Edited By Anil dev,Updated: 26 Sep, 2018 12:14 PM
दिल्ली पुलिस के तमाम दावों के बावजूद राजधानी में रोजाना 18 बच्चे लापता हो रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में कुल 6450 बच्चे लापता हुए, जिसमें 3915 लड़कियां और 2535 लड़के हैं। मंगलवार को कॉन्सटीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में अलायंस फॉर पीपल्स राइट...
नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स): दिल्ली पुलिस के तमाम दावों के बावजूद राजधानी में रोजाना 18 बच्चे लापता हो रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में कुल 6450 बच्चे लापता हुए, जिनमें 3915 लड़कियां और 2535 लड़के हैं। मंगलवार को कॉन्सटीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में अलायंस फॉर पीपल्स राइट (एपीआर) ने चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) के सहयोग से राज्य स्तरीय परामर्श किया। बताया गया कि कैसे हर समुदाय को अपने क्षेत्र में बच्चों पर निगरानी रखने के लिए सक्षम और सशक्त बनाया जा सकता है, ताकि नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी खतरे को समय पर पहचाना जा सके।
लापता बच्चों के संदर्भ में पुलिस की भूमिका है सबसे महत्वपूर्ण
क्राई की रीजनल डायरेक्टर (उत्तरी) सोहा मोइत्रा ने कहा कि लापता बच्चों के संदर्भ में पुलिस की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। बच्चों को लापता होने से बचाने के लिए सिस्टम और सोसाइटी, दोनों को मिलकर काम करना होगा। बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य और समाज, दोनों की है। क्राइम ब्रांच के डीसीपी डॉ. जॉय तिक्री ने बताया कि एक फेशियल रिकग्निशन सॉफ्टवेयर लॉन्च होने जा रहा है, जो लापता बच्चों के मुद्दे में अहम भूमिका निभा सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में लापता होने वाले 10 बच्चों में से 6 बच्चे कभी नहीं मिल पाते हैं। 12-18 आयुवर्ग में सबसे ज्यादा बच्चे लापता होते हैं। कार्यक्रम में दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव संजीव जैन, दिल्ली सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की असिस्टेंट डायरेक्टर मिस चेष्टा व डीसीपीसीआर की सदस्य मिस समराह मिर्जा भी मौजूद रहेंगी।