दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में 10 महीने से खराब पड़ीं सीटी स्कैन मशीन, भगवान भरोसे मरीज

Edited By Mahima,Updated: 15 Apr, 2024 11:14 AM

ct scan machine lying broken in delhi s gb pant hospital for 10 months

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कार्डियोलॉजी व न्यूरोलॉजी संबंधी बीमारियों के उपचार के लिए प्रख्यात गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल (जीबी पंत) में सीटी स्कैन की मशीनें लगभग 10 महीने से खराब हैं, जिसकी वजह से दिल्ली-एनसीआर और पड़ोसी राज्यों से आने वाले गंभीर...

नेशनल डेस्क: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कार्डियोलॉजी व न्यूरोलॉजी संबंधी बीमारियों के उपचार के लिए प्रख्यात गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल (जीबी पंत) में सीटी स्कैन की मशीनें लगभग 10 महीने से खराब हैं, जिसकी वजह से दिल्ली-एनसीआर और पड़ोसी राज्यों से आने वाले गंभीर मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जीबी पंत अस्पताल में सीटी स्कैन की मशीनें खराब होने की वजह से गंभीर मरीजों को पास के लोक नायक अस्पताल (एलएनजेपी) रेफर किया जाता है और मात्र पांच मिनट में होने वाली जांच के लिए मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है।

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एक मरीज के रिश्तेदार ने नाम नहीं प्रकाशित करने के अनुरोध पर 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि उनके पिता को एक अप्रैल को दिल का दौरा पड़ने के बाद पूर्वी दिल्ली के हेडगेवार और गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल से जीबी पंत अस्पताल के लिए रेफर किया गया और यहां पहुंचने के बाद शुरुआती उपचार देकर सीटी स्कैन कराने के लिए कहा गया। उन्होंने बताया, ''चूंकि अस्पताल में मशीनें खराब थीं इसलिए मुझे अपने पिता को पास के एलएनजेपी (लोक नायक जयप्रकाश) अस्पताल ले जाने को कहा गया। हमें सुबह 10 बजे सीटी स्कैन कराने के लिए कहा गया लेकिन एलएनजेपी अस्पताल के कर्मियों ने शाम चार बजे का वक्त दिया। इमरजेंसी में आए एक मरीज के लिए इतना लंबा समय घातक साबित हो सकता है।''

वहीं दिल्ली-उप्र बॉर्डर के नजदीक एक कॉलोनी से अपनी 62 वर्षीय बुजुर्ग मां को दिल का दौरा पड़ने के बाद जीबी पंत अस्पताल लेकर पहुंची एक महिला ने बताया, ''मैं अपनी मां को दिल का दौरा पड़ने के बाद 21 मार्च को अस्पताल के 'आपातकालीन' विभाग में लेकर आई थी, जहां प्राथमिक उपचार देने के बाद उनका तुरंत सीटी स्कैन कराने को कहा गया।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमें बताया गया कि अस्पताल में सीटी स्कैन की दोनों मशीनें खराब हैं। हमें मरीज को पास के अस्पताल ले जाने को कहा गया। लेकिन ज्यादा समय लगने के कारण मैं अपनी मां का मॉडल टाउन इलाके में स्थित एक निजी केंद्र से सीटी स्कैन कराकर लाई, जिसमें 18,500 रुपये का खर्च आया।''

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पूरे जीबी पंत अस्पताल में केवल 'ए' और 'डी' ब्लॉक में ही सीटी स्कैन की मशीनें हैं और वो भी पिछले कुछ वक्त से खराब पड़ी हैं। जीबी पंत अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ़ कल्पना बंसल ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि एक मशीन पिछले फरवरी-मार्च से खराब है और पिछले साल जून से खराब दूसरी मशीन के स्थान पर नई मशीन की खरीद प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है और जुलाई-अगस्त तक मशीन अस्पताल में लाए जाने की संभावना है। रेडियोलॉजी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर डा. बंसल द्वारा दी गई जानकारी की पुष्टि करते हुए बताया कि अस्पताल के ए और डी ब्लॉक में सीटी स्कैन की मशीनें हैं जिसमें से एक पिछले साल जून-जुलाई में खराब हुई थी और एक मशीन इस साल फरवरी में खराब हुई है। उन्होंने बताया कि दूसरी मशीन के लिए टेंडर बार-बार रद्द होने से मशीन खरीद प्रक्रिया बाधित हो रही है जिस कारण मशीन आने में दिक्कत हो रही है।

वहीं एलएनजेपी अस्पताल के तकनीकी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया की आम दिनों में अस्पताल में सीटी स्कैन कराने के लिए आने वाले मरीजों की संख्या रोजाना 125 से लेकर 130 तक होती है, जो कभी-कभार 200 के पार पहुंच जाती है। उन्होंने बताया कि इनमें से रोजाना जीबी पंत से आने वाले मरीजों की संख्या 40 के आस-पास रहती है, जो कभी-कभार 60 तक पहुंच जाती है। सूत्रों ने बताया कि एलएनजेपी अस्पताल में भी दो सीटी स्कैन मशीनों में से केवल एक ही काम कर रही है। नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि पिछले चार महीने से जीबी पंत अस्पताल से हर महीने करीब 1500 मरीज यहां सीटी स्कैन के लिए आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि एलएनजेपी अस्पताल के अपने वार्डों में भर्ती मरीज, जीबी पंत अस्पताल से आने वाले मरीज और दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल (डीडीयू) के मरीजों के साथ-साथ जेल के कैदियों का भी सीटी स्कैन यहां होता है। इस प्रकार यहां भारी दबाव है।

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जीबी पंत अस्पताल के अधिकारी ने बताया कि 2011 में अस्पताल में लाई गईं ये दोनों मशीनें अब काफी पुरानी हो चुकी हैं और उनके पार्ट्स मिलना मुश्किल है। इनके पार्ट्स थोड़े महंगे भी हैं इसलिए नयी मशीन ही मंगायी गयी है। उन्होंने बताया कि जर्मनी से मंगवाई गई मशीन अगस्त तक अस्पताल में लग जाएगी। मशीनों के खराब होने से मरीजों को हो रही परेशानी पर अधिकारी ने कहा ‘‘हम पिछले कुछ महीनों से जैसे-तैसे काम चला रहे हैं और पूरी कोशिश कर रहे हैं कि मरीजों को किसी तरीके की परेशानी ना हो।'' आपात मरीजों और उनके सीटी स्कैन संबंधी एक सवाल के जवाब में दिल्ली के धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में डायरेक्टर एवं सीनियर कंसल्टेंट-(न्यूरोलॉजी) डॉ. अमित श्रीवास्तव ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के मरीज को जितनी जल्द हो सके, अस्पताल लाना चाहिए। उसके बाद सीटी स्कैन में सिर्फ पांच मिनट का समय लगता है। 

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