Edited By Seema Sharma,Updated: 05 May, 2019 11:09 AM
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न केस में नया मोड़ आया है। केस की सुनवाई को लेकर जजों के बीच मतभेद उभर आए हैं। जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस नरीमन ने इनहाउस जांच कमेटी से आपत्ति जताई है
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न केस में नया मोड़ आया है। केस की सुनवाई को लेकर जजों के बीच मतभेद उभर आए हैं। जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस नरीमन ने इनहाउस जांच कमेटी से आपत्ति जताई है कि शिकायतकर्ता महिला के बिना सुनवाई करना उचित नहीं है। दोनों जजों ने जस्टिस एस.ए बोबड़े, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी वाली इनहाउस जांच कमेटी से मुलाकात कर कहा कि एकतरफा सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट की छवि पर असर पड़ेगा। दोनों जजों ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला की मांग के मुताबिक उसे या तो वकील के जरिए अपनी बात कहने की इजाजत दी जाए या फिर किसी न्यायविद् को अमाइकस क्यूरी बनाए।
उल्लेखनीय है कि चीफ जस्टिस पर लगे आरोपों की जांच के लिए बनी इनहाउस कमेटी की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट में नंबर दो जज जस्टिस एस.ए बोबड़े कर रहे हैं और बाकी दो सदस्य महिला जज जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के जजों के वरिष्ठता सूची में दसवें नम्बर पर हैं, जिन्होंने जस्टिस नरीमन के साथ मिलकर इनहाउस कमेटी के सामने यह आपत्ति रखी है। बीते मंगलवार शिकायतकर्ता महिला ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह मामले की जांच करने वाली शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की कमेटी के सामने पेश नहीं होंगी।
शिकायतकर्ता ने कहा कि उसे सुनवाई के दौरान वकील रखने या किसी कानूनी सहयोग की इजाजत नहीं दी गई है। महिला ने कहा कि सुनवाई के दौरान बहुत घबराहट वाला माहौल रहता है इसलिए वह कमेटी के सामने पेश नहीं होगी। बता दें कि महिला शिकायतकर्ता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जूनियर कोर्ट असिस्टेंट है, उसने कुछ दिन पूर्व सीजेआई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत के सभी न्यायाधीशों को एक शपथ-पत्र भेजा था और न्याय की मांग की थी।