भेजा गया, वहीं गिरफ्तारी और अपने ऊपर दर्ज हुई एफ.आई.आर. प्रकरण में स्पैशल डायरैक्टर राकेश अस्थाना हाईकोर्ट पहुंचे। हाई कोर्ट ने सी.बी.आई. की दी गई दलील और अस्थाना के पक्ष को सुनने के बाद 29 अक्टूबर तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।
कोर्ट ने कहा कि सी.बी.आई. निदेशक आलोक वर्मा को 29 तारिख तक ये बताना होगा कि राकेश अस्थाना पर जो आरोप लगाए गए हैं वे कितने सही हैं और उनके खिलाफ क्या सबूत हैं। अस्थाना की गिरफ्तारी पर रोक के अलावा उनके विदेश जाने पर रोक लगाई गई। साथ ही मोबाइल लैपटॉप सहित सभी इलैक्ट्रोनिक उपकरण जमा करने को कहा। निर्देश ये भी किया जांच में वे अधिकारी की तरह पेश न आकर एक व्यक्ति की तरह जांच अधिकारी को बयान दर्ज कराए। इसके अलावा मामले में कोर्ट ने सीबीआई की प्रशासनिक शाखा कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डी.ओ.पी.टी.) को भी नोटिस जारी किया है और 29 तक अपना पक्ष रखने के लिए कहा है।
क्या है मामला
सीबीआई ने अपने स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराई है। इस एफआईआर में अस्थाना पर मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले में जांच के घेरे में चल रहे एक कारोबारी सतीश सना से दो करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप है। सीबीआई में नंबर दो की हैसियत रखने वाले राकेश अस्थाना इस जांच के लिए बनाई गई एसआईटी के प्रमुख हैं। कारोबारी सतीश सना का आरोप है कि सीबीआई जांच से बचाने के लिए राकेश अस्थाना ने दिसंबर 2017 से अगले दस महीने तक उससे करीब दो करोड़ रुपए की रिश्वत ली।
कौन हैं राकेश अस्थाना
- राकेश अस्थाना 1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस हैं।
- पहली बार 1996 में चर्चा में आए, जब उन्होंने चारा घोटाला मामले में लालू यादव को गिरफ्तार किया।
- 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी की जांच के लिए गठित एसआईटी का नेतृत्व भी राकेश अस्थाना ने किया।
- अहमदाबाद ब्लास्ट और आसाराम केस की जांच भी इन्होंने ही की।
- 2017 अक्टूबर को पीएमओ के निर्देश पर सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर नियुक्त हुए।
- इससे पहले वह अतिरिक्त निदेशक के पद पर काम कर चुके हैं।
- ये वडोदरा और सूरत के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं और इन्हें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का करीबी भी माना जाता है।
कौन है मोइन कुरैशी
मांस कारोबारी कुरैशी का पूरा नाम मोइन अख्तर कुरैशी है। दून में स्कूल में पढ़ाई करने वाले मोइन के बारे में कहा जाता है कि उसके राजनीतिज्ञों से अच्छे संबंध रहे हैं। किसी समय उत्तर प्रदेश के रामपुर में छोटा-सा बूचड़खाना चलाने वाले कुरैशी की गिनती अब अरबपति कारोबारियों में होती है। उसकी देश-विदेश में कई कंपनियां हैं।