पूर्व रेल मंत्री ने साधा टीएमसी पर निशाना, कहा- बंगाल में भ्रष्टाचार और हिंसा का मॉडल काम नहीं करेगा

Edited By Yaspal,Updated: 17 Feb, 2021 08:08 PM

dinesh trivedi said  of corruption and violence in bengal will not work

हाल ही में नाटकीय ढंग से राज्यसभा के पटल पर इस्तीफे की घोषणा करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी पर सीधा हमला बोला और कहा कि पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी का ‘भ्रष्टाचार और हिंसा मॉडल'' अब...

नेशनल डेस्कः हाल ही में नाटकीय ढंग से राज्यसभा के पटल पर इस्तीफे की घोषणा करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी पर सीधा हमला बोला और कहा कि पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी का ‘भ्रष्टाचार और हिंसा मॉडल' अब काम नहीं करेगा और राज्य को वापस "अंधेरे दिनों" में ले जाएगा। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा शुरू की गई "बाहरी-स्थानीय' बहस को बंगाल के उदारवादी लोकाचार का "विरोधी" करार दिया।

पूर्व रेल मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए उनकी सराहना की और कहा कि लोगों ने उनके नेतृत्व में विश्वास किया है। हालांकि त्रिवेदी ने अपनी राजनीतिक योजनाओं का खुलासा नहीं किया। त्रिवेदी ने पिछले शुक्रवार को राज्यसभा और तृणमूल से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा और इस बारे में कुछ भी कर पाने में अपनी असमर्थता के कारण उन्हें "घुटन" महसूस हो रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘बंगाल में, हम नायकों और उनके आदर्शों के बारे में बात करते हैं लेकिन हम जो देखते हैं वह विपरीत है। हिंसा और भ्रष्टाचार का मॉडल (तृणमूल का) बंगाल के लिहाज से सही नहीं है। यह मॉडल बंगाल को अंधेरे दिनों में ले जाएगा। राज्य में इतनी क्षमता है। हम इसे बेकार होते नहीं देख सकते।'' उन्होंने कहा कि राज्य में जो कुछ हो रहा था, एक जनप्रतिनिधि के रूप में वह उसकी अनदेखी नहीं कर सकते थे।

त्रिवेदी ने कहा कि उन्हें शर्म महसूस हुई जब लोगों ने उनसे राज्य में हिंसा की संस्कृति के बारे में सवाल किया और इसने उनकी अंतरात्मा को ‘झकझोर' दिया और उन्होंने दृढ़ रुख अख्तियार कर लिया। उन्होंने कहा, "इसके बदले मुझे राज्य के लोगों के लिए अपने तरीके से काम करना चाहिए, अगर मेरी पार्टी मुझे ऐसा करने की अनुमति नहीं दे रही है। अब समय आ गया है कि हम तृणमूल के मॉडल और भ्रष्टाचार तथा हिंसा की संस्कृति को समाप्त करें।''

दिनेश त्रिवेदी ने तृणमूल कांग्रेस पर राज्य में होने वाली घटनाओं को "स्वीकार नहीं करने'' और खुद को "पीड़ित के तौर पर पेश'' करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘अगर सोच की प्रक्रिया यह है कि यदि आप नियमित रूप से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के बारे में बदजुवानी नहीं करते हैं, तो आप पार्टी के वफादार कार्यकर्ता नहीं हैं, इस स्थिति में कोई भी मदद नहीं कर सकता है। आलोचना करने का मतलब गाली देना नहीं होता है। हम बंगाली भद्र लोग (सज्जन) हैं।” उन्होंने कहा कि कुर्सी का सम्मान होता है और उन पर आसीन लोगों को सिर्फ इसलिए बदनाम नहीं किया जाना चाहिए कि वे प्रतिद्वंद्वी पार्टी से हैं।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्होंने कई बार पार्टी मंचों पर इन मुद्दों को उठाया लेकिन इससे कोई नतीजा नहीं निकला क्योंकि 2011 में सत्ता में आने के बाद ममता बनर्जी के अलावा किसी और ने "पार्टी पर नियंत्रण" कर लिया। हालांकि उन्होंने नाम का खुलासा नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कई बार पार्टी के साथ इन मुद्दों को उठाया। नारद घोटाले के बाद, जब मैंने एक पार्टी मंच पर इस मुद्दे को उठाया तो इसे खारिज कर दिया गया। मैं खराब आदमी बन गया और मुझे विधानसभा चुनावों में प्रचार नहीं करने के लिए कहा गया। मैंने पार्टी अनुशासन के कारण कभी भी सार्वजनिक रूप से इस संबंध में बात नहीं की।"

