Edited By rajesh kumar,Updated: 29 May, 2021 08:17 PM
न्यायमूर्ति वी एम वेलुमणि ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘‘न्यायाधिकरणों और अदालतों को उचित मुआवजा देना चाहिए। याचिकाकर्ता ने भले ही कम मुआवजा राशि का अनुरोध किया था लेकिन अदालत के पास दावा की राशि को दोगुणा करने का अधिकार है।''''
नेशनल डेस्क: मद्रास उच्च न्यायालय ने कृष्णागिरि के एक न्यायाधिकरण द्वारा दुर्घटना के शिकार एक व्यक्ति के परिवार को दी गयी मुआवजा राशि को दुगना करते हुए कहा है कि अदालतों के पास दावे की रकम से ज्यादा मुआवजा देने का अधिकार है। अदालत ने मुआवजा राशि 20.56 लाख को बढ़ाकर 41.27 लाख रुपये करने का फैसला किया।
न्यायमूर्ति वी एम वेलुमणि ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘‘न्यायाधिकरणों और अदालतों को उचित मुआवजा देना चाहिए। याचिकाकर्ता ने भले ही कम मुआवजा राशि का अनुरोध किया था लेकिन अदालत के पास दावा की राशि को दोगुणा करने का अधिकार है।'' न्यायाधीश ने एक निजी बस के कारण छह अगस्त 2018 को सड़क दुर्घटना में मारे गए मंजूनाथन (35) के परिवार के सदस्यों की अपील मंजूर कर ली। शुरुआत में परिवार ने कृष्णागिरि में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण का रुख कर 99 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की मांग की थी।
पिछले साल दिसंबर में न्यायाधिकरण ने 22.84 रुपये का मुआवजा मंजूर किया। हालांकि बीमा कंपनी को पीड़ित की लापरवाही के कारण 10 प्रतिशत की कटौती के साथ 20.56 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया क्योंकि हादसे के वक्त घटना के शिकार व्यक्ति के पास वाजिब ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। इसके बाद मौजूदा अपील में 10 प्रतिशत रकम कटौती को चुनौती दी गयी। याचिकाकर्ताओं के दावे को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति वेलुमणि ने कहा कि बस के ड्राइवर के लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण यह हादसा हुआ। उन्होंने कहा कि जब पीड़ित की तरफ से लापरवाही का कोई सबूत नहीं है तो ड्राइविंग लाइसेंस नहीं होने का कोई मुद्दा नहीं बनता है।