दिल्ली को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे, पढ़ें सीएम केजरीवाल का Exclusive इंटरव्यू

Edited By Chandan,Updated: 08 Jan, 2020 10:40 AM

delhi exclusive interview with cm arvind kejriwal

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। दिल्ली में बीते 5 सालों से आम आदमी पार्टी की सरकार चल रही है। सीएम केजरीवाल ने अपनी 5 साल की रिपोर्ट कार्ड और चुनावी तैयारियों को लेकर पंजाब केसरी/ नवोदय टाइ्म्स से बातचीत की...

नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश के चुनावों का नगाड़ा बज चुका है। इस चुनाव पर पूरे देश की नजर है। करिश्माई राजनीति के नेता कहे जाने वाले आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल सत्ता में हैं तो भाजपा को सत्ता में लाने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और देश के गृहमंत्री अमित शाह लगे हैं। ऐसे में दुनियाभर में इस चुनाव को देखा जा रहा है। सोमवार को चुनाव घोषित हुए और मंगलवार को दिल्ली के सीएम केजरीवाल नवोदय टाइम्स के दफ्तर पहुंचे। यहां पर पंजाब केसरी समूह की तरफ से उनका विशेष साक्षात्कार किया गया। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश:

 

- पांच साल दिल्ली की सरकार चलाई, कैसे रहे पांच साल?
बहुत अच्छे रहे। मेरे लिए भी और दिल्ली की जनता के लिए भी। काफी काम किए और काफी काम करने बाकी भी हैं।

 

- आप जनता के बीच जाकर सरकार का रिपोर्ट कार्ड दिखा रहे हैं। क्या है इस रिपोर्ट कार्ड में?
पांच साल पहले दिल्ली की जनता ने हमें प्यार से विश्वास करके इतना भारी बहुमत दिया था। अब मेरी जिम्मेदारी बनती है कि पांच साल के बाद जनता को बताऊं कि मैंने क्या काम किए, तो मैं अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर जनता के बीच जा रहा हूं। गली-गली में जा रहा हूं, चौराहों पर जा रहा हूं और लोगों को बता रहा हूं। इसके साथ लोगों से पूछ रहा हूं कि आपको कुछ पूछना है? आप को कोई सवाल करना है। लोग सवाल पूछते हैं मैं जवाब देता हूं। मुझे लग रहा है कि पहली बार लोकतंत्र में ऐसा हो रहा है कि पांच साल पूरे करने के बाद कोई मुख्यमंत्री अपने कामों की चर्चा करने के लिए एक-एक चौराहे पर जाकर जनता को जुटाकर उनके सवालों का जवाब दे रहा है।

 

-  आपने कई जगह यह कहा कि यह पहली सरकार है जिसने अपने सारे वादे पूरे किए। लेकिन, विपक्ष कई तरह की कमियां निकाल रहा है। आपको क्या लगता है कि कौन से काम हैं जो बाकी रह गए हैं?
दिल्ली को अब नेक्स्ट लेवल पर ले जाना जरूरी है। दिल्ली देश की राजधानी है। जब आप लंदन जाते हैं, टोक्यो जाते हैं, सिंगापुर जाते हैं, दूसरे देशों की राजधानी में जाते हैं तो अलग किस्म की व्यवस्था नजर आती है। लेकिन, दिल्ली में कई तरह के काम होना बाकी हैं।

 

