Edited By Seema Sharma,Updated: 04 Dec, 2019 08:44 AM
अगर मरीज को लगातार दौरे (सीजर) पड़ रहे हैं तो लापरवाही न बरतें, यह जानलेवा साबित हो सकती है। इम्यूनोलॉजिस्ट और यूर्मैटोलॉजिस्ट डा. स्कन्द शुक्ल के अनुसार कई बार बाहरी मुआयने से यह नहीं बताया जा सकता कि रोगी को दौरे पड़ने जारी हैं। कई बार ऐसा प्रतीत...
नई दिल्ली: अगर मरीज को लगातार दौरे (सीजर) पड़ रहे हैं तो लापरवाही न बरतें, यह जानलेवा साबित हो सकती है। इम्यूनोलॉजिस्ट और यूर्मैटोलॉजिस्ट डा. स्कन्द शुक्ल के अनुसार कई बार बाहरी मुआयने से यह नहीं बताया जा सकता कि रोगी को दौरे पड़ने जारी हैं। कई बार ऐसा प्रतीत नहीं होता जबकि रोगी को दौरे पड़ रहे होते हैं और वह मूर्छित स्थिति में रहता है। ऐसे में किसी भी सीजर के रोगी को तुरंत डाक्टर के पास लेकर पहुंचना चाहिए। ज्यादातर दिमागी दौरे (सीजर) 2 मिनट में रुक जाते हैं। ऐसे में अगर कोई दौरा लंबा चल रहा है तब इसकी आशंका अधिक है कि वह बिना डाक्टरी उपचार के रुके।
डा. शुक्ला के अनुसार जितने लंबे समय से दौरा चल रहा होगा उतनी उसकी बिना दवा के रुकने की उम्मीद घटती जाएगी। ऐसे में जल्द डाक्टर से रोगी के साथ संपर्क करना चाहिए। डा. शुक्ला ने बताया कि स्टेटस एपिलेप्टिकस को पहचानने और उपचार करने में जो डाक्टर एक्सपर्ट होते हैं वे सबसे पहले रोगी की श्वास नली में आती-जाती हवा का रास्ता सुरक्षित करते हैं।
सांसों पर ध्यान देने के बाद तुरंत वे ब्लड प्रैशर नापते व अन्य जांचों के लिए कहते हैं। उन्होंने बताया कि स्टेटस एपिलेप्टिकस के कारण अनेक हैं। बढ़ा ब्लड प्रैशर, मस्तिष्क में किसी भी प्रकार का संक्रमण, ट्यूमर, मिर्गी रोग, गिरता ग्लूकोज स्तर, सोडियम आदि की बिगड़ी मात्रा इनमें प्रमुख हैं। कई बार दौरों की दवाओं को अपने-आप बंद करने से भी ऐसी स्थिति देखने को मिल सकती है।