Delhi violence: दर्द का समंदर, आधी-अधूरी लाशें बता रहीं दंगे का मंजर

Edited By Anil dev,Updated: 29 Feb, 2020 10:56 AM

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दंगों के दौरान इंसानियत के दुश्मनों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं। इंसान को इंसान नहीं समझा, किसी को बंद कमरे में जला दिया तो किसी को काट डाला। फसाद थमा और लाशों का पोस्टमार्टम हो रहा है। जीटीबी अस्पताल की मोर्चरी के बाहर रोते-बिलखते लोग,...

नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): दंगों के दौरान इंसानियत के दुश्मनों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं। इंसान को इंसान नहीं समझा, किसी को बंद कमरे में जला दिया तो किसी को काट डाला। फसाद थमा और लाशों का पोस्टमार्टम हो रहा है। जीटीबी अस्पताल की मोर्चरी के बाहर रोते-बिलखते लोग, रह-रहकर उठती चीखें, बुत से बन गए परिजन अपनों की लाशें देखकर कांप जा रहे हैं। खोजते-खोजते जब लाश के पास पहुंच रहे हैं तो उसे देखकर परिवार वालों का बुरा हाल हो जा रहा है। दंगाइयों की हैवानियत का भयानक मंजर मोर्चरी में पड़ी आधी-अधूरी लाशें बता रही हैं। शव के नाम पर किसी की एक टांग मिली है तो किसी की राख के साथ कुछ अवशेष ही मिले हैं। शव तो ऐसे मिले हैं, जिनका पोस्टमार्टम भी नहीं किया जा सकता। यह सब देखकर आत्मा तक कांप जा रही है। लोग अपनों की लाशों को देखकर रोते हुए जो बातें बता रहे हैं, उनको सुनकर दिल दहल जाता है। इस दंगें में लोगों ने अपनों को खो दिया, सपनों का चकनाचूर कर दिया। ताहिरपुर स्थित जीटीबी अस्पताल एक तरफ शव पर रोते लोगों का मातम है तो दूसरी तरफ जिन घायल का इलाज चल रहा है, उनकी सलामती के लिए दुआएं हो रही हैं। 

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दंगों ने छीन लिया पिताबेटी गुलशन को मिली बस एक टांग 
लवर सिंह का परिवार आॢथक रूप से लाचार है। उसके पिता किसान पहले ही तेजाबी दुर्घटना में गुलशन के पति नसरूद्दीन ने दोनों आंखें खो दी थीं और चेहरा बुरी तरह जल गया था। बेटी पर आई इस मुसीबत को देखकर मोहम्मद अनवर ने अपने बूढ़े कंधे पर गुलशन के पति और उसके सात और 8 साल के 2 बच्चों की जिम्मेदारी उठा ली। उत्तर प्रदेश के पिलखुआ के मूल निवासी 58 वर्षीय मोहम्मद अनवर कमाने के लिए दिल्ली आ गए। यहां करावल नगर स्थित शिव विहार में एक किराए के मकान में रहते थे। जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए अनवर बकरी पालन और रेहडिय़ों को किराए पर देने का काम करते थे। उसकी बेटी गुलशन ने बताया कि अब उसका इस दुनिया में कोई दूसरा सहारा नहीं रहा। गुलशन ने उस 25 फरवरी की मनहूस घड़ी (रात 11 बजे) को याद करते हुए बताया कि उस समय वह अपने पिता से फोन पर बात कर रही थी। तभी अचानक तेज शोरगुल शुरू हो गया। कुछ ही मिनट बाद गुलशन का संपर्क पिता से टूट गया। कई बार मोबाइल से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन दूसरी ओर से किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं मिली, जिसके बाद गुलशन किसी अनहोनी की आशंका से भयभीत हो गई।