- मेरी प्राथमिकता
दिल्ली में गंदगी है। दिल्ली को साफ करना है सुंदर करना है। कूड़े के पहाड़ हैं उनको हटाना है। दिल्ली में नालियां ओवरफ्लो कर रही हैं। सफाई होती नहीं है। दिल्ली को खूबसूरत बनाना है। मेरी एक प्राथमिकता यह है। 
- सड़कों को यूरोपियन स्टाइल का बनाना है 
एक और प्राथमिकता है जिसमें दिल्ली की सड़कों को यूरोपियन स्टाइल में बनाना है। दिल्ली का स्ट्रीट फर्नीचर अच्छा करना है। इसका काम शुरू कर दिया है। 40 किमी सड़कों को पायलट बेसिस पर रीडिजाइन करके यूरोपियन स्टाइल में तैयार करने के लिए आदेश जारी किए जा चुके हैं। नवम्बर तक इसका काम पूरा हो जाएगा। यह काम सफल हो गया तो दिल्ली की सारी सड़कों को रीडिजाइन करने का काम किया जाएगा। 
- यमुना को साफ करना है
मेरी प्राथमिकता में यमुना को साफ करना भी महत्वपूर्ण रूप से है। यमुना से हम लोगों की संवेदनाएं जुड़ी हैं। यमुना को साफ करना ही है। मुझे उम्मीद है कि पांच साल के बाद हम सभी यमुना में डुबकी लगाएंगे, जैसे गंगा में डुबकी लगाते हैं। अभी सीवेज और उद्योगों से निकलने वाला गंदा पानी यमुना में जाता है। दिल्ली में प्रवेश करने के बाद यमुना वजीराबाद में साफ रहती है, लेकिन वजीराबाद के आगे बहुत गंदी है। इसमें बड़े-बड़े नाले गिरते हैं। उन नालों के सीवेज को साफ करने का काम भी हमने शुरू कर दिया है। मुझे उम्मीद है कि अगले पांच साल में जो पानी यमुना में गिरा करेगा वह बिलकुल साफ होगा।

 

 - आपकी सरकार के शुरू के चार साल में केन्द्र के साथ काफी विवाद देखा गया। आप बहुत सारे काम रिपोर्ट कार्ड में दिखा रहे हैं, कैसे संभव है कि जब चार साल केन्द्र से तकरार रही तो एक साल में इतने सारे काम कैसे हो गए?
शुरू में दिक्कत यह हुई कि हमारी सारी फाइलें एलजी के पास जाया करती थीं काम कराने के लिए। वहां जाकर फाइलें अटक जाती थीं। सीसीटीवी की फाइलें दो-ढाई साल तक लटकी रहीं। मोहल्ला क्लीनिक की फाइल तीन साल तक लटकी रही। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट आया। जिसमें कोर्ट ने कहा कि पुलिस, लॉ एंड ऑर्डर और लैंड से जुड़े मामलों को छोड़कर बाकी कामों के लिए मुख्यमंत्री फाइनल अथॉरिटी हैं। इसके बाद एलजी के पास फाइलें जानी बंद हो गई हैं। अब फाइनल निर्णय मैं लेता हूं या कैबिनेट लेती है। इस वजह से डे-टू-डे बेसिस पर काम जल्दी-जल्दी होने लगे हैं। फाइलें लटकनी बंद हो गईं। इससे कुछ लोगों को लग रहा है कि चुनाव के पहले काम किया जा रहा है। ऐसा नहीं है चुनाव के पहले काम हो रहा है, पिछले डेढ़ साल से बहुत तेजी से काम हो रहा है। मुझे अनशन पर इसीलिए बैठना पड़ा। सीसीटीवी की फाइल एलजी के यहां से क्लीयर नहीं हो रही थी। अनशन करके हमने कहा कि जब तक फाइल क्लीयर नहीं होती हम नहीं हटेंगे।

 

- आपको लगा कि जब तक पुराने रूप में नहीं आएंगे काम नहीं होगा?
देखिए जब कोई काम फंसता है तो पहले हम हाथ जोड़़ते हैं फिर पैर पकड़ते हैं, गिड़गिड़ाते हैं, फिर भी नहीं मानते तो धरने पर बैठना पड़ता है। 

 

