कभी लोग मारते थे ताना...आज कर रहे हैं सैल्यूट, महामारी ने बदल दी महिला पुलिसकर्मी की जिंदगी

Edited By vasudha,Updated: 24 Apr, 2020 07:06 PM

corona changed the life of a policeman

कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में आगे बढ़कर हाथ बंटा रहीं दिल्ली पुलिस की एक सिपाही मौसम यादव महामारी के बाद अपने जीवन में आए बदलाव को लेकर बेहद खुश हैं। वह कहती हैं कि पहले परिवार के लोग और पड़ोसी उन्हें यह पेशा चुनने के लिये ताने देते थे, लेकिन...

नेशनल डेस्क: कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में आगे बढ़कर हाथ बंटा रहीं दिल्ली पुलिस की एक सिपाही मौसम यादव महामारी के बाद अपने जीवन में आए बदलाव को लेकर बेहद खुश हैं। वह कहती हैं कि पहले परिवार के लोग और पड़ोसी उन्हें यह पेशा चुनने के लिये ताने देते थे, लेकिन अब वही लोग उनकी तारीफ करते नहीं थकते। यादव कहती हैं कि जब महामारी फैलनी शुरू हुई तो उनके परिवार के सदस्यों ने उन्हें छुट्टी लेकर घर बैठने की सलाह दी थी, लेकिन वह मैदान में डटी रहीं। उन्होंने कहा कि मैंने लोगों की सेवा के लिये खाकी वर्दी पहनी है। अगर मैं संकट के समय पीछे हट जाऊं, तो क्या फायदा?

 

यादव 2014 में दिल्ली पुलिस में शामिल हुई थीं और उन्हें महरौली में तैनात किया गया था। तीन साल पहले उनकी शादी हुई और अब वह डेढ़ साल के बच्चे की मां हैं। उनके पति प्रवीण यादव गुड़गांव में एक निजी कंपनी में काम करते हैं। हरियाणा के महेन्द्रगढ़ गांव की निवासी यादव के पिता हमेशा से चाहते थे कि उनकी बेटी पुलिसकर्मी बने। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस में जब मेरा चयन हुआ तो वह बहुत खुश हुए, लेकिन तब भी मेरे गांव के कई लोग मेरे पेशे की आलोचना करते थे और मुझे नीचा दिखाने का प्रयास करते थे। हालांकि, अब वही लोग मेरी तारीफ करते हैं।

 

 यादव ने कहा कि शादी के बाद भी उनकी उनके पेशे के लिये आलोचना की जाती थी। उन्होंने याद किया कि कैसे लोग उन्हें ताने देते थे और यह पेशा छोड़ने के लिये कहते थे। हालांकि देश में कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बाद चीजें बदल गई हैं। जब से लॉकडाउन लागू हुआ है, तब से उनके पति घर से अपना काम कर रहे हैं और बेटे का ख्याल रख रहे हैं जबकि वह अपने काम पर निकल जाती हैं। फिलहाल उन्हें राष्ट्रीय राजधानी की सबसे व्यस्ततम जगहों में से एक अहिंसा स्थल पर तैनात किया गया है। वह शाम की ड्यूटी करती हैं, जो दो बजे से शुरू होकर आठ बजे तक चलती है। 

 

यादव ने कहा कि मैंने शाम की ड्यूटी इसलिये चुनी ताकि काम पर जाने से पहले मैं अपने बच्चे की देखभाल कर सकूं। मैं जल्दी उठ जाती हूं। नाश्ता, दोपहर का खाना बनाती हूं और काम पर जाने से पहले अपने बच्चे को सुला देती हूं। यादव की काम और परिवार के प्रति तत्परता पर अब उनके ससुराल वाले और मित्र भी गर्व करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अब यह कहते हुए गर्व होता है कि उनकी बहू पुलिस में है। अब वे देख रहे हैं कि कैसे स्वास्थ्य कर्मी, डॉक्टर और पुलिसकर्मी कोरोना वायरस से निपटने में जुटे हैं। खाकी के प्रति सोच में यह बदलाव आने से मुझे अपना काम बेहतर ढंग से करने और उसे महत्व देने में मदद मिली है।

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