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कमरे में बंद कर जला दिया था
 वीरवार को अनवर के भाई (गुलशन के चाचा) सलीम ने जब यह जानकारी दी कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा में उसके पिता की दर्दनाक तरीके से मार डाला गया तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। सलीम ने गुलाशन को बताया कि जब उसके पिता से उसका संपर्क टूटा, उस दौरान उपद्रवियों ने पहले उन्हें गोली मारी और फिर उनके कमरे को आग के हवाले कर दिया। जाते हुए उपद्रवियों ने हैवानियत की सारी सीमाएं तोड़ते हुए जलते हुए मकान में ही अनवर को बंद कर दिया। इस घटना में अनवर पूरी तरह से जल गया, महज एक पैर ही बरामद किया गया है। गुलशन के मुताबिक पुलिस शिनाख्त के लिए डीएनए जांच का सहारा लेने की बात कह रही है। गुलशन ने रोते हुए कहा कि एक झटके में उसका परिवार अनाथ हो गया। पिता के जाने के बाद अब बच्चों की पढ़ाई छूट जाएगी। 

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पति को बचा लिया, भाई की गई जान 
भागीरथी विहार में भीड़ ने घर में छीपे मुशर्रफ और आशिफ को अंदर घुस कर पीटा। इस हादसे में मुशर्रफ की तो मौत हो गई लेकिन मुशर्रफ की बहन फहरीन ने अपने पति को बचा लिया। दरअसल, हमले के दौरान उसने दोनों को पलंग के नीचे छिपा दिया था। फहरीन के मुताबिक उसका परिवार और भाई का परिवार भागीरथी विहार में साथ ही एक तीन मंजिला मकान में किराए पर रहता है। मंगलवार शाम 5 बजे इलाके में माहौल खाराब होने लगा था। मकान मालिक ने स्थिति को देखते हुए मकान के बाहर से ताला लगा दिया था। कुछ देर बाद अचानक घर के बाहर उपद्रवियों की भीड़ जमा हो गई। उसने बताया कि भाई मुशर्रफ और पति आशिफ को उसने पलंग के नीचे छिपाकर महिलाओं और बच्चों को दूसरे कमरे में बंद कर दिया और खुद भी छिप गई। तभी कुछ लोग पीछे से कुछ कर घर के अंदर घुस आए। उन्होंने मुशर्रफ और आशिफ को ढूढ़ निकाला और खूब पीटा। आशिफ के बेहोश होने पर उपद्रवी उसे छोड़कर चले गए। मुशर्रफ की पिटाई  के कारण मौत हो गई। मजदूरी करने आए मुशर्रफ के तीन बच्चे है। इसमें 17 और 10 साल की दो लड़की और एक 3 साल का लड़का है। 


लापता है भाई, थम नहीं रहे आंसू 
मुस्तफाबाद निवासी मोहनीश मंगलवार से ही लापता है। वह अपने चाचा के घर पर रहकर काम करता था। उसकी गुमशुदगी के कारण उसकी मां, बहन और भाइयों का रो-रो कर बुरा हाल है और वह अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं। शुक्रवार को उसकी मां और बहन मोहशीन को ढूंढते हुए जीटीबी अस्पताल की मोर्चरी पहुंचे थे। जब यहां भी उसकी कोई खबर नहीं मिली तो मां रोते हुए बदहवास हो गई। उसके रिश्तेदार इब्राहिम ने बताया कि उसका परिवार हरदोई के रहने वाले हैं। लंबे समय से परिवार दिल्ली में ही रह रहा है। मंगलवार को मोहनीश ने इब्राहीम से अखिरी बार बात की थी। इब्राहिम के मुताबिक यमुना विहार में उपद्रव के दौरान वह फंस गया था। 6 भाई बहनों में सबसे छोटा मोहशीन की उसके बाद से ही कोई खबर नहीं है। हालांकि जहां से वह आखिरी बार बात कर रहा था, पुलिस को वहां एक लाश मिली है। बुरी तरह जले होने से शव को अभी पहचाना नहीं जा सका है। 

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