टिकट बंटते ही कांग्रेस में शुरु हो गया घमासान, सीएम पर आरोप

Edited By ASHISH KUMAR,Updated: 16 Apr, 2018 05:40 PM

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कांग्रेस में उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होते ही घमासान शुरु हो गया है। इतना ही नहीं सीएम सिद्धारमैया पर तो​ टिकट पाने से वंचित रहे लोगों ने गंभीर आरोप तक लगा दिए। कांग्रेस ने जैसे ही कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए 218 कैंडिडेट् की लिस्ट जारी की वैसे...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस में उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होते ही घमासान शुरु हो गया है। इतना ही नहीं सीएम सिद्धारमैया पर तो​ टिकट पाने से वंचित रहे लोगों ने गंभीर आरोप तक लगा दिए। कांग्रेस ने जैसे ही कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए 218 कैंडिडेट् की लिस्ट जारी की वैसे ही पार्टी में हंगामा शुरू हो गया। आश्चर्य यह हो रहा है कि अपनी कुर्सी बचाने की जंग लड़ रही कांग्रेस पार्टी के अपनों ने ही बगावत शुरु कर इस्तीफा देने की चेतावनी तक दे दी है। साथ ही प्रदेश भर में कई जगहों पर अंसुष्टों व उनके कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन भी शुरु हो गया है। सारी बंदूकें सीएम सिद्धारमैया की तरफ उठी हैं, जिनपर नेताओं ने मनमानी करने के आरोप लगाए हैं।

यह हुए बगावती 
कुनिगल, कोलार, कोल्लेगल, बेलूर, बदामी, कित्तूर, नेलमंगला और अन्य कई विधानसभाओं में असंतुष्टो के बगावती स्वर मुखर हुए हैं। हंगल विधानसभा से वर्तमान विधायक और पूर्व एक्साइज मिनिस्टर मनोहर तहसीलदार के समर्थकों ने उनका टिकट कटने पर प्रदर्शन किया है। जगलुर से वर्तमान विधायक एचपी राजेश का भी टिकट कटा है और वह सिद्धारमैया से मिलने बेंगलुरु गए हुए हैं। कित्तूर से पार्टी ने टिकट की घोषणा नहीं की है। यहां से डीबी इनामदार लगातार पांच बार से विधायक हैं। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस उनके रिश्तेदार बाबासाहब पाटील को टिकट दे सकती है। ऐसे में इनामदार के समर्थकों में भी रोष है। रूरल बेंगलुरु की नेलमंगला विधानसभा से कांग्रेस नेता अंजना मुर्थी के समर्थकों ने सड़क पर जाम लगा, टायर जला कर प्रदर्शन किया है। यहां से कांग्रेस ने आर नारायणस्वामी को टिकट दिया है।
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2 ने छोड़ दी पार्टी 
इससे पहले शनिवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी रमेश ने सीवी रमन नगर से जेडीएस के टिकट पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। 2013 में इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के बाद भी पी रमेश को हार मिली थी। रमेश ने कर्नाटक सीएम पर हमला करते हुए कहा था कि यह इंदिरा की कांग्रेस नहीं है बल्कि सिद्धारमैया की तुगलक कांग्रेस है। ऐसा कहा जा रहा है कि सिद्धारमैया ने उनसे जगह मेयर आर संपत राज की दावेदारी के लिए अपना दावा छोड़ने को कहा था।

नुकसान की भरपाई कैसे
देश की राजनीति में लगातार सिमटती जा रही कांग्रेस के सामने कर्नाटक के किला को बचाने की चुनौती है। राहुल गांधी एक के बाद रैली कर रहे हैं, कांग्रेस आलाकमान से सिद्धारमैया को पूरी ताकत मिली हुई है। ऐसे में सिद्धारमैया पर डिक्टेटरशिप के आरोप कांग्रेस के लिए झटके से कम नहीं हैं। पार्टी तुरंत डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। कांग्रेस ने वरिष्ठ नेताओं की 4 टीम बनाई है। इन्हें नाराज नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी मिली है।

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