Delhi Assembly Election 2020: दिल्ली में भी कई हैं आया राम- गया राम

Edited By Anil dev,Updated: 15 Jan, 2020 11:31 AM

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चुनावी सीजन में नेताओं का एक दल से दूसरे दल में आने-जाने का सिलसिला अमूमन देखने को मिलता है। इस बार भी नेता खुद और पाॢटयां भी नए सिरे से इलाके और विधानसभा के आधार पर अपने-अपने लिए ‘शुभ-लाभ’ को तलाश रही हैं। माना जा रहा है कि कुछ बड़े नेताओं के दूसरे...

नई दिल्ली: चुनावी सीजन में नेताओं का एक दल से दूसरे दल में आने-जाने का सिलसिला अमूमन देखने को मिलता है। इस बार भी नेता खुद और पाॢटयां भी नए सिरे से इलाके और विधानसभा के आधार पर अपने-अपने लिए ‘शुभ-लाभ’ को तलाश रही हैं। माना जा रहा है कि कुछ बड़े नेताओं के दूसरे दल में शामिल होने से न केवल संबंधित पार्टी (जिसमें वह शामिल हुए हैं) के लिए स्थिति में बदलाव हुआ है, बल्कि पूर्व पार्टी के अलावा अन्य दल भी समीक्षा में जुट गए हैं। भाजपा, कांग्रेस और आप तीनों ही दल एक-दूसरे के नेताओं के आने-जाने पर पार्टी की चुनावी स्थिति की नए सिरे से समीक्षा कर रहे हैं।अधिकतर नेताओं ने कांग्रेस को इस चुनाव में डूबती नैय्या मानते हुए किनारा करना बेहतर समझा है, इसमें अधिकतर बड़े नेताओं ने आप का दामन थामा है। जबकि कुछ ऐसे नेता आप को बॉय-बॉय कहकर भाजपा में भी शामिल हुए हैं, जिन्हें दिल्ली सरकार की पार्टी होने के बाद भी कोई खास लाभ नहीं मिल रहा था। इनमें आप की पूर्व विधायक अलका लांबा (अब कांग्रेस में), पूर्व विधायक कपिल मिश्रा, अनिल वाजपेयी, देवेंद्र सहरावत (अब तीनों भाजपा में) तथा कांग्रेस सरकार के पूर्व प्रदेश मंत्री राजकुमार चौहान (अब भाजपा में)जैसे बड़े नाम शामिल हैं।


मटिया महल से कांग्रेस के शोएब इकबाल अब आप में आ गए हैं । टिकट भी मिल गया है। शोएब की खास बात यह है कि ये अब तक कई बार दलबदल कर चुके हैं।  जनता दल, जनता दल यू और कांग्रेस से तीन बार चुनकर विधायक रह चुके हैं। अब इन्हें लगा कि कांग्रेस उनका टिकट रोक सकती है तो आप में शामिल हो गए हैं। उनके बेटे और निगम पार्षद आले इकबाल भी आप में आ गए हैं।

 कांग्रेस से आम आदमी पार्टी में शामिल होने वाले सिख नेता  प्रहलाद सिंह साहनी चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र से  से तीन बार विधायक रह चुके हैं।  अल्का लांबा का आप से नाता टूटने के बाद प्रहलाद सिंह के आप में शामिल होने की चर्चाएं थीं। इन्हें भी आप ने टिकट दे दिया है।

कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने जा चुके दयानंद चंदेला पुराने खिलाड़ी हैं, लेकिन दूसरी बार पराजित हो गए थे। उनकी पत्नी धनवंती भी निगम पार्षद रही थीं। दोनों ही आप में शामिल हो गए पर टिकट मारने में बाजी धनवंती ने बाजी मार ली और उन्हें राजौरी गार्डेन से आप का टिकट मिल गया है।

 पूर्व विधायक गुग्गन सिंह आप से फिर भाजपा में शामिल हो गए हैं। भाजपा से विधायक भी रहे। लेकिन, गत् लोकसभा चुनाव में आप में शामिल हो गए थे और चुनाव भी लड़े थे, लेकिन जीत नहीं पाए थे। अब पिछले दिनों ही वह अपने समर्थकों के साथ पुन: भाजपा में शामिल हो गए। देखना है कि भाजपा उन्हें कितना उपकृत करती है।
शीला मंत्रिमंंडल में मंत्री रहे राजकुमार चौहान गत लोकसभा चुनाव में आपसी मतभेद से कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। उसके बाद से उन्होंने चुनाव प्रचार में भाजपा के प्रत्याशी हंसराज हंस का भरपूर साथ दिया था। उसका परिणाम देखने को मिला था। देखते हैं कि भाजपा उन्हें टिकट देती है या नहीं।
 

कांग्रेस से आप में गए जगदीश यादव  दिल्ली में युवक कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं  लेकिन गत सप्ताह ही वह आप में शामिल हो गए। उनके कांग्रेस छोडऩे से काफी नुकसान माना  जा रहा है। वो बात  कभी कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता रहे  घनेन्द्र भारद्वाज  पश्चिमी दिल्ली के एक वार्ड से नगर निगम का चुनाव भी लड़ा था लेकिन पार्टी में की जा रही उपेक्षा से परेशान थे। उनकी योग्यता और कार्यशैली से प्रभावित होकर आप ने इसका फायदा उठाया और उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया और अब प्रदेश पार्टी का प्रवक्ता बना दिया है।दूसरी है कि उन्हें टिकट नहीं दिया गया। 

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