CJI चंद्रचूड़ ने की वी रामसुब्रमण्यम की सराहना, कहा- वह एक बहुमुखी प्रतिभा वाले न्यायाधीश हैं

Edited By rajesh kumar,Updated: 19 May, 2023 08:08 PM

cji chandrachud praised v ramasubramaniam he is a versatile judge

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने 29 जून को उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त होने वाले न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की उनके ‘‘विनम्र व्यक्तित्व'' के लिए सराहना करते हुए कहा कि वह एक बहुमुखी प्रतिभा वाले न्यायाधीश एवं मनुष्य हैं।

 

नेशनल डेस्क: प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने 29 जून को उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त होने वाले न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की उनके ‘‘विनम्र व्यक्तित्व'' के लिए सराहना करते हुए कहा कि वह एक बहुमुखी प्रतिभा वाले न्यायाधीश एवं मनुष्य हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम को उनके अंतिम कामकाजी दिन विदाई देने के लिए एक औपचारिक पीठ की अगुवाई करते हुए कहा कि वह देश और राज्य की सीमाओं में बंधे नहीं हैं। न्यायालय का ग्रीष्मावकाश 22 मई से शुरू होगा। उन्होंने कहा, ‘‘न्यायमूर्ति राम के विनम्र व्यक्तित्व ने मुझे प्रभावित किया।''

उन्होंने कहा, ‘‘वह एक बहुआयामी और बहुमुखी प्रतिभा वाले न्यायाधीश एवं मनुष्य हैं।'' न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बताया कि वह न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम से किसी न्यायाधिकरण की अध्यक्षता करने का अनुरोध कर रहे हैं लेकिन वह तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक राज की बात बताता हूं। मैं न्यायमूर्ति राम को किसी उपलब्ध न्यायाधिकरण की अध्यक्षता करने के लिए राजी करने का प्रयास कर रहा हूं, लेकिन उन्होंने मुझसे कह दिया है कि वह एक स्वतंत्र नागरिक बनकर रहना चाहते हैं।''

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वह न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम को उनका अनुरोध स्वीकार करने के लिए मनाने के अपने प्रयास जारी रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि उनके हास्य-विनोद और मजाक के बिना न्यायालय पहले जैसा जीवंत नहीं रहेगा। न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम ने प्रधान न्यायाधीश के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आम तौर पर विदाई के दौरान वक्ता रो पड़ते हैं, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाएंगे। न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम का जन्म 30 जून, 1958 को हुआ था। उन्होंने मद्रास विधि विश्वविद्यालय से कानून का अध्ययन किया और बार के सदस्य के रूप में 16 फरवरी, 1983 में पंजीकरण कराया।

उन्हें 31 जुलाई, 2006 को मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश और नौ नवंबर, 2009 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम को 27 अप्रैल, 2016 को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय, हैदराबाद में स्थानांतरित कर दिया गया। आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद उन्हें एक जनवरी, 2019 से हैदराबाद में तेलंगाना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में बरकरार रखा गया। न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम ने 22 जून, 2019 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उन्हें 23 सितंबर, 2019 को भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।

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