नई शिक्षा नीति को केंद्र की मंजूरी, 34 साल बाद पॉलिसी में हुआ बदलाव

Edited By Riya bawa,Updated: 29 Jul, 2020 06:02 PM

center approves new education policy policy changes after 34 years

केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का पुन: नामकरण शिक्षा मंत्रालय किया गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने...

नई दिल्ली- देश में नई शिक्षा नीति लागू होने जा रही है। पीएम मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिल गई है। मंत्रालय के अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। एक वरिष्ठ अधिकरी ने बताया कि नीति के मसौदे को मंजूरी मिल गई है। इसमें मौजूदा मंत्रालय का नाम  बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया जाएगा। नई शिक्षा नीति में घरेलू और स्थानीय भाषा पर जोर दिया गया है। सरकार को जोर हायर एजुकेशन का रजिस्ट्रेशन अनुपात 2035 तक 50 फीसदी तक ले जाना है।
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उच्च शिक्षा में किए ये सुधार

  • कक्षा 6 सेे शुरू होगा वॉकेशनल प्रोग्राम, साथ में होगी इंटर्नशिप, लोकल क्राफ्ट स्टडी पर भी फोकस
  • नई नीति के अध्याय 4 में बताया गया है कि कम से कम क्लास 5 तक की पढ़ाई का माध्यम घरेलू भाषा/मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा होगा यानी क्लास 5 तक स्कूल में पढ़ाई का मीडिया स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा होगी।
  • नई नीति में ये भी कहा गया है कि क्लास 5 के बाद क्लास 8 तक या उससे आगे भी रीजनल लैंग्वेज का यही फॉर्मूला लागू किया जाएगा।
  • उच्च शिक्षा में अब मल्टीपल इंट्री और एग्जिट का विकल्प दिया जाएगा। पांच साल के इंटीग्रेटेड कोर्स करने वालों को एमफिल नहीं करना होगा। अब कॉलेजों के एक्रेडिटेशन के आधार पर ऑटोनॉमी दी जाएगी। मेंटरिंग के लिए राष्ट्रीय मिशन चलाया जाएगा। 
  • हायर एजुकेशन के लिए एक ही रेग्यूलेटर रहेगा। अभी यूजीसी, एआईसीटीई शामिल हैं। हालांकि इसमें लीगल एवं मेडिकल एजुकेशन को शामिल नहीं किया जाएगा। उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी GER पहुंचने का लक्ष्य है। सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों को लिए शिक्षा मानक समान रहेंगे। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना होगी जिससे रिसर्च और इन्नोवेशन को बढ़वा मिलेगा।
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  • तकनीकी के माध्यम से दिव्यांगजनों में शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा। ई-कोर्सेस आठ प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किया जाएंगे। नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) की स्थापना की जाएगी
  • अर्ली चाइल्डहुड केयर एवं एजुकेशन के लिए कैरिकुलम एनसीईआरटी द्वारा तैयार होगा। इसमें 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए विकसित किया जाएगा। बुनियाद शिक्षा (6 से 9 वर्ष के लिए) के लिए फाउंडेशनल लिट्रेसी एवं न्यूमेरेसी पर नेशनल मिशन शुरु किया जाएगा। पढ़ाई की रुपरेखा 5+3+3+4 के आधार पर तैयारी की जाएगी। इसमें अंतिम 4 वर्ष 9वीं से 12वीं शामिल हैं। नये कौशल (जैसे कोडिंग) का शुरु किया जाएगा।
  • एक्सट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज को मेन कैरिकुलम में शामिल किया जाएगा। गिफ्टेड चिल्ड्रेन एवं गर्ल चाइल्ड के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। कक्षा 6 के बाद से ही वोकेशनल को जोड़ जाएगा। नई नेशनल क्यूरिकुलम फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा जिसमें ईसीई, स्कूल, टीचर्स और एडल्ट एजुकेशन को जोड़ा जाएगा। बोर्ड एग्जाम को भाग में बाटा जाएगा।
  • अगर छात्र रिसर्च में जाना चाहते हैं उनके लिए 4 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा जबकि जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे लेकिन जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद पीएचडी (PhD) कर सकते हैं, इसके लिए एमफिल (M.Phil) की जरूरत नहीं होगी।

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कॉलेज में एडमिशन के लिए केवल एक एग्जाम 

  • सभी कॉलेजों में एडमिशन के लिए NTA द्वारा केवल एक ही एग्जाम आयोजित कराया जाएगा। यह एग्जाम ऑप्शनल होगा जरूरी नहीं।
  • कक्षा 6 से कोडिंग, स्ट्रीम में कोई विभाजन नहीं मैथमेटिकल थिंकिंग, साइंटिफिक टेंपर कोर्स का हिस्सा होंगे। खेल, व्यावसायिक, कला, वाणिज्य, विज्ञान जैसे सह-पाठ्यक्रम विषय समान स्तर पर होंगे। छात्र अपनी पसंद के अनुसार पाठ्यक्रम चुन सकते हैं। कक्षा 6 से छात्रों को कोडिंग की अनुमति दी जाएगी
  • सार्वजनिक और निजी एचईआई के लिए, सामान्य मानदंड दिए जाएंगे। इसका मतलब यह है कि शुल्क नियामक ढांचे के भीतर तय किया जाएगा और कैप से ज्यादा कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।

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