सीबीआई ने फरार हीरा कारोबारी जतिन मेहता के खिलाफ नया मामला दर्ज किया

Edited By shukdev,Updated: 09 May, 2019 07:55 PM

cbi registers new case against absconding businessman jatin mehta

सीबीआई ने बैंक ऑफ इंडिया से 82. 55 करोड़ रुपए की कथित धोखाधड़ी करने को लेकर फरार हीरा कारोबारी जतिन मेहता, विनसम डायमंड्स एंड जूलरी और जार्डन के नागरिक हाथयम सलमान अली ओबैदा के खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।...

नई दिल्ली: सीबीआई ने बैंक ऑफ इंडिया से 82. 55 करोड़ रुपए की कथित धोखाधड़ी करने को लेकर फरार हीरा कारोबारी जतिन मेहता, विनसम डायमंड्स एंड जूलरी और जार्डन के नागरिक हाथयम सलमान अली ओबैदा के खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एजेंसी ने विनसम डायमंड्स एंड जूलरी, कंपनी के तत्कालीन निदेशक मेहता, जार्डन के नागरिक ओबैदा, फॉरेवर डायमंड्स और बैंक ऑफ इंडिया के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ यह मामला दर्ज किया है।

र्बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी शिकायत में दावा किया है कि मेहता अप्रैल 2011 तक कंपनी के निदेशक थे, जब उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था और कंपनी के रणनीतिक एवं नीतिगत फैसलों के गैर कार्यकारी निदेशक बन गए। सूत्रों ने बताया कि जब धोखाधड़ी का यह मामला प्रकाश में आया तब तक मेहता देश छोड़ कर भाग चुका था और समझा जाता है कि वह कैरीबियाई द्वीप समूह के किसी द्वीप में रह रहा है।

एजेंसी ने बैंक से कथित धोखाधड़ी के संबंध में उसके खिलाफ कम से कम छह प्राथमिकी पहले ही दर्ज कर रखी है। आरोप है कि बैंक ऑफ इंडिया ने जनवरी 2013 में कंपनी को 96 करोड़ रुपए की कार्यशील पूंजी सीमा आवंटित की थी। कंपनी ने विदेशी बैंकों से सोना खरीदा था। इसे कंपनी ने संयुक्त अरब अमीरात के 13 खरीदारों को बेच दिया, जिनके बारे में यह संदेह है कि उनकी विनसम डायमंड्स और इसके निदेशकों से मिलीभगत थी। यह आरोप लगाया गया है कि इन खरीदारों ने विनसम डायमंड्स एंड जूलरी को जानबूझ कर भुगतान नहीं किया और यहां तक कि विदेशी सर्राफा बैंकों ने एसबीएलसी का इस्तेमाल किया गया, जिसके परिणामस्वरूप बैंक ऑफ इंडिया को नुकसान हुआ।

गौरतलब है कि एसबीएलसी एक तरह की गारंटी होती है जिसे कोई बैंक जारी करता है। इसके जरिए दूसरे बैंक को यह भरोसा दिलाया जाता है कि वह अपने ग्राहक द्वारा रकम की अदायगी नहीं करने की स्थिति में उसका भुगतान करेगा। बैंक ऑफ इंडिया का आरोप है कि ओबैदा यूएई की 13 खरीदार कंपनियों का पावर ऑफ अटार्नी के जरिए नियंत्रण कर रहा था।

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