कैम्पेगौड़ा की मुर्ति के निर्माण पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, पीएम मोदी कल करेंगे उद्घाटन

Edited By Anu Malhotra,Updated: 10 Nov, 2022 06:13 PM

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कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने वीरवार को सवाल किया कि यहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बेंगलुरु के संस्थापक नादप्रभु केम्पेगौड़ा की 108 फुट ऊंची मूर्ति स्थापित करने के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल क्यों किया गया। प्रधानमंत्री...

बेंगलुरु: कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने वीरवार को सवाल किया कि यहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बेंगलुरु के संस्थापक नादप्रभु केम्पेगौड़ा की 108 फुट ऊंची मूर्ति स्थापित करने के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल क्यों किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मूर्ति का अनावरण 11 नवंबर को करेंगे। शिवकुमार ने कहा कि केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का संचालन करने वाली बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (बीआईएएल) को मूर्ति पर काम करना चाहिए था। 

उन्होंने हवाई अड्डे को सरकार द्वारा प्रदान की गई भूमि और धन तथा हवाई अड्डे को होने वाली आय का उल्लेख किया। इस परियोजना में मूर्ति के अलावा 23 एकड़ क्षेत्र में 16वीं सदी के शासक को समर्पित एक विरासत थीम पार्क है, जिसकी लागत सरकार को 84 करोड़ रुपये आई है। अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले मूर्ति की स्थापना के साथ राजनीतिक दलों के बीच केम्पेगौड़ा की विरासत का श्रेय लेने के लिए होड़ होती दिख रही है, जो विशेष रूप से पुराने मैसूर और दक्षिण के अन्य हिस्सों में प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय के बीच पूजनीय हैं। 

शिवकुमार ने कहा कि सरकारी धन का इस्तेमाल करके ऐसा करना (मूर्ति स्थापित करना) एक बड़ा अपराध है। हमने (कर्नाटक सरकार) जमीन और धन भी बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के लिए दिया है। 4,200 एकड़ भूमि में से, 2,000 एकड़ केवल छह लाख रुपये प्रति एकड़ में दी गई थी। धन के साथ, उनके पास शेयर हैं। उसे (बीआईएएल) अपने धन का इस्तेमाल करना चाहिए था, सरकारी धन का इस्तेमाल क्यों किया जाए।

उन्होंने पत्रकारों से कहा कि हवाई अड्डे को यह काम करना चाहिए था, क्या यह कमाई नहीं है? क्या उनकी संपत्ति की कीमत नहीं बढ़ी है, क्या हमने व्यावसायिक शोषण के लिए 2,000 एकड़ से अधिक जमीन दी है। आपको सरकारी धन की जरूरत क्यों थी? मुख्य सचिव क्यों चुप हैं? सरकारी धन का इस्तेमाल करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।

शिवकुमार ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार अब ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे कि मूर्ति स्थापना उनकी पार्टी का काम है। ‘‘स्टैच्यू ऑफ प्रॉस्पेरिटी'' नामक यह मूर्ति ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' के अनुसार किसी शहर के संस्थापक की पहली और सबसे ऊंची कांस्य मूर्ति है। कुल 218 टन (98 टन कांस्य और 120 टन स्टील) वजन वाली यह मूर्ति यहां केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर स्थापित की गई है। मूर्ति के पास चार टन वजनी तलवार भी है। 

नेता प्रतिपक्ष सिद्धरमैया ने कहा कि उनके नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने ही सबसे पहले हवाई अड्डे पर केम्पेगौड़ा की मूर्ति स्थापित करने की योजना बनाई थी। उन्होंने कहा, ‘‘केम्पेगौड़ा जयंती की शुरुआत किसने की? नादप्रभु केम्पेगौड़ा विरासत क्षेत्र विकास प्राधिकरण की स्थापना किसने की? केम्पेगौड़ा के नाम पर हवाई अड्डे का नाम किसने रखा? यह हमारी सरकार थी। यह हमारी सरकार थी जिसने हवाई अड्डे के नाम पर एक मूर्ति स्थापित करने का फैसला किया था। जनता दल (सेक्युलर) के नेता एच डी कुमारस्वामी ने भाजपा नीत सरकार पर केम्पेगौड़ा को राजनीति के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कि भाजपा भ्रम में है कि वह केम्पेगौड़ा की प्रतिमा स्थापित करके और मोदी द्वारा इसका अनावरण करने से वोक्कालिगा वोट हासिल कर सकती है। कुमारस्वामी ने कहा कि लोग भाजपा को करारा जवाब देंगे। 

शिवकुमार और एच डी कुमारस्वामी वोक्कालिगा समुदाय से हैं। केम्पेगौड़ा, तत्कालीन विजयनगर साम्राज्य के अधीन एक सामंत थे, जिन्होंने 1537 में बेंगलुरु की स्थापना की। मूर्तिकार और पद्म भूषण से सम्मानित राम वनजी सुतार ने मूर्ति को आकार दिया। सुतार ने गुजरात में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' और बेंगलुरु के विधान सौध में महात्मा गांधी की मूर्ति का निर्माण किया।

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