अब ब्रिटेन में मौत बांट रही 'ज़ॉम्बी दवा', शरीर का खा जाती है मांस, क्या भारत में मचाएगी आतंक ?

Edited By Tanuja,Updated: 26 May, 2024 01:09 PM

deadly flesh eating zombie drug from us infiltrates to uk

एक घातक मांस खाने वाली दवा, जो पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रचलित थी, अब ब्रिटेन के दवा बाजार में घुसपैठ कर चुकी है और अब तक कम से कम...

लंदनः  एक घातक मांस खाने वाली दवा, जो पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रचलित थी, अब ब्रिटेन के दवा बाजार में घुसपैठ कर चुकी है और अब तक कम से कम 11 लोगों की जान ले चुकी है। ज़ाइलाज़िन, एक शक्तिशाली पशु ट्रैंक्विलाइज़र, जिसे व्हाइट हाउस द्वारा "उभरते खतरे" के रूप में वर्गीकृत किया गया है, का मामला अब ब्रिटेन में सामने आया है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों और विशेषज्ञों के बीच चिंता की लहर फैल गई है। यह दवा असहनीय नेक्रोटिक घावों को प्रेरित करती है, जिस  कारण अक्सर अंगों को काटना  पड़ता है, और इसके उपयोग से घातक ओवरडोज़ का उच्च जोखिम होता है। इस बामारी की जड़ें अमेरिका के तटों तक फैली हुई हैं, जहां हेरोइन उपयोगकर्ताओं द्वारा मांगी जाने वाली  जाइलाज़िन को आमतौर पर फेंटेनाइल के साथ मिलाया जाता है।

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हालाँकि, अटलांटिक में इसका घातक प्रसार तब स्पष्ट हो गया जब शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन में 16 व्यक्तियों में इस पदार्थ की पहचान की, जो 11 मौतों से जुड़ा था।ब्रिटिश धरती पर पहली दुर्घटना मई 2022 में हुई जब वेस्ट मिडलैंड्स के सोलिहुल के 43 वर्षीय कार्ल वारबर्टन की ओवरडोज़ से मृत्यु हो गई। द इंडिपेंडेंट की जांच से पता चलता है कि जाइलाज़िन ने यूके में कोकीन, नकली कोडीन, डायजेपाम (वैलियम) टैबलेट और यहां तक ​​कि टीएचसी कैनबिस वेप्स सहित अवैध पदार्थों की एक विस्तृत श्रृंखला में प्रवेश किया है। इस जहरीले एजेंट के उद्भव ने अमेरिका में देखे गए संकट के समान संभावित सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा को रोकने के लिए उन्नत परीक्षण प्रोटोकॉल और दवा उपचार पहल में निवेश बढ़ाने के लिए तत्काल कॉल को प्रेरित किया है।

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क्या है ज़ाइलाज़ीन यानि जॉम्बी ड्रग ?
एक खतरनाक पशु ट्रैंकलाइजर है, ज़ाइलाज़ीन। इसे ट्रैंक, ट्रैंक डोप या फिर जॉम्बी ड्रग के नाम से भी जाना जाता है। ज़ाइलाज़ीन एक तरह की ड्रग है, जिसका इस्तेमाल पशुओं को शांत करने, उन्हें आराम देने के लिए किया जाता है। जब तक यह पशुओं के लिए उपयोग हो रहा था, तब तक सब सही था। लेकिन, फिर इसे इंसानों ने लेना शुरू कर दिया, नशे के लिए। अब इस ड्रग का उपयोग इतना बढ़ गया है कि लोग जॉम्बी जैसी हरकतें कर रहे हैं। उनकी त्वचा सड़ रही है। यही वजह भी है कि ज़ाइलाज़ीन को अब जॉम्बी ड्रग कहा जा रहा है। बार-बार इस ड्रग का इस्तेमाल करने वाले या फिर डोज ज्यादा लेने वाले लोगों की मौत भी हो रही है।

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कैसे पहुंचाती है नुकसान ?

  • लोग इसे हेरोइन या फेंटेनाइल में मिलाकर ले रहे हैं। ज़ाइलाज़ीन की थोड़ी-सी भी मात्रा खतरनाक है। इसे इंजेक्शन लगाकर, सूंघकर या फिर निगलकर लिया जा सकता है।
  • इस ड्रग को लेने से सांसें धीमी हो जाती हैं, नींद आने लगती है, धीरे-धीरे इंसान बेहोशी की हालत में पहुंचने लगता है।
  • इतना ही नहीं, ड्रग लेने वाला एक जगह पर जम-सा जाता है, अपने सोचने-समझने की शक्ति खो बैठता है। वह किसी जॉम्बी की तरह चलता है, बर्ताव करता है।
  • ज़ाइलाज़ीन की अगर ओवरडोज हो जाए तो इससे त्वचा पर खुले घाव होने लगते हैं। यह घाव धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैलने लगते हैं।
  • त्वचा की कोशिकाएं मरने लगती हैं। अंग इतना खराब हो जाता है कि व्यक्ति की जान बचाने के लिए शरीर के उस हिस्से को काटना पड़ता है।
  • चूंकि इसका कोई एंटीडोट नहीं, लिहाजा तबीयत ज्यादा गंभीर होने पर व्यक्ति की मौत भी हो जाती है।
  • ये मामले गंभीर इसलिए भी हैं क्योंकि ड्रग की ओवरडोज से हर 5 मिनट में एक अमेरिकी की मौत होती है।
  • सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के नैशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिक्स के अनुसार, साल 2021 में अमेरिका में 1 लाख से अधिक लोगों की मौत ड्रग ओवरडोज से हुई।
  • रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2015 के बाद से ड्रग ओवरडोज से होने वाली मौतों में दोगुनी से अधिक की वृद्धि हुई है।
  • इसका कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का बढ़ना और ड्रग्स की आसानी से उपलब्धता है।
  • ड्रग्स से होने वाली मौतों की संख्या बंदूकों, कार दुर्घटनाओं और फ्लू से होने वाली मौतों को पार कर गई है।
     

क्या भारत में आतंक मचा सकती ये दवा है?  
असल में ज़ाइलाज़ीन दवा यानी जॉम्बी ड्रग नॉन-ओपिऑयड है यानी इसमें अफीम जैसे पदार्थ नहीं हैं। यह पूरी तरह से केमिकल कॉम्पोजिशन से बनी हुई है। इसमें कोई नैचुरल सब्सटेंस नहीं है, इसलिए इंसानों के लिए यह बहुत खतरनाक है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग ए़डमिनिस्ट्रेशन ने जानवरों पर इसके इस्तेमाल की अनुमति दी थी, इंसानों पर नहीं। एक संकट यह भी है कि वहां यह दवा बैन नहीं है।

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अस्पतालों में भी अलग से इसकी कोई जांच नहीं की जाती।  अभी तक भारत में ज़ाइलाज़ीन दवा का ऐसा कोई असर देखने को नहीं मिला है। पशुओं को दी जाने वाली यह दवा इंसानों के लिए खतरा तो है, लेकिन देश में इसका एक भी मामला नहीं है। जॉम्बी जैसा बर्ताव करते लोगों के एक-दो विडियो भारत में भी वायरल हुए थे, लेकिन उन लोगों ने ज़ाइलाज़ीन का सेवन नहीं किया था। वह कोकेन या अन्य ड्रग्स को अधिक मात्रा में लेने की वजह से ऐसा व्यवहार कर रहे थे।

 

 

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