प्रदूषण का प्रभाव: दिल्ली के लोगों को न घर में सुकून है न बाहर चैन

Edited By Anil dev,Updated: 03 Nov, 2018 10:01 AM

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दिल्ली में प्रदूषण ने लोगों को न केवल बाहर, बल्कि घरों में भी बेहाल कर दिया है। आमतौर पर घर के अंदर रहकर लोगों को यह लगता है कि वे सुरक्षित हैं, लेकिन हकीकत इससे ठीक उलट है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इन दिनों लोगों के लिए बाहर से ज्यादा इनडोर पॉल्यूशन...

नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स): दिल्ली में प्रदूषण ने लोगों को न केवल बाहर, बल्कि घरों में भी बेहाल कर दिया है। आमतौर पर घर के अंदर रहकर लोगों को यह लगता है कि वे सुरक्षित हैं, लेकिन हकीकत इससे ठीक उलट है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इन दिनों लोगों के लिए बाहर से ज्यादा इनडोर पॉल्यूशन खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इनडोर प्रदूषण का स्तर हद से कहीं अधिक पाया गया है। इसलिए बाहरी प्रदूषण से ज्यादा घर के अंदर मौजूद प्रदूषण को लेकर और ज्यादा गंभीरता बरतने की जरूरत है। जानकर हैरानी यह होगी कि जैसे-जैसे बाहरी प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, इनडोर प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल के मुताबिक, इनडोर प्रदूषण का सामान्य स्तर औसतन एक हजार माइक्रोन/माइक्रोमीटर होता है, लेकिन इन दिनों यह स्तर बढ़कर तीन से चार हजार हो चुका है। 

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विशेषज्ञों के मुताबिक, यह इनडोर प्रदूषण की बेहद खतरनाक स्थिति है। इससे बचने के लिए घरों में वेंटिलेशन होना अनिवार्य है, साथ ही नियमित तौर पर गीले कपड़ों से डस्टिंग भी करना जरूरी है। इसके अलावा, घर के परदों को नियमित तौर पर साफ करने के साथ धुआं पैदा करने वाले ज्वलनशील पदार्थों के भी इस्तेमाल से दूर रहना होगा। डॉ. अग्रवाल के मुताबिक, नए घरों में वेंटिलेशन की व्यवस्था पर ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन जो घर पुराने और छोटे हैं, वहां वेंटिलेशन के इंतजाम नहीं किए गए हैं। स्लम में बने घरों के हालात तो और भी ज्यादा खराब हैं। कमरों में सदस्यों की तादाद बढ़ती है तो कार्बन डाइऑक्साइड ज्यादा रिलीज होने लगती है। इनडोर प्रदूषण का सबसे बुरा प्रभाव अस्थमा के मरीजों पर पड़ता है। इनडोर प्रदूषण के प्रभाव में आने के बाद शुरुआती स्तर पर खांसी, गला दर्द, आंखों में परेशानी जैसी समस्याएं शुरू होती हैं। नजरअंदाज करने पर यह हार्ट और कैंसर में भी तब्दील हो सकती है। 

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दिल्ली के अस्पतालों में अलर्ट
वहीं, केंद्र और दिल्ली सरकार के अस्पतालों में दीपावली के मद्देनजर अलर्ट जारी किया गया है। नतीजतन 5 से लेकर 9 नवंबर के बीच डॉक्टरों और कर्मचारियों को अवकाश की मंजूरी नहीं मिलेगी। जानकारी के मुताबिक जिन लोगों ने पहले से अवकाश ले रखा है, उनकी भी जरूरत के मुताबिक छुट्टियां रद्द की जा रही हैं। 7 से 9 नवंबर तक अस्पतालों के इमरजेंसी वार्ड को विशेष तौर पर अलर्ट पर रखा गया है। जिन अस्पतालों में बर्न इंजरी सेंटर या संबंधित विभाग हैं, वहां सभी जरूरी इंतजाम पहले से ही करने के निर्देश दे दिए गए हैं। 

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विशेषज्ञों के मुताबिक, राजधानी में दीपावली के दौरान सैकड़ों की तादाद में लोग बर्न इंजरी सहित अन्य दुर्घटनाओं के शिकार होकर अस्पताल पहुंचते हैं। यहां बता दें कि दिल्ली में सबसे बड़ा बर्न विभाग सफदरजंग अस्पताल में है। डॉक्टरों ने आशंका जताई है कि इस बार पहले से अधिक तादाद में पटाखों की वजह से जलने वाले मरीज अस्पताल पहुंच सकते हैं। सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रमेश शर्मा के मुताबिक, दीपावली को देखते हुए बर्न विभाग में सभी आवश्यक तैयारियों को पूरा कर लिया गया है। साथ ही, सभी डॉक्टरों को अलर्ट पर भी रखा गया है। 

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