Edited By ,Updated: 19 Feb, 2017 03:41 PM
मणिपुर विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनाव मैदान में उतरी इरोम शर्मिला ने आज कहा कि उन्होंने विवादित अफस्पा के खिलाफ अपनी लड़ाई छोड़ी नहीं है बल्कि अपनी रणनीति में तब्दीली की है।
इंफाल: मणिपुर विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनाव मैदान में उतरी इरोम शर्मिला ने आज कहा कि उन्होंने विवादित अफस्पा के खिलाफ अपनी लड़ाई छोड़ी नहीं है बल्कि अपनी रणनीति में तब्दीली की है। इरोम ने कहा कि लोगों का एक तबका सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) के खिलाफ 16 साल लंबे अनशन के दौरान उनकी ‘‘शाहदत’’ चाहता था। इस अनशन को उन्होंने पिछले साल खत्म करने का फैसला किया। उन्होंने पीपल्स रीसर्जेंस एंड जस्टिस एलांयस (पीआरजेए) का गठन किया और मार्च में होने वाले विधानसभा चुनाव लडऩे का फैसला किया है जिसका एक मात्र एजेंडा मणिपुर से अफस्पा को हटाना है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हममें से कोई जीतता है तो हम विधानसभा में लोगों की आवाज होंगे और सदन पर अफस्पा पर सवाल करेंगे।’’उनसे पूछा गया था कि उनकी पार्टी पीआरजेए ने सिर्फ तीन उम्मीदवार ही क्यों उतारें हैं और अगर वे जीतते हैं तो क्या वे 60 सदस्यीय विधानसभा में अहम भूमिका निभा सकते हैं? इरोम थोबल सीट से मणिपुर के मुख्यमंत्री आेकराम इबोबी सिंह और भाजपा के एल.बशंता सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में है। उनसे पूछा गया कि अगर पीआरजेए के हाथ सफलता नहीं लगी तो वह क्या करेंगे तो इरोम ने कहा, ‘‘भले ही हम नाकामयाब हो जाएं। हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। हम राजनीति में रहेंगे और अगला संसदीय चुनाव लड़ेंगे।’’ साक्षात्कार के दौरान शर्मिला ने कहा, ‘‘अफस्पा चुनावों में कभी एक मुद्दा नहीं रहा लेकिन मैं चुनावों में यह बात रखना चाहती हूं कि अफस्पा न सिर्फ क्रूर है बल्कि एेसा है जो मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन करता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि अन्य पार्टियां राज्य में कथित फर्जी मुठभेड़ों के बारे में बात कर रहे हैं।’’