- मामला 40 लाख से अधिक लोगों से जुड़ा है, क्या आपको लगता है कि केन्द्र सरकार इतना कच्चा काम करेगी, जिससे कल मकानों में तोडफ़ोड़ हो जाए?
वह खुद ही मान रहे हैं। निगम के कर्मचारी नाम छिपाकर कहते हंै कि उनको खुद ही समझ में नहीं आ रहा है, आखिर क्या किया जा रहा है। ना कॉलोनियों को पक्का किया गया। ना तो नक्शा बनाया गया, ना तो नक्शे पास कराए गए। यही नहीं रजिस्ट्री की जो भाषा है उसमें साफ लिखा है कि जो भी नियम कानून पूरे नहीं किए गए हैं उसमें छूट नहीं मिलेगी। नियम तोडऩे की माफी नहीं दी जाएगी। मकानों के निर्माण में नियम तो तोड़े ही गए हैं। अब माफी और छूट नहीं मिलेगी तो लाभ क्या होगा। उन्होंने पांच साल कुछ नहीं किया तो चुनाव के समय दिखाने के लिए यह रजिस्ट्री की जा रही हैं। जल्दबाजी में गलत काम किया जा रहा है। मेरा कहना है कि जल्दबाजी नहीं करें। दिल्ली सरकार उनके साथ है। केन्द्र और प्रदेश दोनों सरकारें मिलकर छह महीने-एक साल में एक-एक कॉलोनी को पक्का करते हैं। उसका लैंड यूज बदलते हैं, नक्शे बनाते हैं फिर मकानों की रजिस्ट्री देते हैं। तब जाकर पक्का काम होगा। पहले तो किया नहीं अब चुनाव के पहले झूठी रजिस्ट्री दे रहे हैं। काम पर वोट पड़ेंगे, उनका काम अच्छा कि हमारा काम अच्छा।

 

- क्या लगता है आपको जनता किसे वोट देगी, भाजपा को या अरविंद केजरीवाल को?
काम को वोट पड़ेगा। दिल्ली में दो तरह के गवर्नंेस के मॉडल हैं। लोगों ने भाजपा से कहा कि दिल्ली पुलिस संभालो, निगम संभालो, डीडीए संभालो और हमें कहा कि स्कूल संभालो, अस्पताल संभालो, सड़कें संभालो, बिजली संभालो, पानी संभालो। अब जनता तय करे कि वह दिल्ली पुलिस से खुश है, निगम से खुश है कि वह स्कूलों से खुश है, अस्पतालों से खुश है कि बिजली से खुश है और पानी से खुश है। जाहिर है कि जनता नहीं चाहती कि पूरी दिल्ली एमसीडी की तरह बने। आज बीजेपी ने पांच साल में निगम और दिल्ली पुलिस का  क्या हाल कर दिया है और हम लोगों ने स्कूलों, अस्पतालों में कितना क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिया। 

 

- आप अस्पतालों की बात कर रहे हैं। भाजपा का कहना है कि आपने चार सालों में 300 मोहल्ला क्लीनिक बनाए और अभी एक बार में 150 मोहल्ला क्लीनिक का उद्घाटन कर दिया?
मोहल्ला क्लीनिक बनाने का काम चलता रहता है। अब रोज-रोज एक-एक का उद्घाटन करना तो ठीक नहीं है। मोहल्ला क्लीनिक बन जाते हैं और काम करते रहते हैं। फिर जब उनकी संख्या अधिक हो जाती है तो एक बार में औपचारिक उद्घाटन कर दिया जाता है। 

 

- आपकी पुरानी साथी अलका लांबा कह रही हैं कि उनके इलाके के मोहल्ला क्लीनिक खंडहर हैं, वहां कुछ नहीं हो पाया। इस पर क्या कहेंगे?
वह हमें बता दें उसे दिखवा लेंगे।

 

