करोड़पति हेयर ड्रैसर:  400 लग्जरी गाड़ियों के हैं मालिक,  फिर भी खुद काटते हैं लोगों के बाल

Edited By vasudha,Updated: 31 Aug, 2021 02:52 PM

crorepati hair dresser owns 400 luxury vehicles

भारत में हेयर ड्रैसर पेड़ के नीचे कुर्सी लगाने से लेकर बड़े-बड़े सैलून्स में मिल जाते हैं। आपको ऐसे शख्स के बारे में बताते हैं जो भारत में करोड़पति नाई के नाम से फेमस है। इस शख्स का नाम है रमेश बाबू, उन्होंने जीतोड़ मेहनत के बाद अपना करोड़ों का साम्राज्य...

नेशनल डेस्क:  भारत में हेयर ड्रैसर पेड़ के नीचे कुर्सी लगाने से लेकर बड़े-बड़े सैलून्स में मिल जाते हैं। आपको ऐसे शख्स के बारे में बताते हैं जो भारत में करोड़पति नाई के नाम से फेमस है। इस शख्स का नाम है रमेश बाबू, उन्होंने जीतोड़ मेहनत के बाद अपना करोड़ों का साम्राज्य खड़ा किया है। लोगों के बाल काटने वाले शख्स के साम्राज्य में बी.एम.डब्ल्यू., रोल्स रॉयस, जगुआर सहित 400 लग्जरी गाड़ियां शामिल हैं। रमेश बाबू आज भी अपने सैलून में 5 घंटे काम करते हैं। अपने रेगुलर कस्टमर के बाल वो खुद काटते हैं।  


सात साल की उम्र में हो गया था पिता का देहांत
रमेश बाबू के पिता पी. गोपाल बेंगलुरु में नाई थे। बेंगलुरू में सिर्फ एक दुकान छोड़कर गोपाल अपनी पत्नी तीन बच्चों को छोड़कर चल बसे थे। उस वक्त रमेश सिर्फ 7 साल के थे। बच्चों का पेट भरने के लिए रमेश बाबू की मां ने बतौर हाउस हेल्पर काम किया। रमेश बाबू की मां महीने के 40 से 50 रुपये कमाती थी और इसी से बच्चों की पढ़ाई, खाना-पीना, कपड़ों का इंतजाम होता था। पिता की मौत के बाद रमेश बाबू की मां दुकान नहीं चला पाई और उन्होंने उसे 5 रुपये प्रति दिन के किराये पर चढ़ा दिया। मां की मदद करने के लिए रमेश बाबू छोटे-मोटे काम करते थे। रमेश बाबू ने काम के साथ ही पढ़ाई भी जारी रखी और 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की। 13 साल के रमेश बाबू ने परिवार का पेट पालने के लिए न्यूज पेपर बांटने व दूध बेचने का भी काम किया।

 

1993 में खरीदी मारुति वैन से चमकी किस्मत
दसवीं  पास करने के बाद रमेश बाबू ने पढ़ाई छोड़ कर पिता की दुकान चलाने का निर्णय लिया। कान रमेश बाबू के स्कूल के पास के ही शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में थी। उन्होंने अपनी दुकान का नाम इनर स्पेस रखा। कुछ ही दिनों में दुकान में काम बढ़ गया। रमेश बाबू कुछ करना चाहते थे और उन्होंने कार खरीदने की सोची। सैलून से कुछ पैसे बचाकर अंकल की मदद लेकर 1993 में उन्होंने मारुति वैन खरीदी। रमेश बाबू सैलून में ही व्यस्त रहते थे तो उनकी गाड़ी ऐसे ही पड़ी रहती थी। उन्होंने ये गाड़ी किराये पर देने की सोची और उनकी किस्मत बदल गई। रमेश बाबू को इंटैल कंपनी में पहला कॉन्ट्रैक्ट मिला। उनकी मां जिस परिवार में काम करती थी, वहीं से मदद मिल गई। धीरे-धीरे वो कस्टमर बेस बनाने लगे। जल्द ही उन्हें अंदाजा हो गया कि वो ऑटोमोबाइल रेंटल से मुनाफा कमा सकते हैं।

 

रमेश टूर्स ऐंड ट्रैवल्स में है गाड़ियों की भरमार
2004 में रमेश बाबू ने लक्जरी कार रेन्टल और सेल्फ-ड्राइव बिजनेस शुरू किया। सबसे पहले रमेश बाबू ने मर्सिडीज ई क्लास लग्जरी सेडान में निवेश किया।  इस गाड़ी के लिए उन्होंने 38 लाख चुकाए। रमेश बाबू के गराज में गाड़ियों की संख्या बढ़ी और उन्होंने 3 मर्सिडीज, 4 बी.एम.डब्ल्यू. गाड़ियां खरीदीं। रमेश बाबू के पास रोल्स रॉयस सिल्वर घोस्ट, मर्सिडीज सी, ई और एस क्लास, बीएमडब्ल्यू 5, 6, 7 सीरीज सहित 400 कार, मर्सिडीज वैन और टोयटा मिनी बस हैं। 3 दशक से वह रमेश टूर्स एंड ट्रैवल्स के मालिक हैं और लग्जरी और महंगी गाड़ियां कलेक्ट करते हैं। 90 के दशक में उन्होंने महंगी, लग्जरी गाड़ियां रेंट में देना शुरू किया और ये सिलसिला आज भी जारी है। रमेश बाबू दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु में सफलतापूर्वक अपना बिजनेस चला रहे हैं।
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!