तीन तलाक के बाद अब 'बहुविवाह' के खिलाफ उठी आवाज

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Dec, 2017 12:17 AM

demand for multi marriage after triple talaq

तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करने वाली महिलाओं ने कहा कि नए कानून में मुस्लिम पुरूषों में बहुविवाह की प्रथा को भी प्रतिबंधित करना चाहिए था, जो ‘‘तीन तलाक से भी ज्यादा बदतर है

नई दिल्लीः तीन तकाल के मुद्दे पर अदालती लड़ाई में शामिल महिलाओं ने विधेयक के लोकसभा में पारित होने हर्ष व्यक्त किया है। अब मुस्लिम महिलाओं ने बहु विवाह पर कानून लाने की मांग की है। तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करने वाली महिलाओं ने कहा कि नए कानून में मुस्लिम पुरूषों में बहुविवाह की प्रथा को भी प्रतिबंधित करना चाहिए था, जो ‘‘तीन तलाक से भी ज्यादा बदतर है।’ इस दौरान उनका कहना था कि 1985 में शाह बानो मामले में भी ऐसा ही मौका आया था लेकिन तत्कालीन केंद्र सरकार ने उस मौके को गंवा दिया।

तीन तलाक और बहुविवाह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चली लड़ाई से जुड़ी रहीं वकील फराह फैज, रिजवाना और रजिया ने कहा कि हमें इस बात की तसल्ली है कि मौजूदा एनडीए सरकार ने कम से कम एक पहल तो की। फैज ने कहा, ‘एक नई शुरूआत हुई है जिससे निकाह हलाला की अनैतिक प्रथा से मुस्लिम महिलाओं का संरक्षण हो सकेगा।’ वहीं, रिजवाना और रजिया का कहना था  कि सरकार को तीन तलाक वाले विधेयक के जरिए ही बहुविवाह को प्रतिबंधित कर देना चाहिए था।

रजिया (24) ने सरकार की ओर से लाए गए विधेयक को सराहा और उम्मीद जताई कि उसके जैसी महिलाओं को इंसाफ मिलेगा। रजिया के पति ने बेटियों को जन्म देने पर उन्हें फोन पर ही तलाक दे दिया था। ऑल इंडिया मुस्लिम विमन पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील चंद्रा राजन ने भी विधेयक की तारीफ की और कहा कि यह इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा।

बहुविवाह पीड़िता 33 साल की रिजवाना ने कहा, ‘मैं इस कदम का स्वागत करती हूं लेकिन अब पुरुष इस कदम का अनुचित फायदा उठाएंगे और खुलेआम बहुविवाह करेंगे, क्योंकि यह तो अब भी चलन में है। बहुविवाह का चलन जारी रहने से तीन तलाक के उन्मूलन मात्र से हमें कोई फायदा नहीं होने वाला।’
 

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