- आपके पास दिल्ली पुलिस होती तो क्या करते?
तब दिल्ली की जनता खुद को सुरक्षित और अच्छा महसूस करती। जब आप पार्टी की 49 दिन की सरकार थी तो भ्रष्टाचार बंद हो गया था। मैंने कहा था कि कोई घूस मांगे तो वीडियो बनाकर मुझे भेजना उसे जेल भेज दूंगा। 32 अफसरों को मैंने जेल भेजा था। उस समय मेरे पास एंटी करप्शन ब्रांच थी। दोबारा जब मैं मुख्यमंत्री बना तो केन्द्र सरकार ने एंटी करप्शन ब्रांच छीन ली। दिल्ली पुलिस बहुत अच्छी है। लेकिन, ऊपर से आदेश आता है कि कुछ नहीं करना। उसको खुला हाथ दे दिया जाए तो दिल्ली पुलिस लंदन, टोक्यो से अच्छा काम करके दिखा सकती है।

 

- भाजपा जिस तरह से बूथ स्तर पर काम कर रही है। अभी उनका बूथ सम्मेलन भी हुआ और कहा गया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह से बूथ स्तर पर उनको वोट मिले, ऐसे में वह जीतकर सरकार बनाएंगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को नारा दिया है, ‘घर-घर जाओ और अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का संदेश पहुंचाओ।’ क्या, इसको लेकर आपकी पार्टी में किसी तरह की चिंता बनी है?
मेरी सबसे बड़ी ताकत मेरा काम है। जिसकी चर्चा दिल्ली की हर गली में, नुक्कड़ पर और चौराहों की दुकानों पर हो रही है। घर-घर में चर्चा हो रही है। मुझे पूछना नहीं पड़ रहा है। मैं जब चौराहों पर खड़ा होकर जनता से पूछता हूं कि पांच साल में मैंने कोई काम किया? पसंद आया? ऐसा पूछने के लिए हिम्मत चाहिए। हमने काम किया है, इसी कारण यह हिम्मत हमारे भीतर आई है। मुझे यह लगता है कि यह चुनाव काम पर होगा। दूसरी बात जिसमें भाजपा वाले कच्ची कॉलोनियों को मुद्दा बना रहे हैं। तो इन कॉलोनियों में हमने बीते पांच साल में विकास के खूब काम किए हैं। सड़कें बनवाईं, नालियां बनवा दीं, पानी की पाइप लाइन बिछवा दीं, सीवर लाइनें बिछा दीं। कच्ची कॉलोनियों को पक्की करने का काम इनको करना था। अभी जो इनकी तरफ से रजिस्ट्री देने का काम किया जा रहा है, इसे जनता खुद ही फर्जी रजिस्ट्री करार दे रही है। बड़ी बात यह है कि खेती की जमीन पर मकान की रजिस्ट्री कैसे हो सकती है। कोई कोर्ट चला गया तो जितने लोगों को रजिस्ट्री दी गई है, उन सबके मकानों की सीलिंग हो जाएगी। सबके घर को तोडऩे के आदेश हो जाएंगे। लोगों को गलत काम में फंसा रहे हैं। काम पर वोट पड़ेंगे, उनका काम अच्छा कि हमारा काम अच्छा।

 

- आप कह रहे हैं कि फाइलें नहीं रुक रही हैं। उधर, भाजपा के अमित शाह कह रहे हैं कि दिल्ली की आप सरकार पिछले तीन महीने से काम कर रही है। इस पर क्या कहेंगे?
अमित शाह इस तरह की बात क्यों कह रहे हैं यह तो वह जानें। लेकिन, मैं तो यह देख रहा हूं कि इधर कुछ दिनों से अमित शाह दिल्ली आ रहे हैं और बहुत सारे भाषण दे रहे हैं। एक दिन मैंने भी उनका भाषण सुना, सोचा था कि वह कुछ नई बातें करेंगे। लेकिन, उन्होंने भाषण में एक घंटे तक मुझे केवल गाली ही दी और कुछ नहीं कहा। उनकी गाली देने की राजनीति है। मुझे राजनीति तो आती नहीं है। मैंने तय किया है कि मैं उनकी गाली का जवाब नहीं दूंगा। अगर वह अच्छे सुझाव देते हैं, और दिल्ली में कुछ करने के लिए कहते हैं तो उनके जितने भी सुझाव हैं वह सभी सिरमाथे पर। हम उन सुझावों को अपने मेनीफेस्टो में भी डालेंगे और अगले पांच सालों मेें उनको लागू भी करेंगे। लेकिन वह अलग गाली देंगे तो यह उनको ही मुबारक।