उन्होंने सवाल किया गया था कि उन्होंने अपनी बात कहने में इतना समय क्यों लगा। राजनीतिक हलकों में ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं लेकिन त्रिवेदी ने भगवा पार्टी की प्रशंसा करते हुए आगे की योजना का खुलासा नहीं किया। उन्होंने कहा, "भाजपा दुनिया की नंबर वन पार्टी है। मैं कैलाश विजयवर्गीय जी और दिलीप घोष जी को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने मुझे अपनी पार्टी में स्वागत करने की बात की। आगे क्या होगा, यह सिर्फ समय ही बताएगा। लेकिन मैं बंगाल के लोगों की भलाई के लिए लड़ता रहूंगा।''

त्रिवेदी ने कहा कि देश के साथ ही पश्चिम बंगाल के लोगों को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर भरोसा है, इसका पता 2019 में भाजपा को राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत से लगता है। उन्होंने कहा, "मोदी के प्रति लोगों के विश्वास के कारण ही भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया। मैं खुद भी मोदी लहर के कारण लोकसभा चुनाव हार गया। हम इसे कैसे नकार सकते हैं?"

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ममता बनर्जी द्वारा शुरू की गई ‘स्थानीय-बाहरी' बहस को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह राज्य की उदारवादी सांस्कृतिक परंपरा के खिलाफ है। उन्होंने कहा, "भारत एक उदार देश है और बंगाल सबसे उदार राज्यों में से एक है। बंगाली और गैर-बंगाली, स्थानीय और बाहरी बहस बंगाल की समृद्ध संस्कृति और विरासत के खिलाफ है। रवींद्रनाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद के राज्य में इस तरह की बहस के लिए कोई जगह नहीं है।''

त्रिवेदी ने पार्टी के सत्ता में आने के बाद संस्थापक सदस्यों को हाशिए पर डाल दिए जाने की निंदा की। उन्होंने कहा, ‘‘तृणमूल के सत्ता में आने से पहले, हम लोग हर दिन पार्टी के काम और रणनीति पर चर्चा करने के लिए तीन-चार घंटे बैठते थे। लेकिन सत्ता में आने के बाद, संस्थापक सदस्य कहीं नहीं थे और पार्टी पर किसी और ने नियंत्रण कर लिया। लेकिन दूसरों को दोष क्यों दिया जाए, अगर उन लोगों ने ही चुप रहने का विकल्प चुना जिनके हाथों में नाव की पतवार थी।''

उन्होंने केंद्र के साथ “हर समय” टकराव और पश्चिम बंगाल में केंद्रीय कल्याण योजनाओं को लागू नहीं करने के लिए ममता बनर्जी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इससे राज्य को नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि तृणमूल परिवर्तन के वादे पर सत्ता में आई थी लेकिन असली बदलाव तभी होगा जब कानून का राज स्थापित होगा। उन्होंने आरोप लगाया, "अभी कानून का राज नहीं है।" त्रिवेदी ने कहा कि पार्टी छोड़ने के बाद उनके कई पूर्व तृणमूल सहयोगियों ने उन्हें फोन किया और कहा कि उन्होंने सही कदम उठाया है।

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