आरोपी को जमानतदार की मौत का पता नहीं चला, इस पर भरोसा मुश्किल: अदालत

Edited By ,Updated: 10 May, 2017 06:21 PM

court  cbi  vineet tiwari

एक स्थानीय अदालत ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि 34 साल पुराने एक मामले में मुकदमे का सामना कर रहे एक आरोपी को उस व्यक्ति की मौत के बारे में 17 साल तक जानकारी कैसे नहीं मिली जो जमानत के वक्त उसके लिए जमानतदार बना था।

नई दिल्ली: एक स्थानीय अदालत ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि 34 साल पुराने एक मामले में मुकदमे का सामना कर रहे एक आरोपी को उस व्यक्ति की मौत के बारे में 17 साल तक जानकारी कैसे नहीं मिली जो जमानत के वक्त उसके लिए जमानतदार बना था। 

अदालत ने कहा कि यह ‘‘मानना मुश्किल है’’ कि आरोपी को इसकी जानकारी नहीं थी।  यह स्थिति उस समय आई जब सीबीआई ने अदालत को बताया कि जहाजरानी और परिवहन मंत्रालय के तत्कालीन संयुक्त सचिव के पत्रों का फर्जीवाड़ा करके वर्ष 1982 में बंबई बंदरगाह ट्रस्ट की जमीन 2.27 करोड़ रुपए में बेचने का कथित रूप से प्रयास करने के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे एक आरोपी ने उसके जमानतदार की मौत का तथ्य छिपाया।

दिल्ली के निवासी आरोपी विनीत तिवारी जमानत पर थे और सीबीआई द्वारा अदालत के सामने दायर सत्यापन रिपोर्ट के अनुसार, उसके जमानतदार एच एल सोइन की मई 2000 में मौत हो गई थी। विशेष सीबीआई न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा, ‘‘मैंने आरोपी (तिवारी) से स्पष्ट रूप से पूछा कि उसने अपने जमानदार की मौत के संबंध में जानकारी 17 साल तक अदालत से क्यों छिपाई, जिस पर उसने कहा कि उसे जानकारी नहीं थी। इस पर भरोसा करना मुश्किल है।’’ तिवारी का नया जमानतदार स्वीकार करते हुए अदालत ने उसकी जमानत रद्द करने की मांग वाली सीबीआई की याचिका पर सुनवाई के लिए 22 मई की तारीख तय की है। 
 

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