 

दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता के सवाल

 

- अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, जल बोर्ड के अध्यक्ष हैं। मैं जानना चाहता हूं कि पांच साल में उन्होंने दूषित पेयजल की आपूर्ति को लेकर क्या किया। लोगों के मन में यह बात है कि जल बोर्ड के पानी को बिना फिल्टर या आरओ लगाए नहीं पिया जा सकता। दूसरा, दिल्ली में प्रदूषण को लेकर कितनी खतरनाक स्थिति हो जाती है, इसको लेकर क्या किया गया? 
प्रदूषण के मामले में आप सरकार की विफलता पर मुख्यमंत्री क्या कहेंगे? ठ्ठ कॉलोनियों की बाउंड्री निर्धारित करने के काम को क्यों लंबे समय तक लटकाकर रखा। जबकि मोदी सरकार ने इस मामले को अपने हाथ में लेकर कुछ दिनों में ही बाउंड्री निर्धारित करके कॉलोनियों को पक्का करने काम शुरू कर दिया। तो क्या मुख्यमंत्री इस बात का जवाब देंगे कि जो तीन महीने का काम था उसे तीन साल में भी क्यों नहीं किया?

 

- 93 प्रतिशत दिल्ली में डाली गई पानी की पाइपलाइन
इन्होंने तीन सवाल पूछे हैं जो पानी, प्रदूषण और कच्ची कॉलोनियों के नक्शे से जुड़े हैं। मैं पहले पानी को लेकर बताता हूं। 70 साल में इन पार्टियों ने पानी को लेकर बेड़ा गर्क कर दिया था। केवल 58 प्रतिशत क्षेत्र को ही पाइपलाइन से पानी मिलता था और 42 प्रतिशत दिल्ली में टैंकर से पानी जाता था। दिल्ली देश की राजधानी है, सवाल खड़ा होता है कि सत्तर साल में इन पार्टियों ने क्या किया। घर-घर की टोटी में पानी नहीं पहुंचा पाए। ऐसा नहीं है कि ये पाइप लाइन नहीं बिछा सकते थे। दरअसल में बहुत बड़ा करप्शन था। पानी के हर टैंकर पर नेता पैसा लेते थे। इसीलिए जानबूझकर दिल्ली को टैंकर भरोसे रखा गया था। हमारी ईमानदार सरकार आई तो हमने इन टैंकरों को हटाया और युद्ध स्तर पर काम करके पाइपलाइन बिछाई। आज 93 प्रतिशत दिल्ली में पाइपलाइन से पानी पहुंच रहा है। सात प्रतिशत दिल्ली जो बची है, उसमें भी काम चल रहा है। एक साल के अंदर शत-प्रतिशत दिल्ली में पाइपलाइन से पानी पहुंचने लगेगा। बहुत सारे क्षेत्र में एक घंटा या दो घंटा पानी आता है। मेरा लक्ष्य है कि दिल्ली में 24 घंटे पेयजल की आपूर्ति कराना। इसके लिए काफी प्लानिंग की गई है। जहां तक बात आती है दूषित पानी की तो जब हमारी सरकार बनी तो हमने लिस्ट बनाई कि कहां-कहां गंदा पानी आता है। 2300 जगहें ऐसी थीं जहां गंदा पानी आता था। बड़े स्तर पर काम किया गया। पानी की पाइपलाइनें बदली गईं। मरम्मत की गई आज स्थिति यह है कि सवा सौ जगहे ही हैं जहां गंदा पानी आता है। काम चल रहा है, उसे भी जल्द ही सुधार दिया जाएगा। एक साल के भीतर कहीं भी गंदे पानी की आपूर्ति नहीं होगी। विपक्ष को इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए। यह खुद कहते हैं कि दिल्ली में दस लाख आरओ या फिल्टर लगे हैं, आखिर बाकी लाखों लोग तो टोटी का पानी ही पीते हैं।

