आम इंसानों के मुकाबले कम जी पाते हैं डॉक्टर, जानिए क्या है वजह

Edited By vasudha,Updated: 12 Oct, 2018 12:15 PM

doctors live less than ordinary people

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने केरल में डॉक्टरों पर एक अध्ययन किया था। अध्ययन से प्राप्त आंकड़ों से जब देशभर के डॉक्टरों की तुलना की गई तो चौंकाने वाले परिणाम सामने आए...

नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स) : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने केरल में डॉक्टरों पर एक अध्ययन किया था। अध्ययन से प्राप्त आंकड़ों से जब देशभर के डॉक्टरों की तुलना की गई तो चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। जानकर हैरानी होगी कि देश के डॉक्टर आम इंसान के मुकाबले औसतन 10-12 साल कम जीते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी भूमिका तनाव की है। वहीं, डॉक्टरों में आत्महत्या के मामले सामने आने की घटनाएं इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम हैं। 
PunjabKesari

आईएमए ने चिकित्सकों की आत्महत्या को सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट घोषित किया हुआ है। आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल के मुताबिक, वर्ष 2018 की शुरुआत में लगभग छह डॉक्टर एक ही समय में एम्स के मनोचिकित्सा वार्ड में भर्ती किए गए थे। भर्ती किए गए डॉक्टर तनावपूर्ण स्थिति से गुजर रहे थे।  

PunjabKesari
इन वजहों से डॉक्टरों में बढ़ रहा है तनाव   

  • अधिकांश डॉक्टर 12 घंटे की शिफ्ट में ड्यूटी देते हैं। 
  • इनमें शिक्षण, परामर्श, मरीजों को देखना और शोध कार्य शामिल है। 
  • बुनियादी सुविधाओं की कमी के बावजूद भारी संख्या में मरीजों को देखते हैं। 
  • थकान, अकेलापन, बीमारियां और डिप्रेशन हावी हो रहा है। 


छात्र जीवन से ही शुरू होता है तनाव का सिलसिला 
करीब 15 से 30 प्रतिशत चिकित्सा छात्रों और मेडिकल रेजिडेंट्स में डिप्रेशन एक समस्या के तौर पर पाई जाती है। तनाव का स्तर इस कदर होता है कि आत्महत्या की प्रवृत्ति हावी होने लगती है। इससे निपटने के लिए कई छात्र बिना डॉक्टर के पर्चे के खुद ही पेन-किलर या एंटी-डिप्रेसेंट लेने लगते हैं। इसके कारण वरिष्ठ डॉक्टरों के लिए काम का तनाव, प्रतिष्ठा पर आंच और अवसाद या थकान के लक्षणों को पहचान पाना मुश्किल हो जाता है।

PunjabKesari
बर्न आउट की शिकार हो रही हैं महिला चिकित्सक   
तनाव की समस्या महिला डॉक्टरों पर भी हावी है। वर्क प्लेस और घर, दोनों जगह दबाव की स्थिति रहने के कारण महिला डॉक्टरों में बर्न आउट के मामले अधिक होने का जोखिम बना रहता है। महिला विशेषज्ञों की तादाद कम होने की वजह से उन्हें अधिक घंटों तक सेवा देनी पड़ती है। डॉ. अग्रवाल के मुताबिक, इन सभी चुनौतियों से बचने के लिए रोगी और डॉक्टर के अनुपात पर ध्यान देने की जरूरत है। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!