 

- पांच साल में प्रदूषण बढ़ा नहीं, कम हुआ
जहां तक बात दिल्ली में प्रदूषण की है तो यह बड़ी समस्या है। लेकिन, अच्छी बात यह है कि पिछले पांच साल में प्रदूषण बढ़ा नहीं बल्कि उसमें 25 प्रतिशत की कमी आई है। अक्तूबर से लेकर फरवरी तक प्रदूषण ज्यादा रहता है। अक्तूबर नवम्बर में पराली जलाए जाने से प्रदूषण होता है। इसके बाद ठंड के कारण प्रदूषण ऊपर नहीं जा पाता और उसका स्तर बढ़ जाता है। प्रदूषण में हमने कई तरह के कदम उठाए हैं। पहले दिल्ली में जनरेटर बहुत सारी संख्या में चलते थे, क्योंकि बिजली कटौती होती थी। अब दिल्ली में 24 घंटे बिजली आती है तो 6 लाख जनरेटर नहीं चलते, इससे प्रदूषण कम होता है। केन्द्र सरकार ने ईस्ट वेस्ट पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे बनाया है। इसकी वजह से 30 हजार ट्रक दिल्ली में आने बंद हो गए और उससे होने वाला प्रदूषण भी रुका। इसके लिए हम केन्द्र सरकार के शुक्रगुजार हैं। इसी तरह हमने दिल्ली में पेड़ बहुत लगाए हैं। 1100 एकड़ अतिरिक्त भूमि पर पेड़ लगे हैं। इससे भी प्रदूषण में कमी आई है। आने वाले समय में हम परिवहन सेवा को सुधार रहे हैं, इससे भी प्रदूषण कम होगा। जहां तक बात है अक्तूबर-नवम्बर में प्रदूषण का स्तर अत्यंत खतरनाक स्तर तक जाने की तो जब तक पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार मिलकर पराली जलाने को रोकेंगे नहीं तब तक इन दो महीनों में ऐसा होता रहेगा।

 

- मौके पर जाकर कॉलोनियों की बाउंड्री बनाने में समय लगता है
कच्ची कॉलोनियों की बाउंड्री की बात है तो हमने सेटेलाइट इमेज की मदद से बाउंड्री बनाकर केन्द्र सरकार को भेजी। लेकिन, उसे माना नहीं गया। कहा गया कि मौके पर जाकर बाउंड्री बनाने के प्रक्रिया पूरी की जाए। अब 1700 से ज्यादा कॉलोनियों की बाउंड्री इस तरह से तय करने में समय लगता है। तब हमने कहा कि इसे करने के लिए हमें दो ढाई साल चाहिए। अब यह कह रहे हैं कि हमने तीन महीने में कर दी। तीन महीने में कैसे कर दी। दरअसल जो सेटेलाइट के नक्शे हमने दिए थे, उसे ही निकालकर मान लिया गया है। जब इनको मानना ही था तो पहले क्यों मना कर दिया था। तीन महीने में कोई जादू तो हो नहीं गया। अब जब सेटेलाइट के नक्शे मान ही लिए तो कच्ची कॉलोनियों को पक्का क्यों नहीं कर रहे। इसका मतलब है कि सेटेलाइट के नक्शे से कच्ची कॉलोनी पक्की नहीं हो पा रही है। वास्तव में मौके पर जाकर बाउंड्री बनानी ही होगी, जिसमें समय लगेगा। लेकिन, ये लोग वोट की राजनीति कर रहे हैं और जल्दबाजी कर रहे हैं।

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